Sunday, September 13, 2020
कायास्थितौ कायस्थ: असि....🙏🙏
इन 👆👆 तीन महान शब्दों से ही सम्पूर्ण कायस्थ विग्रह परिभाषित हो सकता है। निर्भर करता है व्याख्याता की बौद्धिक क्षमता पर।
पसंद आए तो एक छोटी सी गलती अवश्य करना ब्लाॅग के अंत में जाकर लाइक और फाॅलो करने की इससे मैं आपको अपने हिसाब से परेशान कर सकूंगा जब मेरा हृदय गुलाॅटी मारेगा।
मिलते-जुलते रहेंगे मित्रों.......🙏🙏🙏❤️🏹🔥
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालए नमः
( कमल गट्टे की माला से रोज एक माला जप )
ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी मंत्र
ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च। गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु॥
ग्यारह रूद्र नाम जिनके जपने से माना जाता है, दु:खों का नाश हो जाता है 🙏🙏
कपाली, पिंगल, भीम, विरूपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, अहिर्बुधिन्य, शंभु, चंड, भव
*ॐ अघोरेभ्यो अथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्यः।*
*सर्वतः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्यः।।*
ॐ हं हनुमते नमः
गुरुर ब्रम्हा गुरूर विष्णु गुरूर देवो महेश्वरा गुरूर साक्षात परमब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः
जय जय जय हनुमान गोसाईं कृपा करहु गुरुदेव की नाईं
(वीडियो में देखिए समझिए और कीजिए)
ॐ सन्यासी देवाय नमः
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In case of any question
नीचे दिए गए सारे के सारे विचार मेरे स्वयं के अनुभव के आधार पर हैं। मैं किसी भी तरह से उत्तरदाई नहीं हूं, यदि कोई व्यक्ति मेरे विचारों को अपनाता है। मैं किसी से भी अपनाने की विनती नहीं कर रहा हूं। कोई भी सलाह मानने से पहले आप अच्छे से विचार कर लें, कि आपके जीवन में उपयुक्त है या नहीं। इतने के बाद भी यही कहूंगा कि मेरी कही किसी भी बात को स्वीकारने से पहले उस विषय विशेष के विशेषज्ञों से परामर्श कर लेना आपके जीवन के लिए सर्वोत्तम रहेगा।
🙏🙏🙏❤️🏹🔥
फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष नवमी १८-३-२०२४ २१:२६
त्रिकाल जप ॠग्वेद उद्धृत - प्रायश्चित जप मंत्र
ॐ ऋतं च सत्यं चाभिद्धात्तपसोऽध्यजायत। ततो रात्र्यजायत ततः समुद्रो अर्णवः ।। समुद्रादर्णवादधि संवत्सरो अजायत । अहोरात्राणि विदधद्विश्वस्य मिषतो वशी।। सूर्याचन्द्रमसौ धाता यथापूर्णमकल्पयत् दिवं च पृथिवीं चान्तरिक्षमथो स्वः ।
कार्तिक कृष्ण पक्ष एकादशी ९-११-२०२३
किसी के आदिकालीन भाष्य को आधुनिक भाषा में शाश्वत और सनातन निरूपित करना अपने आप में किसी पद्मभूषण से कम सम्मानजनक नहीं है..….
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कार्तिक कृष्ण पक्ष एकादशी ९-११-२०२३
ऋषभ जयन्ती पुत्र भरत
शकुन्तला दुष्यंत पुत्र भरत
कैकेई दशरथनन्दन भरत
जहां इन तीन के पराक्रम और त्याग का सम्मान है वंदन है - वहीं भारत है
जैन पुराणों के अनुसार अन्तिम कुलकर राजा नाभिराज और महारानी मरुदेवी के पुत्र भगवान ऋषभदेव का जन्म चैत्र कृष्ण नवमी को अयोध्या में हुआ। वह वर्तमान अवसर्पिणी काल के प्रथम तीर्थंकर थे। भगवान ऋषभदेव का विवाह नन्दा और सुनन्दा से हुआ। ऋषभदेव के 100 पुत्र और दो पुत्रियाँ थी।[9][10] उनमें भरत चक्रवर्ती सबसे बड़े एवं प्रथम चक्रवर्ती सम्राट हुए जिनके नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। दूसरे पुत्र बाहुबली भी एक महान राजा एवं कामदेव पद से बिभूषित थे। इनके आलावा ऋषभदेव के वृषभसेन, अनन्तविजय, अनन्तवीर्य, अच्युत, वीर, वरवीर आदि 98 पुत्र तथा ब्राम्ही और सुन्दरी नामक दो पुत्रियां भी हुई, जिनको ऋषभदेव ने सर्वप्रथम युग के आरम्भ में क्रमश: लिपिविद्या (अक्षरविद्या) और अंकविद्या का ज्ञान दिया।[11][12] बाहुबली और सुंदरी की माता का नाम सुनंदा था। भरत चक्रवर्ती, ब्रह्मी और अन्य 98 पुत्रों की माता का नाम यशावती था। ऋषभदेव भगवान की आयु 84 लाख पूर्व की थी जिसमें से 20 लाख पूर्व कुमार अवस्था में व्यतीत हुआ और 63 लाख वर्ष पूर्व राजा की तरह|[13]
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कार्तिक कृष्ण पक्ष अष्टमी ५-१०-२०२३
मुझे आज भी याद है
Thompson inter college Gonda जाते समय १९८३ में एक दिन एक महिला ने अपने बच्चे को बचाने के लिए कुत्ता भगाया और वो कुत्ता मेरी साइकिल के अगले पहिए में चारों टांग सुदा फंस गया जिससे अचानक ब्रेक लगा और मैं आठ दस फिट दूर तक डामर रोड पर फिसल गया।
*अब यहां महिलाओं के मस्तिष्क की विशेषता ध्यान दीजिएगा*
उस महिला ने बच्चे को किनारे छोड़ा, सबसे पहले कुत्ते को पहिए से निकाला उसके बाद मेरे पास आई तब तक मैं खड़ा होकर अपने कपड़े सही कर रहा था और दोबारा साइकिल से स्कूल की तरफ बढ़ने की हिम्मत कर ही रहा था कि, आवाज आई, रुको भैया रुको एक मिनट रुको मुझे क्षमा मांग लेने दो, मैंने कहा इसमें आपकी कोई ग़लती नहीं है स्थिति अनुकूल आपने सब सही किया है, यदि मैं यहां रुक गया तो मेरी क्लास छूट जाएगी और मेरे गुरु जी दुःखी हो जाएंगे। लेकिन वो नहीं मानीं और झट से दौड़कर - उस समय की प्रचलित लाल दवा और नीली दवा जो कि लगभग सभी घरों में पाई जाती थी - लाल दवा की शीशी खोलती हूई आ गईं और बोलीं पैंट व आस्तीन ऊपर चढ़ाओ, मैं जानती हूं तुम्हें कितना गहरा घाव लगा है, बिना मौक़ा गंवाए उन्होंने फटाफट औशधि लगाई और फ़िटकरी का पानी पिलाया - उसके बाद वो ठगी सी व्यथित आभा मंडल वाले मुख के साथ सामने खड़ी थीं - ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो बहुत अधिक ग्लानि से भरी हुई हैं - (तभी मुझे ऐसा लगा भगवान कह रहे हैं कि उन्हें कुछ तो बोल) - मैंने कहा भाभी जी आप बिल्कुल भी चिंता मत करिए इस छोटे-से हादसे से मुझे आगे आने वाले बड़े संकटों में कैसे व्यवहार करना है उसका ज्ञान मिला जो सारे जीवन उपयोगी होगा, और अभी में आपने पहले अपने बच्चे को बचाया जो आपकी ममता, पोषण और संरक्षण को दर्शाता है - फिर आपने कुत्ते को बचाया जो कि प्राणी के हर जीव पर दया भाव के दायित्व का बोध कराता है - अंततः मेरे लिए औषधि का उपयोग कई संदेश देता है जिसमें मुख्य ये है कि समय पर उपलब्ध संसाधनों का उचित उपयोग करके जीवन में आगे बढ़ने के लिए स्वत: प्रेरित रहना। इतना सब एक झटके में यकायक बोल तो गया जो उस समय मेरे नियंत्रण में बिल्कुल भी नहीं था, लेकिन परिणाम ये निकला कि भाभी जी मुस्कुराते हुए बोलीं हां भैया तुम बोलते बहुत हो अब स्कूल जाओ अच्छे से ध्यान लगाओ पढ़ाई में और घर पहुंच कर एक गिलास दूध में हल्दी पाउडर आधा चम्मच मिलाकर तीन दिन लगातार पीने से घाव जल्दी भरेगा पीड़ा भी नहीं होगी......
सोचिए हमारा राष्ट्र कितना अधिक सुदृढ़ ज्ञान से परिपूर्ण है कि, एक गरीब परिवार की झोपड़ पट्टी में रहने वाली महिला भी कितनी अधिक व्यावहारिक शिक्षा अपने में समाहित रखती है......
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कार्तिक कृष्ण पक्ष सप्तमी (४-११-२०२३)
बहुत ही सुन्दर और महत्वपूर्ण प्रश्न....?
*वर्ष भर पूजित देव, देवी प्रतिमा पेड़ के नीचे या किसी भी स्वतंत्र स्थल* पर रखना उचित है क्या.....?
क्या हम जिन्हें सगा अथवा सम्माननीय समझते हैं उनसे संबंधित कोई भी रचना किसी ऐसी जगह फेंकना या रखना पसंद करेंगे जिस पर बाद में पक्षी बिष्टा करें और एक खास जीव जो किसी खड़ी आकृति पर एक टांग उठा कर कुछ करता है......
तो सोचिए कि वो कितना बड़ा बुद्धिजीवी होगा जिसने उन देव प्रतिमाओं को दीपावली पूजन महोत्सव उपरांत किसी पेड़ के नीचे या ऐसी जगह जो किसी का निजी स्थान न हो रखने की प्रथा चला दी और ये सोचा ही नहीं कि जिनसे ये पूरी सृष्टि नियंत्रित है, जिनके आशीर्वाद के लिए हम लालायित रहते हैं उनके विग्रह/ मूर्ति का अपमान होगा कि नहीं........
बीती ताहि बिसारिए
आगे की सुधि लीजिए 🙏🙏💖💖🏹🔥
अब पूजित विग्रह किसी भी कारणवश यदि बदलना है तो उसे आदर पूर्वक जल समाधि दें। जल समाधि का अर्थ ये बिल्कुल नहीं कि कोई तालाब, झील या नदी या समुद्र ही होना चाहिए मूर्ति के आकार के अनुसार कोई गमला या आपके घर के उद्यान में गड्ढा भी चलेगा। मूर्ति को उसमें रखकर विधि पूर्वक आरती करके उसमें जल भरिए प्रतीक्षा कीजिए कि मूर्ति पूरी तरह मृदा में मिश्रित हो जाए अब उस पर कोई ऐसा पौधा रोपित करिए जो किसी भी परिवार, समाज, देश, राष्ट्र, विश्व और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के सतत् प्रयास व विकास की राह को दर्शाता है - अर्थात बीजारोपण - बीज उद्यीपन (जब प्रकृति बीज के चारों तरफ एक क्षारीय घेरा निरूपित करती है उसकी सुरक्षा के लिए) - अंकुरण - जड़ - तना - पत्ती - फूल - फल - पुनः फल से बीज और एक सनातन जीवन चक्र का निर्माण isn't it cycle of life of living beings
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आश्विन शुक्ल त्रयोदशी + चौदस (चतुर्दशी) २७-१०-२०२३
बहुत ही उत्तम सुझाव है। मूर्ति को स्पर्श करने की आवश्यकता ही नहीं होती है। जाप जो भी करना होता है, मुख से निकले शब्द उच्चारणों से होता है या मौन रहकर। दोनों ही दशा में मूर्ति स्पर्श की आवश्यकता होती ही नहीं है। अतः जप कभी भी कर सकते हैं।
शास्त्रोक्त विधि का पूरा पालन करना सर्वोत्तम है......🙏🙏
🌹💐शंका - समाधान🌹💐
चंद्रग्रहण में शरद पूर्णिमा कैसे मनाये , खीर कैसे व कब बनायें???
शरद पूर्णिमा अर्थात 28 / 29 अक्टूबर की मध्य रात्रि 1:05 मिनट पर चंद्रग्रहण लगेगा जो कि रात्रि 2:23 मिनट पर समाप्त होगा। लगभग 1:18 मिनट का ये ग्रहण भारत में दिखाई पड़ेगा। इसीलिए सूतक काल भी मान्य होगा।
चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले शुरु हो जाता है। इसलिये 28 अक्टूबर की शाम 4.05 बजे से ही सूतक काल शुरु हो जाएगा। इस दौरान पूजा-पाठ और धार्मिक कार्य ना करें।
चूंकि सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है इस दिन चंद्रमा और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। शरद पूर्णिमा के चंद्रमा की रोशनी का इंतजार लोग बेसब्री से करते हैं। वहीं मां लक्ष्मी की पूजा भी शरद पूर्णिमा की रात निशित काल में करने का महत्व है।
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणें अमृत के समान होती हैं, इसलिए शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है और फिर पूजा के बाद इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है।
लेकिन चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा से निकलने वाली किरणों को हानिकारक और नकारात्मक माना जाता है।
इसिलिय चंद्र ग्रहण के कारण इस साल शरद पूर्णिमा की पूजा-अनुष्ठान दिन में ही किए जाएंगे।
समस्त कार्य सूतक लगने से पूर्व ही सम्पन्न हो जाय।
चंद्रमा की रोशनी में ग्रहण काल के दौरान खीर नहीं रखी जाएगी।
*खीर बनाने भोग लगाने के कुछ उपाय*
1. सूतक काल के पहले ही खीर बनाकर , उसमें कुश व तुलसीपत्र डाल कर रसोईघर मे ही सुरक्षित रख दें , फिर ग्रहण मोक्ष के बाद स्नान आदि शुद्धिकरण पश्चात खुले आसमान के नीचे रखकर पूजन भोग आदि के बाद प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं।
2. ग्रहणकाल में गुरुमंत्र , देवमंत्र आदि जप व पाठ आदि करें। इस जप का फल सामान्य दिनों के जप से हजार गुना अधिक प्रभावशाली रहता है। ग्रहण के पश्चात स्नान आदि शुद्धिकरण करके खीर बनायें , फिर पूजन भोग के बाद प्रसाद वितरण करें।
3. दूसरे दिन भी खीर बनाकर भगवान को भोग अर्पित कर सकते हैं।
*▪️सूतक काल में न करें ये काम-:*
सूतक काल के दौरान किसी प्रकार के मांगलिक कार्य, भगवान की मूर्ति का स्पर्श पूजन आदि नहीं करना चाहिए। इस समय आप अपने गुरु मंत्र, भगवान नाम जप, श्रीहनुमान चालीसा आदि का पाठ कर सकते हैं।
सूतक काल के दौरान भोजन बनाना व भोजन करना भी उचित नहीं है। गर्भवती स्त्री, बच्चे, वृद्ध तथा अस्वस्थ जन अपने शरीर का ध्यान रखकर सूतक काल मे भी भोजन कर सकते हैं।
ध्यान रखें की सूतक काल आरंभ होने से पहले खाने पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डाल दें। इसके अलावा आप इसमें कुश भी डाल सकते हैं।
*▪️चंद्र ग्रहण पुण्य काल-:*
चंद्र, ग्रहण मोक्ष के बाद स्नान- दान- पूजा उपासना इत्यादि का विशेष महत्व है। अतः 29 अक्टूबर, सुबह स्नान के बाद भगवान की पूजा- उपासना, दान पुण्य करें। ऐसा करने से चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।
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आश्विन शुक्ल प्रतिपदा कलियुग वर्ष ५१२५ - १५-१०-२०२३
*माता जी आपका स्वागत है*,
सदा अपनी संतानों की कृपादात्री बनी रहना 🙏🙏
जाने अंजाने में हूई गलतियों के लिए हम सब क्षमा प्रार्थी हैं और साजिशें रच कर जो भी ग़लत कार्य हमारे द्वारा हुए हैं, उनका दंड भी इसी जन्म में मिल जाए, ताकि...
मुक्तिस्य युक्तेर्थे मार्गं प्रशस्ति।।
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14-10-2023
सदा सदा ही धर्मस्य लक्षणे लभ्यत: 🙏🙏
अरे आपकी बात दिल से लगा बैठे हैं, किसी में क्या मजाल जो निकाल सके। एक बार दिल में रख कर ताला लगाया और चाभी आंखें बन्द कर कहीं फेंक दी......🤪🤪🤪
आफिस से छूट कर ऐसे दीवानों जैसे भागते हैं कि पता नहीं क्या हाथ से चला जाएगा। अरे थोड़ा सब्र रखो समय का आनंद लो कुछ गुनगुनाते हुए आराम से जाओ घर वालों के लिए कुछ बढ़िया स्वादिष्ट लेकर जाओ और साथ में खाओ पियो जीवन का आनंद लो भागमभाग व्यर्थ है.....
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12-10-2023
1. He parampita parmeshwar meri man budhi ka washikaran karne ke liye, jis kisi ne jaha kahi jo bhi maya banayi hai use mool srot se jala kar rakh kar dijiye. Maya banane se pahle meri photo jale, agni shant ho jaaye dravya padaarth sookh jaaye saari maya ko jala kar rakh kar dijiye.
2. Last mein He agni dev jo bhi gandgi burn hui hai use jaha uchit ho waha fek dijiye.
1-10-2023
मित्र को या तो मित्र कहो मत वरना मित्र से कुछ भी छुपाओ मत.....
समस्या कितनी भी बड़ी हो - हल इसी धरा पर है, जितने मित्र बना सकते हो बनाओ, एक धोखा देगा या किसी कारणवश उस समय काम नहीं आया, कोई बात नहीं दूसरा काम आएगा, विकल्प होगा तभी तो न, मार्केटिंग और सेल्स करने वालों से सीख सकते हैं।
*मनु, हरिश्चंद्र, राम, कृष्ण हर अद्वितीय शक्ति* के काल में समाज और स्वयं उन पर - सभी पर ग्रहण आया परन्तु सहयोग से हराया गया 🙏🙏🙏
आप सभी से अनुरोध है - एक दूसरे को सुनने की क्षमता स्वयं में जागृत करना अति आवश्यक है।
30-9-2023
हम तप जानते हैं तपना जानते हैं सनातन राष्ट्र के लिए खपना भी सीखें.... इस विभूति को समझना है तो पूरा उद्घोष सुनिए, फिर बुद्धि लगाइए क्योंकि आप सभी प्रबुद्ध जन हैं 🙏🙏💖💖🏹🔥
-🙏🙏💖💖🏹🔥
27-9-2023
जब मिलो सच्चे और निश्चल हृदय से मिलो, घृणा और द्वेश में क्या रक्खा है, न तुम जानो न हम जानें कब कौन सा पल आखिरी है
--🙏🙏💖💖🏹🔥
10-9-2023
सुनिए और सोंचिए जिस हिंदी को बोलने में आप शर्माते हैं हमारी मां की भाषा को कितने सम्मान के साथ विदेशी अपना रहे हैं। अपनी भाषा अपने तंत्र - स्व+तंत्र= स्वतंत्र को विकसित करेंगे तभी सही मायने में स्वतंत्र कहलाएंगे वरना स्वाधीन ही रह जाएंगे। यह बहुत गंभीर विषय है.... हृदय से सोचिए 💞💞💖💖🏹🔥
-🙏🙏💖💖🏹🔥
7-9-2023
Really politics make history, condition applied - what was the *Character* of time passed politicians. If everyone would have been like Subhash Babu, Sardaar Patel, Shastri Ji, Atal Ji, P V Narsimha...+ many more like these..... & change makers on 26 th of May 2014 - people would have been loving the politics by heart irrespective of hating the politics.
7-9-2023
*ॐ अघोरेभ्यो अथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्यः।*
*सर्वतः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्यः।।*
शंकर जी का अचूक सर्व बाधा विनाशक मंत्र
--🙏🙏💖🏹🔥
5-7-2023
'धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः।
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ॥
(मरा हुआ धर्म मानने वाले का नाश, और रक्षित धर्म रक्षक की रक्षा करता है। इसलिए धर्म का हनन कभी न करना, इस डर से कि मरा हुआ धर्म कभी हमको न मार डाले)
उपरोक्त मनुस्मृति का एक पूर्ण श्लोक है -
यह रिसर्च एंड एनालिसिस विंग, भारतीय विदेशी खुफिया एजेंसी, नेशनल डिफेंस एकेडमी, नेशनल लॉ स्कूल ऑफ भारत यूनिवर्सिटी का आदर्श वाक्य है।
28-6-2023
बहुत स्वार्थी हैं लोग --
जिसे पसंद करते हैं उसकी बुराई भूल जाते हैं और जिसे नहीं पसंद करते हैं उसकी अच्छाई भूल जाते हैं
--🙏🙏💖🏹🔥
23-5-2023
स्वप्न ही है कि मकां अपना है
है साये पर भी हक उजाले का
तापमान
वास्तविक 32° प्रतीति 37°
समय
वास्तविक 8:39 प्रतीति 12:45
🤪🤪🤪
-🙏🙏💖🏹🔥
16-5-2023
एक बार फिर वो समय आ गया, जब लोगों को पूरा वक्तव्य सुनने का ढांढस नहीं रह गया, क्योंकि वो अपना भूत और भविष्य नहीं जानते - वर्तमान की चाल समझते नहीं, जबकि हम पूरे समाज के शाश्वत सत्य के भूत और भविष्य की बात करते हैं.....
जब भी आप सत्य का सामना कराना चाहेंगे तो समर्थन में मात्र गिनती के लोग और विरोध में बहुत बड़ा वर्ग पाते हैं। ये विरोधी तब आपको ढूंढते हैं जब आपके कथन सत्य साबित होने लगें लेकिन समय बीतने के बाद लाभ नहीं।
बताने का कर्तव्य करिए और अपने पथ पर अग्रसर रहिए, जो अनुसरण करे उसका भला, जो न करे उसका भी भला।
--🙏🙏💖🏹🔥
10-5-2023
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने
प्रणतक्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।
--🙏🙏💖🏹🔥
10-5-2023
बुरा किसी का कर न सको तो
भला किसी का मत करना
कांटे बन चुभ न सको तो
पूष्प बन कर मत रहना.....
--🤪🤪🤪😃😃🙏🙏जानते हो न सठे साठ्यम समाचरेत
क्योंकि समय बड़ा बलवान -- परिस्थिति अनुसार आचरण धर्म परायण है.......
--🙏🙏💖🏹🔥
3-5-2023
पूर्ण श्लोक
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥4-7॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥4-8॥
--🙏🙏💖🏹🔥
26-4-2023
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।
प्रणतक्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः।।
--🙏🙏💖🏹🔥
14-4-2023
भोजन करने के उपरांत (कुल्ला आचमन कर के गीले हाथ से) हाथ में जल लेकर या जो भी हाथ जीवित है उसकी मध्यमा तर्जनी अंगुली को जोड़ते हुए एक आंख पर रखें और अंगूठे को बगल वाली आंख पर रख कर मध्य में लाते हुए नासिका से बाहर निकालते हुए धीमे से मलें - साथ ही निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण करें
अश्विभ्याम नमः
च्यवनाय नमः
सुकन्यायै नमः
मृत्यु तक आप अंधे नहीं होंगे और पुनर्जन्म में जन्मांध नहीं होंगे
8-4-2023
विनाशकाले विपरीत बुद्धि का पूरा श्लोक
न निर्मते, न विद्यते तदैव न शूयते स्वर्णमयी कुरंगी।
तथापि तृष्णा रघुनंदनस्य विनाशकाले विपरीत बुद्धि ।।
--🙏🙏💖🏹🔥
7-4-2023
To fix your corrupted pendrive or memory card
Connect it to PC or laptop. It will show the window to format it, don't format, just close this window. Go to my pc or this pc, check the letter designated to your memory/ drive. Now type CMD in search & right click on command prompt, you get some options. Choose here - Run as administrator - now in command line type (letter of drive for example if your drive or memory is F) then command will be as 👇👇
Chkdsk F: /f
here /f means - fix bad sectors
In some moments showing and fixing list of all the baad sectors, process is completed. Now close this command prompt window and again go to my computer/ this PC & check your files & folders of your corrupted pendrive/ memory card.
--🙏🙏💖🏹🔥
4-4-2023
सरस्वती च विद्महे, ब्रम्ह रूपिणी च धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात् ।।
ब्रम्ह अर्थात परमब्रह्म न कि ब्रम्हा जी, यहां समझने वाली बात ये है कि सृष्टि के वास्ते परमब्रह्म ने अपने तीन भाग पुरुष और तीन भाग प्रकृति के रूप में किए, जो कि ब्रम्हा विष्णु महेश और सरस्वती लक्ष्मी काली। अगर हम दोनों शब्दों को ध्यान से उच्चारित करें तो भ्रम समाप्त हो जाएगा। ब्रम्ह और ब्रम्हा में केवल एक मात्रा का अंतर है, एक जनक है और दूसरा अपने जनक के आदेशों को माननेवाला आज्ञाकारी सेवक।
यदि गहराई से समझ जाएं तो ये भी समझ जाएंगे कि ये व्याख्या क्यों करनी पड़ी.....
--🙏🙏💖🏹🔥
30-3-2023
आपको सपरिवार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान *श्री राम चन्द्र* के जन्मोत्सव की ढेर सारी शुभकामनाएं
--🙏🙏💖🏹🔥
29-3-2023
सांस्कारिक प्रवचनों में कहानी शब्द का उपयोग करने के बजाय इतिहास शब्द उपयोग कीजिए, इतिहास घटी हूई घटना का प्रमाण बनता है और कहानी सदैव कल्पना। तुरंत तो नहीं लेकिन आनेवाले १५-२० वर्ष उपरांत आपकी वैदिक व धार्मिक शिक्षाओं को स्वत: ही प्रामाणिक मानने लगेंगे और शनै: शनै: व्यवस्थाएं पूर्ववत सनातनी हो जायेंगी, लेकिन धैर्य के साथ सतत समग्र प्रयास करना पड़ेगा।
-- 🙏🙏💖🏹🔥
13-3-2023
आईए हनुमान जी के मंत्रों को जानें 👇👇
शाबर मंत्र
ॐ नमः वज्र का कोठा
जिसमें पिंड हमारा पैठा
ईश्वर की कुंजी ब्रम्हा का ताला
मेरे आठों याम का यति हनुमंत रखवाला
पूरी विधि जानने हेतु संपर्क करें 🙏🙏
(साभार 👆👆)
आइए संपूर्ण हनुमान मंत्र के जाप का तरीका और जप के फायदे जानें। हनुमान चालीसा की एक प्रसिद्ध सूक्ति है –
"और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई ।।"
इसका अर्थ है, कि अगर आप हनुमान जी के आश्रय में आ गए तो फिर अन्यत्र भटकने की आवश्यकता नहीं है।
इस कलियुग के सभी कष्टों से निवारण करने में हनुमान जी सक्षम हैं। दिव्य हनुमान मंत्र जप से इच्छित लाभ पाने के लिए कुछ बातों का ध्यान भी रखना होता है, जोकि आगे उल्लिखित हैं।
हनुमान मंत्र / Hanuman ji ke Mantra के लाभ | Hanuman Mantras for Success
1) हनुमान मूल मंत्र – ॐ हं हनुमते नमः | Om Ham Hanumate Namah
ॐ हं हनुमते नमः मंत्र के लाभ – जीवन की विघ्न-बाधा दूर कर सफ़लता प्राप्ति के लिए, शारीरिक शक्ति और सामर्थ्य वृद्धि के लिए। अच्छे उद्देश्य से किये जाने वाले किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए इस मन्त्र का जाप फलदायी है।
2) हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् l
लाभ – असीमित शक्ति वाला यह हनुमान मंत्र एक दिव्यमंत्र है. इस मंत्र के जाप का तत्काल प्रभाव दिखता है. यह मंत्र आपको हनुमान जी के कृपा की अद्भुत शक्ति प्रदान करता है|
3) ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा l
लाभ – इस हनुमान मंत्र के 21,000 जाप से बीमारी, भूत-प्रेत बुरी आत्माओं का असर और जीवन के कष्टों, बाधाओं का निराकरण हो जाता है.
4) हनुमान गायत्री मंत्र – ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्॥
लाभ – हनुमान गायत्री मंत्र के नियमित जाप से ऐसी अद्भुत उर्जा उत्पन्न होती है जोकि संकटों से रक्षा प्रदान करती है. यह मन्त्र साहस और ज्ञान में वृद्धि कर आपको सबल बनाता है.
5) मनोजवम् मारुततुल्यवेगम् जितेन्द्रियम् बुद्धिमताम् वरिष्ठम्।
वातात्मजम् वानरयूथमुख्यम् श्रीरामदूतम् शरणम् प्रपद्ये॥
लाभ– भगवान राम और श्री हनुमान जी का आशीर्वाद और अनुग्रह प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन की पूजा में इस मंत्र को भी स्मरण करें.
6) ॐ ऐं ह्रीं हनुमते रामदूताय लंकाविध्वंसनाय अंजनी गर्भ संभूताय शाकिनी डाकिनी डाकिनी
विध्वंसनाय किलिकिलि बुबुकारेण विभीषणाय हनुमद्देवाय ॐ ह्रीं श्रीं हौं हाँ फट् स्वाहा।।
लाभ – दुष्ट आत्माओं के भय से मुक्ति पाने के लिए और शक्ति प्राप्ति हेतु इस अद्भुत हनुमान मंत्र का जाप फलदायी सिद्ध होता है. नकारात्मकता चाहे गृह-क्लेश से हो, नौकरी-व्यवसाय से हो, पढाई या जीवन में असफलता से उत्पन्न हुई हो, सभी का निराकरण करने में यह मन्त्र जप प्रभावी है.
7) हनुमान बीज मंत्र – ॐ ऐं भ्रीम हनुमते,श्री राम दूताय नम:
लाभ – इस शक्तिशाली हनुमान जी का बीज मंत्र के नियमित जाप से हनुमान जी की दया-दृष्टि, आशीर्वाद और अनुग्रह प्राप्त होता है. इसके अतिरिक्त कोर्ट-केस में विजय, लम्बे चल रहे केस की तेज कार्यवाही और अनुकूल परिणाम के लिए दिन में दो बार इस हनुमान मंत्र का 1008 बार जाप करें. अदालत जाने से पहले हनुमान मंदिर भी अवश्य जायें. आप अनुभव करेंगे कि कार्य में प्रगति हो रही है और झंझट से मुक्ति मिल जाएगी।
8) आंजनेय मंत्र – Hanuman Mantra for job :
ॐ श्री वज्रदेहाय रामभक्ताय वायुपुत्राय नमोsस्तुते l
लाभ – नौकरी और व्यवसाय में नए अवसरों की प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जप करें. नौकरी में समस्याएँ हों, नयी नौकरी की तलाश में हों, परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्यार्थी हों या चाहे जॉब प्रमोशन (प्रोन्नति) की आशा में हो. आंजनेय मंत्र का प्रतिदिन सुबह 11 बार जप करें. मंत्र जाप गुरुवार के दिन से शुरू करें.
9) अंजनीगर्भ संभूत कपीन्द्र सचिवोत्तम । रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमन् रक्ष सर्वदा ॥
लाभ – स्वयं की रक्षा और इच्छित लाभ की प्राप्ति हेतु.
10) मर्कटेश महोत्साह सर्वशोक विनाशन । शत्रून संहर मां रक्षा श्रियं दापय मे प्रभो ll
लाभ – धन, समृद्धि और संपत्ति की प्राप्ति के लिए
11) ॐ पूर्वकपिमुखाय पञ्चमुख हनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रु संहरणाय स्वाहा ।
लाभ – गम्भीर संकट और शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए, अपने आस- पास और जीवन की नकारात्मक शक्तियों को दूर करने, के लिए इस हनुमान मंत्र का जाप करें.
12) ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय
नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः।
प्रनवउं पवनकुमार खल बन पावक ग्यानधन।
जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर।।
लाभ – प्रेत बाधा मुक्ति, डर-भय दूर करने के लिए हनुमान मंत्र. प्रतिदिन स्वच्छ शरीर और मन से विश्वासपूर्वक 108 बार जाप करें, अवश्य लाभ होगा.
13) महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते। हारिणे वज्र देहाय चोलंग्धितमहाव्यये l
लाभ – मनोकामना की पूर्ति के लिए हर रोज एक माला का जाप करें।
14) ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा l
लाभ – इस मन्त्र के जप से शत्रुओं से रक्षा, शत्रु विजय, सभी रोग के निवारण का फल प्राप्त होता है.
15) ऊँ नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा l
लाभ – कर्ज से मुक्ति और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन एक माला का जाप 45 दिनों तक करें.
16) ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय भक्तजनमन: कल्पना-कल्पद्रुमाय l
दुष्टमनोरथस्तम्भनाय प्रभंजन-प्राप्रियाय ll
महाबलपराक्रमाय महाविपत्तिनिवारणाय l
पुत्रपौत्रधन-धान्यादि विविधसम्पतप्रदाय रामदूताय स्वाहा ll
Hanuman Mantra for Wealth – जिस घर में इस हनुमान मंत्र का नियमित जाप होता है, वहाँ धन-वैभव का आगमन होता है. अगर पैसे की कमी परिवार की ख़ुशी में बाधक बन रही है तो इस मंत्र का जाप करें. यह मंत्र मंगलवार और शनिश्वरी अमावस्या के दिन अवश्य स्मरण करें.
मंगलवार या शनिवार को स्नान के बाद श्री हनुमान मंदिर में स्थित चोला चढ़ाएं श्री हनुमान जी की प्रतिमा पर सिन्दूर या लाल चन्दन, चमेली का तेल, फूल, अक्षत, जनेऊ व नैवेद्य (भोग) चढ़ाकर ऊपर लिखा हनुमान मंत्र लाल आसन पर बैठ सुख-समृद्धि की कामना से बोलें. मंत्र स्मरण के बाद श्री हनुमान की गुग्गल धूप व दीप से आरती कर प्रसाद ग्रहण करें. श्री हनुमान के चरणों से थोड़ा सा सिंदूर लाकर घर के द्वार या देवालय में स्वस्तिक बनाएं. हनुमान जी की कृपा होगी.
17) ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वग्रहान् भूतभविष्यद्वर्तमानान् समीपस्थान
सर्वकालदुश्टबुद्धीनुच्चाटयोच्चाटय परबलानि क्षोभय क्षोभय
मम सर्वकार्याणि साधय साधय स्वाहा l
लाभ – शत्रु की कुबुद्धि – दुर्बुद्धि को ठीक करने हेतु इस मंत्र का जाप करें.
18) ॐ हं हनुमते नम: l
ॐ हं हनुमते नमः मंत्र के फायदे – भय और डर के नाश के लिए इस मंत्र का विश्वासपूर्वक जाप शुरू कर दें. अवश्य लाभ होगा।
19) कार्य सिद्धि हनुमान मंत्र –
हनुमान मंदिर या हनुमान जी के चित्र के सामने बैठकर इस मंत्र का 108 बार जाप करें। किसी भी मंगलवार या शनिवार से इस मंत्र का जाप करना शुरू करें। अगर किसी बड़े कार्य की सिद्धि के लिए इस मंत्र का जाप करना है तो प्रतिदिन 1100 बार इस हनुमान मंत्र का जाप 40 दिन तक करें।
असाध्य साधक स्वामिन,
असाध्य तव किंवद I
राम दूत कृपा सिंधो,
मत्कार्यं साध्यप्रभो II
Q: हनुमान जी का जप कैसे करें?
A: नहा-धोकर स्वच्छ शरीर से साफ़ कपड़े पहनकर बैठे। मन्त्र जाप जमीन पर लाल आसन बिछाकर या स्वच्छ आसन पर बैठकर करें। मन्त्र जप करते समय पीठ सीधी मतलब मेरुदंड सीधा हो। रुद्राक्ष या तुलसी की माला से जाप करें।
Q: हनुमान मंत्र का कितना जाप करना चाहिए ?
A: रुद्राक्ष की 108 दानो की माला से कम से कम एक माला का जाप अवश्य करें। इससे ज्यादा करना है तो 3, 5, 7, 9, 11 बार माला जप भी कर सकते हैं। समय की कमी हो तो 11, 27, 51 बार भी जप कर सकते हैं, लेकिन इससे फल भी उसी अनुपात में होगा।
Q: हनुमान मंत्र जप से सफलता पाने के नियम क्या है ?
A: मन्त्र जाप की सफलता के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करें। मांसाहारी और तामसिक भोजन (लहसुन, प्याज) न करें। सम्भव हो तो हनुमान मंदिर में जाप करें। हनुमान जी की मूर्ति के समक्ष जाप करना शीघ्र फलदायी होता है। जप शुरू करते समय देशी घी, चमेली अथवा तिल के तेल का दीपक जलाकर रख लें। जाप की अवधि तक यह जलता रहना चाहिए।
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बजरंग बाण
दोहा॥
निश्र्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करें सनमान ।
तेहि के कारज सकल सुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥
॥चौपाई॥
जय हनुमंत संत-हितकारी ।
सुनि लीजै प्रभु बिनय हमारी ॥
जन के काज बिलंब न कीजै ।
आतुर दौरि महासुख दीजै ॥
जैसे कूदि सिंधु के पारा ।
सुरसा बदन पैठि बिस्तारा ॥
आगे जाय लंकिनी रोका ।
मारेहु लात गई सुरलोका ॥
जाय विभीषण को सुख दीन्हा ।
सीता निरखि परम-पद लीन्हा ॥
बाग उजारि सिंधु महं बोरा ।
अति आतुर जमकातर तोरा ॥
अछय कुमार मारि संहारा ।
लूम लपेटि लंक को जारा ॥
लाह समान लंक जरि गई ।
जय जय धुनि सुरपुर नभ भई ॥
अब बिलम्ब केहि कारन स्वामी ।
कृपा करहु उर अंतरजामी ॥
जय जय लखन प्रान के दाता ।
आतुर होइ दुख करहु निपाता ॥
जय हनुमान जयति बल-सागर ।
सुर-समूह-समरथ भट-नागर ॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले ।
बैरिहि मारू बज्र की कीले ॥
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो।
महाराज प्रभु दास उबारो॥
ॐकार हुंकार महाप्रभु धावो।
बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो॥
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा।
ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर-सीसा ॥
सत्य होउ हरि शपथ पायके।
रामदूत धरु मारु धाय के॥
जय जय जय हनुमन्त अगाधा।
दु:ख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा।
नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
वन उपवन मग गिरि गृह माहीं।
तुमरे बल हम डरपत नाहीं॥
पाय परौं कर जोरि मनावों।
यह अवसर अब केहि गोहरावों॥
जय अंजनि कुमार बलवंता।
संकर स्वयं बीर हनुमंता ॥
बदन कराल काल-कुल-घालक ।
राम-सहाय सदा प्रतिपालक ॥
भूत, प्रेत, पिसाच, निसाचर ।
अगिन बेताल काल मारी मर ॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की ।
राखु नाथ मरजाद नाम की ॥
जनकसुता-हरि-दास कहावौ ।
ता की सपथ, बिलंब न लावौ ॥
जय-जय-जय-धुनि होत अकासा ।
सुमिरत होय दुसह दुख नासा ॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौ ।
यहि औसर अब केहि गोहरावौं ॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम-दोहाई ।
पायं परौं, कर जोरि मनाई ॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ।
ॐ हनु हनु हनु हनु हनु-हनुमंता ॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल ।
ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल ॥
अपने जन को तुरत उबारौ।
सुमिरत होय अनंद हमारौ ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै ।
ताहि कहौ फिरि कौन उबारै ॥
पाठ करै बजरंग बाण की ।
हनुमत रच्छा करैं प्रान की ॥
यह बजरंग-बाण जो जापै।
तासों भूत-प्रेत सब कांपै ॥
धूप दीप अरु जपै हमेसा ।
ता के तन नहिं रहै कलेसा ॥
॥दोहा॥
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
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12-3-2023
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन वरन विराज सुवेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै।
शंकर स्वयं केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग वन्दन।।
विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय संजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस्र बदन तुम्हरो यश गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा।
नारद शारद सहित अहीसा।।
यम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
लंकेश्वर भये सब जग जाना।।
युग सहस्र योजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक ते कांपै।।
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावैं।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमिट जीवन फल पावै।।
चारों युग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस वर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सादर हो रघुपति के दासा।।
तुम्हरो मंत्र राम को भावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्त काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।
दोहा
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8-3-2023
होलिकोत्सव की हार्दिक बधाई 🙏🙏
न अचरज जानिए
हिए तराज़ू तौल
आचरण गले लगाइए
सब जग नियरे पाइए
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7-3-2023
घर के अंदर बाहर दीप जलें तो दीपावली
चौबारे में अग्नि प्रज्वलित हो तो होली
बाहरी कड़ियां हैं प्रकाशित तो दीपावली
अंतर्मन हो आनंदित प्रस्फुटित तो होली...
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16-2-2023
Dead jokes are jokes, which pleasure you, whenever you are in cool mode....☺️☺️
--🙏🙏💖🏹🔥
10-2-2023
बिल्कुल ताजा घटना - बात करते हुए रास्ते चलते एक लड़के का फ़ोन छीन झपट करने वाले बाईक सवार ले उड़े (स्थान हुसैन गंज flyover, Lucknow में हुसैन गंज से ऐशबाग की ओर flyover की शुरुआत में)।
मालूम है, क्यों हुआ, क्योंकि हमारे यहां बाएं हाथ का traffic rule है इस लिए दाहिने हाथ की तरफ लोग तेज गति से चलते हैं। इस दशा में यदि आप दाएं हाथ में मोबाइल लेकर बात करते हुए चल रहे हैं तो आपका फ़ोन आसानी से छिन सकता है जबकि बाएं हाथ में मोबाइल लेकर सड़क के किनारे किनारे बात करते हुए पैदल चलने पर यह घटना कुछ हद तक रुक सकती है।
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30-1-2023
विरोध करने वाले लोग मुझे बहुत अच्छे लगते हैं, मालूम है - क्यूं, क्योंकि ये हमें और अधिक ऊर्जा प्रदान करने हैं हमारे उद्देश्य को प्राप्त करने में। मेरे पुराने दोस्त जो वर्षों बाद मिल रहे हैं, उनमें से जो बड़ाई करते हैं, ठीक हैं। जो कुछ नहीं बोलते हैं वो भी ठीक है, चलता है क्योंकि उन्हें केवल समय बिताना था मिले और चले गए। उन्हें हमारे अस्तित्व से कोई विशेष लगाव नहीं होता, हम रहें न रहें, प्रगति करें या अवनति को प्राप्त हों , कोई अंतर नहीं पड़ता, वो अपनी जिंदगी जी रहे होते हैं।
हां लेकिन वो जो नकारते हैं - दो तीन बार और फिर स्वीकारते हैं - ये हमें हमेशा और बेहतरीन करने की प्रेरणा देते हैं।
इस समयावधि में एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है कि, हमें नकारने वालों की इच्छा को समझते हुए हमारे उत्पादों को ही कुछ अलग तरह से पेश करना होता है ताकि, हम जिस राह पर उन्हें चलाना चाहते हैं, वो चल सकें और ह्रदय से स्वीकार सकें। उत्पाद हमारा जो है वही रहेगा। कभी उसकी पैकिंग तो कभी उसका वर्णन तो कभी उसका रंग - वगैरह वगैरह बदलता रहेगा।
हां उनके वारे में बिल्कुल भी नहीं सोचना चाहिए जो हमेशा ही नकारात्मक हैं। ये अपना और हमारा दोनों का बहुमूल्य समय नष्ट करते हैं। बहुत ही विनम्रता से इनकी बड़ाई करते हुए इन्हें विदा कर दीजिए।
किसी को भी केवल तीन अवसर ही प्रदान करने चाहिए वो चाहें परिवार हो समाज हो या व्यापार का ग्राहक हो।
यदि हमारी योजना सही है और भविष्य में मानवता के लिए लाभकारी है तो, बस निरंतर बढते रहना है।
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23-1-2023
जो हर हाल में शामिल शांत और मुस्कुराता है
विश्वास रखिए उससे ताकतवर केवल परमेश्वर
-- 🙏🙏💖🏹🔥
12-1-2023
🙏 ये 15 मंत्र जो....हर हिंदू को सीखना और बच्चों को सिखाना चाहिए,
1. Mahadev
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे,
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ,
उर्वारुकमिव बन्धनान्,
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् !!
2. Shri Ganesha
वक्रतुंड महाकाय,
सूर्य कोटि समप्रभ
निर्विघ्नम कुरू मे देव,
सर्वकार्येषु सर्वदा !!
3. Shri hari Vishnu
मङ्गलम् भगवान विष्णुः,
मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः,
मङ्गलाय तनो हरिः॥
4. Shri Brahma ji
ॐ नमस्ते परमं ब्रह्मा,
नमस्ते परमात्ने ।
निर्गुणाय नमस्तुभ्यं,
सदुयाय नमो नम:।।
5. Shri Krishna
वसुदेवसुतं देवं,
कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकी परमानन्दं,
कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम।
6. Shri Ram
श्री रामाय रामभद्राय,
रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय,
सीताया पतये नमः !
7. Maa Durga
ॐ जयंती मंगला काली,
भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री,
स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
8. Maa Mahalakshmi
ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो,
धन धान्यः सुतान्वितः ।
मनुष्यो मत्प्रसादेन,
भविष्यति न संशयःॐ ।
9. Maa Saraswathi
ॐ सरस्वति नमस्तुभ्यं,
वरदे कामरूपिणि।
विद्यारम्भं करिष्यामि,
सिद्धिर्भवतु मे सदा ।।
10. Maa Mahakali
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं,
हलीं ह्रीं खं स्फोटय,
क्रीं क्रीं क्रीं फट !!
11. Hanuman ji
मनोजवं मारुततुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं,
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
12. Shri Shanidev
ॐ नीलांजनसमाभासं,
रविपुत्रं यमाग्रजम ।
छायामार्तण्डसम्भूतं,
तं नमामि शनैश्चरम् ||
13. Shri Kartikeya
ॐ शारवाना-भावाया नम:,
ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा ,
वल्लीईकल्याणा सुंदरा।
देवसेना मन: कांता,
कार्तिकेया नामोस्तुते ।
14. Kaal Bhairav ji
ॐ ह्रीं वां बटुकाये,
क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये,
कुरु कुरु बटुकाये,
ह्रीं बटुकाये स्वाहा।
15. Gayatri Mantra
ॐ भूर्भुवः स्वः,
तत्सवितुर्वरेण्यम्
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
-- 🙏🙏🏻💖🏹🔥
1-1-2023
अश्कों के निशां पर्चाए सादा पे हैं,
कुछ न बयां कर ए क़ासिद,
ये इबारत ही काफ़ी है.....
--🙏🙏💖🏹🔥
1-1-2023
मुझे उन सभी लोगों का धन्यवाद करना है, जिन्होंने इस साल मुझे मुस्कराने की वजह दी है। आप उन्हीं में से एक हैं। आपका धन्यवाद, आभार। साल अवश्य बदल रहा है, लेकिन साथ नहीं। स्नेह और आशीर्वाद आगे भी हमेशा बना रहे। हमारी तरफ से साल के अंतिम दिन की हार्दिक बधाई और नव वर्ष की शुभकामनाएं 🙏🙏
आपको और आपके सभी अपनों को बधाई हो ...
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28-12-2022
कोई समस्या नहीं है, आयुर्वेद पर वैसे ही भरोसा कीजिए जैसे बच्चे मां पिता जी पर करते हैं और निश्चिंत हो कर जिएं।
बीमारियां न कल कम थीं, न कल कम होंगी संसार भी एक बहुत बड़ा व्यापार है और आप भी समझदार हैं.....
--🙏🙏💖🏹🔥
21-12-2022
Solder wire is made up of combination of metals....
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19-12-2022
आइंस्टीन के ड्राइवर ने एक बार आइंस्टीन से कहा--"सर, मैंने हर बैठक में आपके द्वारा दिए गए हर भाषण को याद किया है।"
आइंस्टीन हैरान !!!
उन्होंने कहा- "ठीक है, अगले आयोजक मुझे नहीं जानते।आप मेरे स्थान पर वहां बोलिए और मैं ड्राइवर बनूंगा।
ऐसा ही हुआ, बैठक में अगले दिन ड्राइवर मंच पर चढ़ गया।और भाषण देने लगा...
उपस्थित विद्वानों ने जोर-शोर से तालियां बजाईं।
उस समय एक प्रोफेसर ने ड्राइवर से पूछा - "सर, क्या आप उस सापेक्षता की परिभाषा को फिर से समझा सकते हैं ?"
असली आइंस्टीन ने देखा बड़ा खतरा !!!
इस बार वाहन चालक पकड़ा जाएगा। लेकिन ड्राइवर का जवाब सुनकर वे हैरान रह गए...
ड्राइवर ने जवाब दिया- "क्या यह आसान बात आपके दिमाग में नहीं आई ?
मेरे ड्राइवर से पूछिए , वह आपको समझाएगा ।
नोट :--> "यदि आप बुद्धिमान लोगों के साथ चलते हैं, तो आप भी बुद्धिमान बनेंगे और मूर्खों के साथ ही सदा उठेंगे-बैठेंगे तो आपका मानसिक तथा बुद्धिमता का स्तर और सोच भी उन्हीं की भांति हो जाएगी..!!!
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15-12-2022
ब्राह्मणों से दान लेने का हक सिर्फ कायस्थों को ही है!!!!!
ब्राह्मणों को हर जाति से दान लेने का अधिकार है लेकिन कायस्थ है कि उन्हे ब्राह्मणों से दान लेने का अधिकार है ।
भगवान राम के राजतिलक में चित्रगुप्तजी का निमंत्रण छूट गया था, जिसके कारण भगवान् चित्रगुप्त ने नाराज होकर अपनी कलम रख दी थी। उस समय परेवा काल शुरू हो चुका था।
दूसरी तरफ सभी देवी-देवता को भगवान राम ने देखा लेकिन भगवान चित्रगुप्त वहां कहीं दिखाई नहीं पड़े तो भगवान राम ने भगवान चित्रगुप्त के न आने के कारणों की पड़ताल की।
पड़ताल में पता चला कि गुरु वशिष्ठ के शिष्यों ने भगवान चित्रगुप्त को निमंत्रण पहुंचाया ही नहीं था।
उधर स्वर्ग और नरक के सारे काम रुक गये थे, प्राणियों का लेखा जोखा ना होने के कारण ये तय कर पाना मुश्किल हो रहा था कि किसको कहाँ भेजा जाएI
तब गुरु वशिष्ठ की इस गलती को समझते हुए भगवान राम ने अयोध्या में भगवान् विष्णु द्वारा स्थापित भगवान चित्रगुप्त के मंदिर में गुरु वशिष्ठ के साथ जाकर भगवान चित्रगुप्त की स्तुति की और गुरु वशिष्ठ की गलती के लिए क्षमायाचना की, जिसके बाद भगवान राम का आग्रह मानकर चित्रगुप्तजी ने लगभग ४ पहर अर्थात २४ घंटे बाद पुन: कलम-दवात की पूजा करने के पश्चात उसको उठाया और प्राणियों का लेखा-जोखा लिखने का कार्य आरम्भ कियाI गौरतलब है कि श्री अयोध्या महात्मय में भी इस मंदिर को श्री धर्म हरि मंदिर कहा गया है।
धार्मिक मान्यता है कि अयोध्या आने वाले सभी तीर्थयात्रियों को अनिवार्यत: श्री धर्म-हरि जी के दर्शन करना चाहिये, अन्यथा उसे इस तीर्थ यात्रा का पुण्यफल प्राप्त नहीं होता।
तभी से परेवा काल शुरु होने के बाद सभी कायस्थ 24 घंटे के लिए कलम दवात रख कर लिखने पढने का काम छोड़ते हैं, और इसी घटना के बाद कायस्थ ब्राह्मणों के लिए भी पूजनीय हो गए, और इस घटना के पश्चात मिले वरदान के फलस्वरूप सबसे दान लेने वाले ब्राह्मणों से दान लेने का हक़ भी सिर्फ कायस्थों को मिला।
तभी से कायस्थ दीपावली की पूजा के पश्चात कलम को रख देते हैं और । यमदुतिया के दिन भगवान चित्रगुप्त का विधिवत कलम दवात पूजन करके ही कलम को धारण करते है।
कहते है तभी से कायस्थ ,ब्राह्मणों के लिए भी पूजनीय हुए और इस घटना के पश्चात मिले वरदान के फलस्वरूप सबसे दान लेने वाले ब्राह्मणों से दान लेने का हक़ सिर्फ कायस्थों को ही है ।
-🙏🙏💖🏹🔥
11-12-2022
Smart phone shouldn't be blamed, in fact behaviour of parents, unending wishlist of gadgets, need of huge heap of money.... Resultantly no time for their own parents and children. Hence loneliness of children force them to engage in machines or outsiders (sometime very dangerous - production of criminals)...... Be careful for future.....🙏🙏
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5-12-2022
विचारहीन खराब बुद्धि वाले मनुष्य त्याज्य योग्य हैं, इसलिए उनसे संपर्क नहीं रखना चाहिये - भले ही आप उन्हें मित्र मानते हों। सभी को यहां यह जानना आवश्यक है कि, मित्रता का मूलमंत्र विचार होता है, जब आपके विचार ही न मिलें, तो मित्रता कैसी ?
दुर्बुद्धि का बौद्धिक विकास करने का प्रयत्न अवश्य करना चाहिए, लेकिन एक उचित बौद्धिक दूरी बना कर, ताकि आपको बौद्धिक ह्रास का सामना न करना पड़े। चूंकि वो भी समाज का अंग है और हमें समाज का उत्थान करने की चेष्टा है इसलिए हर व्यक्ति का ऐसा विकास आवश्यक है जिससे प्रभु की ये दुनिया और भी अधिक सुंदर सृजनशील एवं सुदृढ़ हो सके..….
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4-12-2022
योगा कोई शब्द नहीं, ये विदेशियों की विवशता है कि उन्हें हिंदी का उच्चारण अच्छे से नहीं आता है और हमारी बेवकूफी कि हर विदेशी चीज पर आकर्षित हो जाते हैं।
योग शब्द का अर्थ है संसार के कोई भी ऐसे दो या दो से अधिक विशय जिनके जुड़ने से एक विशेष प्रकार का लाभकारी/ हितकारी सृजन हो जाय।
इसी तारतम्य में जब व्यायाम के साथ अध्यात्म का संयोग होता है, तो ये भी योग कहलाता है।
यहां ध्यान देने योग्य है कि, आपको आध्यात्मिक उन्नति चाहिए तो व्यायाम के साथ साथ इष्टदेव का ध्यान करते हुए उनके बीज मंत्र का मनन करते रहें,
या फिर,
व्यायाम के साथ साथ केवल वर्तमान/ present time की मौज मस्ती में जीवन व्यतीत कर दें,
विकल्प सामने हैं और जीवन भी आपका है.....
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2-12-2022
संसार में विकल्प बहुतों के हैं स्वयं के लिए आप का कोई नहीं
योग करें, निरोगी रहें..... चिकित्सा शास्त्रों की मां...….
आयुर्वेद की शरण में आ जाएं.... अभी भी समय है, संभल जाएं
स्वयं बचें तो पीढ़ियां बच जाएं...... - - 🙏🙏💖🏹🔥
9-11-2022
I don't like patchup...
Ever broken its forever...
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2-11-2022
Don't talk any more.......
मुंह ढक कर सो जाइए
अगली सुबह मुस्कराते हुए get up with full positive energies and do your businesses
🙏🙏💖🏹🔥
1-11-2022
Yes perfect way of life....🙏🙏
*सनातन किरण*
तपो दमो ब्रह्मवित्तं वितानाः
पुण्या विवाहाः सततान्नदानम् ।
येव्षेवैते सप्त गुणा वसन्ति
सम्यवृत्तास्तानि महाकुलानि।।
*सन्दर्भ* - चौथा अध्याय, श्लोक संख्या २३, विदुर - नीति, महाभारत उद्योगपर्व से ।
*अर्थ* - जिनमें तप, इंद्रियसंयम, वेदों का स्वअध्याय, यज्ञ, पवित्र विवाह, सदा अन्नदान और सदाचार - ये सात गुण वर्तमान हैं, उन्हें महान कुल कहते हैं।
*सार* - अति उत्तम कुल के धारी वे ही मनुष्य हैं जो वेदों का पठन - पाठन करते हैं और उस अनुरूप आचरण करते हैं और जिनमें तप या तपस्या करने की क्षमता अपने इन्द्रियों को वश में रख कर करने की होती और हमेशा सत्य का आचरण कर यज्ञ, पवित्र विवाह आदि कर्मों में लीन रहते हैं और साथ में ये हमेशा अन्नदान इत्यादि द्वारा भूखे को भोजन, वस्त्र आदि उपलब्ध कराते रहते हैं।
जय सनातन
🙏🙏💖🏹🔥
23-10-2022
एक तरफ हिन्दी दिवस मनाते हैं....
सभी जानते हैं - कारण क्या है....
दूसरी तरफ *शुभ कामनाएं और बधाइयां....*
न लिखकर जो शब्द आप उपयोग कर रहे हैं - आप भली भांति जानते हैं
निर्णय आप सबको लेना है
केवल हिन्दी दिवस मना मनाकर प्रसन्न होना है
या हृष्ट पुष्ट दैवीय शक्तियों से परिपूर्ण अक्षरों के युग्म से बनी भाषा में लिखे वैदिक ज्ञान से पुलकित व्यक्तित्व वाली युवा पीढ़ी चाहिए, जो पुनः धरती को स्वर्ग बना दे
🙏🙏💖🏹🔥
22-10-2022
अपने अपने वंशजों का बखान करने की बजाय भारत और सनातन संस्कृति का बखान करें।
वर्ण व्यवस्था ठीक है, लेकिन जाति व्यवस्था तोड़ने का कार्य शुरू करती है।
वर्ण व्यवस्था का बेहतर व्याख्यान होना चाहिए।
एक ही परिवार में चारों वर्ण संभव हैं।
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*माता-पिता* साथ है तो रोज *धनतेरस*
*संगिनी* साथ है तो रोज *रूपचौदस*
*बच्चे* साथ है तो रोज *दीपावाली*
*परिवार* साथ मे है तो रोज *अन्नकूट*
*भाई-बहन* मे प्यार हो तो रोज *भाई दूज*
और *दोस्त,सखा,मित्र* साथ है तो हर रोज *त्यौहार
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16-10-2022
यदि आपको लगता है कि आप किसी बाधा से पीड़ित हैं, नजर जादू टोना या तंत्र मंत्र आपके जीवन में जहर घोल रहा है, आप उन्नति ही नहीं कर पा रहे अथवा भूत प्रेत की बाधा सता रही हो तो देवी के तंत्र बाधानाशक मंत्र का जाप करना चाहिए।
आटे के तीन दिये बनाएं व देसी घी डाल कर जलाएं।
कपूर से देवी की आरती करें।
रुद्राक्ष की माला से 7 माला का मंत्र जप करें।
मंत्र जाप के समय दक्षिण की तरफ मुख रखें।
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10-10-2022
मेरे श्रद्धेय
शरद पूर्णिमा पर मंगलकामनाए
शरद पूर्णिमा को अश्विन पूर्णिमा, कुमारपूर्णिमा ,कामोदी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा कोजागारा पूर्णिमा के नामों से भी जाना जाता है मान्यता है कि आज के दिन समुद्र मंथन से चंद्रमा का उदय हुआ था , आज के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं में रहता है , आज चंद्रमा की किरणों में अपरिमित ऊर्जा होती है, इसी कारण कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात अमृत बरसता है, एक मिथक है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों से निकलने वाली अमृत ऊर्जा को रावण ने अपनी नाभि में अमृत के रूप में संग्रहित किया था ,आज के दिन समुद्र में उठता ज्वार भाटा विज्ञान को भी एक संदेश दे रहा है, शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी का जन्म होना बताया जाता है, आज के दिन ही मां पार्वती ने माता लक्ष्मी को गणेश जी को दिया था,और उन्हें पूर्णता प्रदान की थी, औषधियों के देव अश्वनी कुमार का जन्म भी शरद पूर्णिमा के दिन ही हुआ था ,शरद पूर्णिमा के दिन सोम चक्र, नक्षत्रीय चक्र और अश्वनि चक्र का मिलन होता है , इस कारण इस समय में अपरिमित ऊर्जा संग्रहित रहती है और चंद्रमा की किरणों के रूप में प्रथ्वी में आती हैं, यह भी मान्यता है कि कुमार कार्तिकेय का जन्म भी शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था, इस कारण इसे कुमार पूर्णिमा भी कहते हैं आज के दिन मां कात्यायनी की तपस्या कर राधा जी ने कृष्ण को बुलाया था और राधा जी के साथ कृष्ण ने महारास रचाया था, इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं , बंगाल में शरद पूर्णिमा को कोजागारा पूर्णिमा कहते हैं, जिसका अर्थ है कौन जाग रहा है, कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में ऊर्जा के रूप में अमृत की वर्षा होती है, इस तरह की अनेक मान्यताएं शरद पूर्णिमा को लेकर हैं, ऊर्जा संग्रह के पावन पर्व शरद पूर्णिमा पर मेरी कामना है कि ,आपका जीवन ऊर्जामयी और अमृतमयी हो ।
बहुत सुंदर वर्णन भेजा है मित्र आपने
हो सकता है इतना अधिक ऊर्जावान प्रकाश पुंज एकत्रित करने के उद्देश्य से ही खीर बनाकर खुले आसमान में लटकाई जाती हो।
श्वेत रंग सभी प्रकार के रंगों से मिलकर बनता है, अर्थात सभी रंगों को धारण करने की क्षमता है। प्रकाश विज्ञान जानने वाले लोग फ़ोटान कण और फ़ोटान पैकेट के वारे में अच्छे से जानते हैं।
कितना अधिक विश्लेषित विस्तृत ज्ञान का संग्रह है हमारा सनातन धर्म।
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09-10-2022
Infact our jury system has gone rusted because of miss use of collegium pattern. Selection of judges should also come by open competition organized by central governance in between meritorious law students who have practised for at least 15 years without any black spot....
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08-10-2022
Enjoy the very much motivating interview of Mr Kapil Dev Ji by Link 👇👇
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Yes I never felt pressure, just enjoyed the responsibility given to me - whatever type - it was....🙏🙏
This is why - I have travelled the journey from a tutor to electrician to radio mechanic to TV engineer to computor engineer to computor assembler to industrial UPS engineer to data network service provider to interior designer to civil contractor to turnkey solutions provider for banks to turnkey Solar energy consultant at present. Even though I don't know what's in future.
सब ईश्वर जानें
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07-10-2022 COVID-19 fourth wave is knocking at door but beware stay safe and healthy.
Don't worry we will meet again open heartedly very soon.
प्रशंसा की इच्छा सब रखते हैं
होती मृत्योपरांत ही क्यों
जीवन्त हो, सामने हो, तो - बा.....त!
झूठी नहीं, सच्ची करो बरसात
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28-09-2022 COVID-19 fourth wave is knocking at door but beware stay safe and healthy.
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23-9-2022 COVID-19 fourth wave is knocking at door but beware stay safe and healthy.
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ज्यादा नाम आने पर प्रतियोगिता मंमं पद्धति अपनाई जाती है। इसका एक दूरगामी परिणाम है, वो ये कि हमारे आगे वाली पीढ़ी को जीवन की प्रतियोगिताओं में सहर्ष सम्मिलित होने की प्रेरणा मिलती है। जीतना सबको अच्छा लगता है, लेकिन हार को भुलाकर, जीतने वाले को सहर्ष बधाई देना और अगली बार प्रतियोगिता के लिए तैयार होना हमारे अपने जीवन में नई ऊर्जा का संचार करता है। हम स्वयं से प्रेरित होने लगें तो बढ़ता समय कभी भी थका नहीं सकेगा।
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17-9-2022 COVID-19 fourth wave is knocking at door but beware stay safe and healthy.
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साधुत्व से परिपूर्ण शासक कहें या सर्वशक्तिमान परब्रह्म के दूत का आकलन आप स्वयं करें (अपना स्वार्थ हटाकर)
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17-9-2022 COVID-19 fourth wave is knocking at door but beware stay safe and healthy.
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अभियन्ता विचारों को क्रियान्वित कर कुछ रासायनिक परिणाम देता है। इसी सिद्धांत को यदि गहराई से मनन करें तो इस धरती पर जीवित हर जीव एक विशेष श्रेणी का अभियन्ता सिद्ध होता है। इसी लिए सभी को आज के विशेष दिन
अभियन्ता दिवस की हृदयंगम शुभकामनाएं....🙏🙏💖🏹🔥
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10-9-2022 COVID-19 fourth wave is knocking at door but beware stay safe and healthy.
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कुछ थोड़ा सा पितृ पक्ष संबंधित ज्ञान प्राप्त हो गया जो आप लोगों से साझा कर रहा हूं। जहां न समझ आए उसे मेरे WhatsApp number +919425238422 पर पूंछ कर समझने समझाने का काम कर सकते हैं।
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तर्पण पितामह को जल देने का मंत्र
अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें, गोत्रे अस्मत्पितामह (पितामह का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से पितामह को भी 3 बार जल दें।दें। जल देते समय ध्यान करें कि वसु रूप में मेरे पिता जल ग्रहण करके तृप्त हों। इसके बाद पितामह को जल जल दें।
29-7-2022 COVID-19 fourth wave is knocking at door but beware stay safe and healthy.
Don't worry we will meet again open heartedly very soon
मेरे चन्द शब्दों से लोग मुझे समझना चाहते हैं...…
अबोध हैं....
किनारे से समंदर देखना चाहते हैं....
💖 से 🙏
8-7-2022 COVID-19 fourth wave is knocking at door but beware stay safe and healthy.
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सही में आशा बहुत ही सुन्दर है....
मेरी प्यारी सखी है हमेशा साथ रहती है....
आशा कल्पना और स्मृति बहुत ही सुन्दर हैं…..
मेरी प्यारी सखियां हैं....
हमेशा साथ रहती हैं....
आशा कल्पना से कह रही थी इतना समय मत लगाया कर। किस बात का गुमान है। तू नहीं आएगी तो क्या बहार नहीं आएगी।
कल्पना ने बहुत ही विनम्रता से कहा - "मुझे हर बार एक नये कलेवर में आना पड़ता है वर्ना उनकी भावना में आशा नहीं आएगी।
आशा है तो मन्नत के लिए पूजा अर्चना आरती संध्या के साथ आएंगी, फिर साधना के उपरान्त परिणाम के साथ स्मृति आती हैं।
अब ये जो स्मृति है न सारी उम्र चेतन अचेतन - निद्रा अनिद्रा हर अवस्था में साथ रहती है।"
बस यही कारण है कि बहुत सोच समझ कर पूरी तैयारी से उपस्थिति लगानी चाहिए। सृष्टि के सतत् क्रियान्वयन का कुछ सार भी ऐसा ही है......
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4-7-2022 COVID-19 fourth wave is knocking at door but beware stay safe and healthy.
Don't worry we will meet again open heartedly very soon.....
हां हूं मैं बेवकूफ़......
कल भी unsuccess था, आज भी unsuccess हूं
कल भी struggler था, आज भी struggler हूं
बस सँतुष्टि है कि सलाह लेने वाले सफल और सँतुष्ट हैं
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जानिए क्यों कलाई पर बांधा जाता है कलावा, क्या हैं इसके नियम, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व !
कब क्यों और कैसे शुरू हुआ कलावा बांधने का प्रचलन
हिंदू धर्म में कोई भी पूजा पाठ कभी बिना कलावे के संपन्न नहीं होता. कलावा को रक्षा सूत्र माना जाता है. मान्यता है कि कलावे की सूती डोर में स्वयं भगवान का वास होता है. इसे बांधने से व्यक्ति की तमाम विपत्तियों से रक्षा होती है. इसके अलावा व्यक्ति के अंदर सकारात्मकता आती है और उसके तमाम काम बनने लगते हैं. लेकिन कलावे को बांधते समय विशेष मंत्रोच्चारण किया जाता है, जिसका सही उच्चारण बहुत जरूरी है. तभी ये प्रभावी होता है. इसके अलावा भी कलावे के कुछ विशेष नियम हैं, जिनके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते. यहां जानिए इसके नियम, महत्व और विशेष मंत्र के बारे में.
शास्त्रों में बताया गया है कि कलावा बांधने की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी. जब भगवान विष्णु ने बामन अवतार में तीन पग धरती नाप ली थी, तो राजा बलि की दानवीरता से प्रसन्न होकर उन्होंने उसे पाताल लोक रहने के लिए दे दिया था. तब राजा बलि ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे भी उनके साथ पाताल लोक में आकर रहें. विष्णु जी ने प्रसन्न होकर उसकी ये प्रार्थना स्वीकार कर ली. इसके बाद माता लक्ष्मी भगवान विष्णु को वहां से वापस लाने के लिए भेष बदलकर पाताल पहुंची और बालि के सामने रोने लगीं कि मेरा कोई भाई नहीं है. इसके बाद बालि ने कहा आज से मैं आपका भाई हूं. इस पर माता लक्ष्मी ने तब राजा बलि को रक्षा सूत्र के तौर पर कलावा बांधा और उसे अपना भाई बना लिया. इसके बाद उपहार के तौर पर भगवान विष्णु को उनसे मांग लिया. तब से इस कलावे को रक्षा सूत्र के तौर पर बांधा जाने लगा.
तीन बार लपेटा जाता है कलावा
नियम के अनुसार कलावा कलाई पर सिर्फ तीन बार लपेटा जाता है. तीन बार लपेटने भर से व्यक्ति को ब्रह्मा, विष्णु और महेश, त्रिदेव की कृपा प्राप्त हो जाती है. त्रिदेव के आशीर्वाद के साथ ही सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती तीनों देवियों का भी आशीर्वाद मिलता है.
इस मंत्र का करें उच्चारण
आपने देखा होगा कि कोई भी पंडित कलावा बांधते समय एक मंत्र जरूर बोलता है. वो मंत्र है- ‘येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः, तेन त्वां मनुबध्नामि, रक्षंमाचल माचल’. मान्यता है कि इस मंत्र के साथ कलावा बांधने से वो प्रभावी हो जाता है. कलावे को पुरुष और कुंवारी कन्याओं के दाहिने हाथ की कलाई पर और शादीशुदा महिलाओं के बाएं हाथ की कलाई पर बांधना चाहिए. साथ ही कलावा बांधते समय मुट्ठी बंद होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए. महिलाएं अपना सिर किसी दुपट्टे आदि से ढंक सकती हैं.
कितने दिनों में बदलें कलावा
शास्त्रों में बताया गया है कि कलावा को हर अमावस्या पर उतार देना चाहिए और अगले दिन नया बांधना चाहिए. इसके अलावा ग्रहण काल के बाद कलावा बदलना चाहिए क्योंकि सूतक के बाद कलावा अशुद्ध हो जाता है और अपनी शक्ति खो देता है. कलावा उतारने के बाद उसे जल में प्रवाहित करना चाहिए या पीपल के नीचे रख दें. कभी किसी गंदे स्थान पर न फेंकें.
कलावा बांधने का वैज्ञानिक कारण
कलावा बांधने का धार्मिक कारण तो आपने जान लिया लेकिन इसका वैज्ञानिक कारण भी समझना चाहिए. शरीर के ज्यादातर अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती हैं. ऐसे में कलाई पर कलावा बांधने से नसों की क्रिया नियंत्रित बनी रहती है. शरीर में त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ का संतुलन बनता है, जिससे तमाम रोगों से बचाव होता है.
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27-6-2022 COVID-19 fourth wave is knocking our door but beware of it.......
We will meet openly with each other very soon......
Our time calculation
1974029124th year in continuation as per Bramh Samvat. 1,974,029,124th year.... thus we are having the oldest Callender - this is our time calculation
21-5-2022 COVID-19 fourth wave is knocking our door but beware of it.......
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भोजन थाल के चारों ओर जल छिड़क कर।
ईश्वर का ध्यान करिए 💖
तत्पश्चात हाथ में जल लेकर....👇👇
अन्नं ब्रम्हा, रसं विष्णुं,
भोक्ता देवो जनार्दनं,
एवं ध्यात्वा तथा ज्ञात्वा,
अन्न दोषो न लिप्यते।।
बोलते हुए जल को पान करिए।
परमात्मा का पुनः स्मरण करिए और प्रेम से गोविन्द गोविन्द या राधे राधे याद करते हुए भोजन ग्रहण करिए।
निरोगी काया पाइए....
🙏🙏🙏💖🏹🔥
21-5-2022 COVID-19 fourth wave is knocking our door but beware of it.......
We will meet openly with each other very soon.....
एक बहुत ही आकर्षक होमवर्क बच्चों के अभिभावकों हेतु -
एक स्कूल ने अपने बच्चों को छुट्टियों का एसाइनमेंट दिया है। जो बहुत ही सोच समझकर बनाया गया है। इसे पढ़कर अहसास होता है कि हम वास्तव में कहां आ पहुंचे हैं और अपने बच्चों को क्या दे रहे हैं।
वास्तव में स्कूल ने बच्चों के लिए नहीं बल्कि पेरेंट्स के लिए होमवर्क दिया है, जिसे हर एक पेरेंट को पढ़ना चाहिए।
उन्होंने लिखा:-
◆ पिछले 10 महीने आपके बच्चों की देखभाल करने में हमें अच्छा लगा। आपने गौर किया होगा कि, उन्हें स्कूल आना बहुत अच्छा लगता है। अगले दो महीने उनके प्राकृतिक संरक्षक - यानी आप उनके साथ छुट्टियां बिताएंगे। हम आपको कुछ टिप्स दे रहे हैं, जिससे ये समय उनके लिए उपयोगी और खुशनुमा साबित हो।
◆- अपने बच्चों के साथ कम से कम दो बार खाना जरूर खाएं। उन्हें किसानों के महत्व और उनके कठिन परिश्रम से प्रेक्टिकली अवगत कराएं और उन्हें बताएं कि अपना भोजन बेकार न करें।
◆- खाने के बाद उन्हें अपनी प्लेटें खुद धोने दें। इस तरह के कामों से बच्चे परिवार के प्रति अपना दायित्व समझेंगे।
◆- उन्हें अपने साथ खाना बनाने में मदद करने दें। उन्हें उनके लिए सब्ज़ी या फिर सलाद बनाने दें।
◆- दो-तीन पड़ोसियों के घर जाएं। उनके बारे में और जानें और घनिष्ठता बढ़ाएं।
◆- दादा-दादी/ नाना-नानी के घर जाएं और उन्हें बच्चों के साथ घुलने मिलने दें। उनका प्यार और भावनात्मक सहारा आपके बच्चों के लिए बहुत आवश्यक है। उनके साथ फ़ोटो लेवें।
◆- उन्हें अपने काम करने की जगह पर लेकर जाएं जिससे वो समझें कि, आप परिवार के लिए कितनी मेहनत करते हैं।
◆- किसी भी स्थानीय त्योहार या स्थानीय बाज़ार को मिस न करें (छोड़ें नहीं)।
◆- अपने बच्चों को किचन गार्डन बनाने के लिए बीज बोने के लिए प्रेरित करें। पेड़ पौधों के बारे में जानकारी होना भी आपके बच्चे के विकास के लिए आवश्यक है।
◆- अपने बचपन और अपने परिवार के इतिहास के बारे में बच्चों को बताएं।
◆- अपने बच्चों को बाहर जाकर खेलने दें, चोट लगने दें, गंदा होने दें। कभी कभार गिरना और दर्द सहना उनके लिए अच्छा है। सोफ़े के कुशन जैसी आराम की जिंदगी आपके बच्चों को आलसी बना देगी।
◆- उन्हें कोई पालतू जावनर जैसे कुत्ता, बिल्ली, चिड़िया या मछली पालने दें।
◆- उन्हें कुछ लोक गीत सुनाएं।
◆- अपने बच्चों के लिए रंग बिरंगी तस्वीरों वाली कुछ कहानी की किताबें लेकर आएं।
◆- अपने बच्चों को टीवी, मोबाइल फोन, कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स उपयोग करने से मना मत करिए, बल्कि समय का ऐसा प्रबंधन करिए कि उनका अधिकांश समय वास्तविक सामाजिक गतिविधियों में लगे। कारण ये कि, वास्तविक प्रगति समय पर उपलब्ध यथासंभव सभी तकनीकों का ज्ञान आवश्यक है। बस हमें किसी एक चीज में लिप्त हो कर बाक़ी सबसे दूर नहीं होना है।
◆- उन्हें चॉकलेट्स, जैली, क्रीम केक, चिप्स, गैस वाले पेय पदार्थ, बेकरी प्रोडक्ट्स और समोसे जैसे तले हुए खाद्य पदार्थों का स्वाद दिलाएं और इसके लाभ हानि से अवगत भी कराएं।
◆- अपने बच्चों की आंखों में देखें और ईश्वर को धन्यवाद दें कि उन्होंने इतना अच्छा उपहार आपको दिया। अब से आने वाले कुछ सालों में वो नई ऊंचाइयों पर होंगे।
माता-पिता होने के नाते ये आवश्यक है कि, आप अपना समय बच्चों को दें।
★ अगर आप माता-पिता हैं तो इसे पढ़कर आपकी आंखें नम अवश्य हुई होंगी और आखें अगर नम हैं तो, कारण स्पष्ट है कि, आपके बच्चे वास्तव में इन सब चीजों से दूर हैं।
★ *इस अध्यापन काल में बच्चों के साथ ऐसे कार्य करें, जिससे उनके अंदर त्याग, समर्पण, सेवा और परोपकार की भावना जागृत हो।*
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16-5-2022 COVID-19 fourth wave is knocking our door but beware of it.......
We will meet openly with each other very soon.....
निगाह ए क़रम हो उनका,
अर्ष से अश्क की बारिश हो जाए।
मुकद्दर खुले उनका,
हम बेपनाह खुश हो जाएं।।
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16-5-2022 COVID-19 fourth wave is knocking our door but beware of it.......
We will meet openly with each other very soon.....
Welcome - defragmented
W - worries
E - eliminated,
L - levitated
C - commercialisation
O - of
M - moment
E - entertainment
---🙏🙏 Welcome
Today's entertainment industry
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14-5-2022 COVID-19 fourth wave is knocking our door but beware of it.......
We will meet openly with each other very soon.....
बहुत ही सटीक विश्लेषण
*नदी से* - पानी नहीं , रेत चाहिए
*पहाड़ से* - औषधि नहीं , पत्थर चाहिए
*पेड़ से* - छाया नहीं , लकड़ी चाहिए
*खेत से* - अन्न नहीं , नकद फसल चाहिए
*उलीच ली रेत, खोद लिए पत्थर,*
*काट लिए पेड़, तोड़ दी मेड़*
रेत से पक्की सड़क , पत्थर से मकान बनाकर लकड़ी के नक्काशीदार दरवाजे सजाकर,
*अब भटक रहे हैं.....!!*
*सूखे कुओं में झाँकते,*
*रीती नदियाँ ताकते,*
*झाड़ियां खोजते लू के थपेड़ों में,*
*बिना छाया के ही हो जाती सुबह से शाम....!!!*
और गली-गली ढूंढ़ रहे हैं *आक्सीजन*
*सोने के अंडे के लालच में , मानव ने मुर्गी मार डाली !!!,*
---🙏🙏🙏💖🏹🔥
7-5-2022 COVID-19 fourth wave is knocking our door but beware of it.......
We will meet openly with each other very soon.....
चार मिले (eyes )
चौंसठ खिले (teeth)
बीस रहे कर जोड (fingers)
प्रेमी सज्जन जब मिले खिल गऐ सात करोड़ (रोम छिद्र -:
sweating pours all over body)
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4-5-2022 COVID-19 fourth wave is knocking our door but beware of it.......
We will meet openly with each other very soon.....
रामायण का अदभुद प्रसंग --भगवान श्री राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ तो उनकी पत्नी माँ सीता ने भी सहर्ष वनवास स्वीकार कर लिया। परन्तु बचपन से ही बड़े भाई की सेवा मे रहने वाले लक्ष्मण जी कैसे राम जी से दूर हो जाते! माता सुमित्रा से तो उन्होंने आज्ञा ले ली थी, वन जाने की.. परन्तु जब पत्नी उर्मिला के कक्ष की ओर बढ़ रहे थे तो सोच रहे थे कि माँ ने तो आज्ञा दे दी, परन्तु उर्मिला को कैसे समझाऊंगा!! क्या कहूंगा!! यदि बिना बताए जाऊंगा तो रो रोके जान दे देगी और यदि बताया तो साथ जाने की ज़िद्द करने लगेगी और कहेगी कि यदि सीता जी अपने पति के साथ जा सकती हैं तो मैं क्यों नहीं!!🐦
यहीं सोच विचार करके लक्ष्मण जी जैसे ही अपने कक्ष में पहुंचे तो देखा कि उर्मिला जी आरती का थाल लेके खड़ी थीं और बोलीं- "आप मेरी चिंता छोड़ प्रभु की सेवा में वन को जाओ। मैं आपको नहीं रोकुंगीं। मेरे कारण आपकी सेवा में कोई बाधा न आये, इसलिये साथ जाने की जिद्द भी नहीं करूंगी।"🐦
लक्ष्मण जी को कहने में संकोच हो रहा था। परन्तु उनके कुछ कहने से पहले ही उर्मिला जी ने उन्हें संकोच से बाहर निकाल दिया।🐦
वास्तव में यहीं पत्नी का धर्म है। पति संकोच में पड़े, उससे पहले ही पत्नी उसके मन की बात जानकर उसे संकोच से बाहर कर दे!
पत्नी का इतना त्याग और प्रेम देखकर लक्ष्मण जी भी रो पड़े। उर्मिला जी ने एक दीपक जलाया और विनती की कि मेरी इस आस को कभी बुझने नहीं देना। 🐦
लक्ष्मण जी तो चले गये परन्तु 14 वर्ष तक उर्मिला जी ने एक तपस्विनी की भांति कठोर तप किया। वन में भैया-भाभी की सेवा में लक्ष्मण जी कभी सोये नहीं परन्तु उर्मिला ने भी अपने महलों के द्वार कभी बंद नहीं किये और सारी रात जाग जागकर उस दीपक की लौ को बुझने नहीं दिया। 🐦
मेघनाथ से युद्ध करते हुए जब लक्ष्मण को शक्ति लग जाती है और हनुमान जी उनके लिये संजीवनी का पहाड़ लेके लौट रहे होते हैं, तो बीच में अयोध्या में भरत जी उन्हें राक्षस समझकर बाण मारते हैं और हनुमान जी गिर जाते हैं। तब हनुमान जी सारा वृत्तांत सुनाते हैं कि सीता जी को रावण ले गया, लक्ष्मण जी मूर्छित हैं। 🐦
यह सुनते ही कौशल्या जी कहती हैं कि राम को कहना कि लक्ष्मण के बिना अयोध्या में पैर भी मत रखना। राम वन में ही रहे।
माता सुमित्रा कहती हैं कि राम से कहना कि कोई बात नहीं। अभी शत्रुघ्न है। मैं उसे भेज दूंगी। मेरे दोनों पुत्र राम सेवा के लिये ही तो जन्मे हैं।🐦
माताओं का प्रेम देखकर हनुमान जी की आँखों से अश्रुधारा बह रही थी। परन्तु जब उन्होंने उर्मिला जी को देखा तो सोचने लगे कि यह क्यों एकदम शांत और प्रसन्न खड़ी हैं? क्या इन्हें अपनी पति के प्राणों की कोई चिंता नहीं?
हनुमान जी पूछते हैं- देवी! आपकी प्रसन्नता का कारण क्या है? आपके पति के प्राण संकट में हैं। सूर्य उदित होते ही सूर्य कुल का दीपक बुझ जायेगा। उर्मिला जी का उत्तर सुनकर तीनों लोकों का कोई भी प्राणि उनकी वंदना किये बिना नहीं रह पाएगा।🐦
वे बोलीं- "मेरा दीपक संकट में नहीं है, वो बुझ ही नहीं सकता। रही सूर्योदय की बात तो आप चाहें तो कुछ दिन अयोध्या में विश्राम कर लीजिये, क्योंकि आपके वहां पहुंचे बिना सूर्य उदित हो ही नहीं सकता।🐦
आपने कहा कि प्रभु श्रीराम मेरे पति को अपनी गोद में लेकर बैठे हैं। जो योगेश्वर राम की गोदी में लेटा हो, काल उसे छू भी नहीं सकता। यह तो वो दोनों लीला कर रहे हैं। मेरे पति जब से वन गये हैं, तबसे सोये नहीं हैं। उन्होंने न सोने का प्रण लिया था। इसलिए वे थोड़ी देर विश्राम कर रहे हैं। और जब भगवान् की गोद मिल गयी तो थोड़ा विश्राम ज्यादा हो गया। वे उठ जायेंगे।🐦
और शक्ति मेरे पति को लगी ही नहीं शक्ति तो राम जी को लगी है। मेरे पति की हर श्वास में राम हैं, हर धड़कन में राम, उनके रोम रोम में राम हैं, उनके खून की बूंद बूंद में राम हैं, और जब उनके शरीर और आत्मा में हैं ही सिर्फ राम, तो शक्ति राम जी को ही लगी, दर्द राम जी को ही हो रहा। इसलिये हनुमान जी आप निश्चिन्त होके जाएँ। सूर्य उदित नहीं होगा।"
वास्तव में सूर्य में भी इतनी ताकत नहीं थी कि लक्ष्मण जी के जागने से पहले वो उदित हो जाते! एक पतिव्रता तपस्विनी का तप उनके सामने खड़ा था। और मेघनाथ को भी लक्ष्मण जी ने नहीं, अयोध्या में बैठी एक तपस्विनी उर्मिला ने मारा।🐦
राम राज्य की नींव जनक की बेटियां ही थीं... कभी सीता तो कभी उर्मिला। भगवान् राम ने तो केवल राम राज्य का कलश स्थापित किया परन्तु वास्तव में राम राज्य इन सबके प्रेम, त्याग, समपर्ण, बलिदान से ही आया,,🐦
लिखने में कुछ शव्दों में गलती हो तो क्षमा करना..जय श्री राम।।
।।मेरे प्रभु राम।।मेरे राघब।।राजाराम। जय श्री राम।।
--🙏🙏🙏💖🏹🔥
28-04-2022 COVID-19 fourth wave is knocking our door, but beware of it.....
We all will meet openly with each other very soon.......
सभी व्यस्त हैं दूसरों को समझने में.…
ध्यान से स्वयं को पढ़ते, देवता हो जाते।।
--🙏🙏🙏💖🏹🔥
15-4-2022 COVID-19 fourth wave is knocking our door, but beware of it.....
We all will meet openly with each other very soon.......
सोलर पैनल खुद लगवाएंगे तो फ़ायदा आपको और मुझे होगा,
यदि किसी और को भी प्रेरित करेंगे तो फ़ायदा हम तीनों के अतिरिक्त इसे श्रंखला का रूप देने से कितने लोग लाभान्वित होंगे कल्पना नहीं की जा सकती....
---🙏🙏🙏
दरअसल अपने आप को पांचवां वर्ण साबित करने में देरी हमने ही की है। अभी भी समय है पूरे समाज को खुल कर सामने आना चाहिए और बताना चाहिए कि कायस्थ ही ऐसा कुल है जिसमें चारों वर्णों के गुण विद्यमान हैं - चित्रगुप्त जी ब्रम्हा जी की पूरी काया से निर्मित हैं - न कि किसी विशेष अंग से.......
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14-4-2022 COVID-19 fourth wave is knocking our door but beware of it....
We all will kiss each other very soon....
दर्द अपने होते हैं,
दूसरों की जागीर थोड़े न।
वो बहाने से आएं और,
हक जता कर चले जाएं।।
🙏🙏🙏💖🏹🔥
28-3-2022 COVID-19 third wave lockdowns gone, but beware of fourth wave due in short course......
ॐ श्री गणेशाय नमः .........
ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः...
ॐ नमः शिवाय .....
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीयमामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ.....
हे प्रभु श्री हरि,
मैं, मुझसे संबंधित जन, मेरे परिवार जन एवं उन सभी के परिवार जनों को सर्व साधन संपन्न इस प्रकार का जीवन प्राप्त हो ताकि आप द्वारा दिया गया ये जीवन आप ही की बनाई इस दुनिया को आपके दिशा निर्देशों द्वारा और भी अधिक सुंदर सृजनशील एवं सुदृढ़ करने में लग कर सार्थक सिद्ध हो, तदोपरांत आपकी अनन्य भक्ति को प्राप्त हो कर आप ही में विलीन हो जाएं......
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24-3-2022 COVID-19 third wave lockdowns gone but beware of fourth wave due in short course....
आए थे मेरा दुःख बांटने....
ख़ुश देखकर चल दिए....
आ जाओ मैं फिर से दुखी हूं....🙏🙏🙏
11-03-2022 COVID-19 third wave lockdowns gone but beware of fourth wave due in short time....
फ़िज़ा कैसी भी हो....
हमेशा मुस्कुराते रहना...
याद है तेरी वो सीख...
समय भी पूछता है अक्सर 👌👌
किस मिट्टी का बना है तू👏👏💋
After a long time, since return from Raipur to Lucknow in December. I was busy for opening of my firm, which could start operating on Basant Panchami 5-2-2022 dealing in as follows....
By the grace of Maan Sharda... opened my new counter
*दिव्य भोरमदेव (Divya Bhoramdev)*,
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- Solar Roof top On Grid & Off Grid , Solar flour mill (आटा चक्की), - Solar Submersible pump and related services
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*Know how about Solar energy....*
What's difference between "On grid & Off grid"...?🙏🙏💖
Off grid battery based
Means - on grid for earning and off grid for earning and saving with consumption in failure of electric supply.
23-01-2022 COVID-19 third wave lockdowns in continuation with the hope of pandemic to change in endemic.....🙏🙏
After a long wait-age since 11-11-2021 due to shifting from Raipur, Chhattisgarh, Bharat to Lucknow, Uttar Pradesh, Bharat
*वीर तुम अड़े रहो, रजाई में पड़े रहो*
ठंड है भई ठंड है, ये बड़ी प्रचंड है,,
कक्ष शीत से भरा है, बर्फ़ से ढकी धरा,,
यत्न कर संभाल लो, समय बस निकाल लो,,
*वीर तुम अड़े रहो, रजाई में पड़े रहो।।*
चाय का मजा रहे, पकोड़ा दल सजा रहे,,
मुंह कभी थके नहीं, रजाई भी हटे नहीं,,
लाख मिन्नतें कोई करे, स्नान से बचे रहो,,
*वीर तुम अड़े रहो, रजाई में पड़े रहो*
एक ही प्रण किए, रहें कंबलों को लिए,,
तुम निडर डटो वहीं, पलंग से हटो नहीं,,
मम्मी की लताड़ हो, या डैडी की दहाड़ हो,,
*वीर तुम अड़े रहो, रजाई में पड़े रहो*
शब्दों के बाण से, या बेलनों की मार से,,
पत्नी भड़क उठे, चप्पलें खड़क उठें,,
लानतें हज़ार हों, धमकियां या प्यार हो,,
*वीर तुम अड़े रहो, रजाई में पड़े रहो*
बधिर बन सुनो नहीं, कर्म से डिगो नहीं,,
प्रातः हो कि रात हो, संग हो न साथ हो,,
पलंग पर पड़े रहो, तुम वहीं डटे रहो,,
*वीर तुम अड़े रहो, रजाई में पड़े रहो*
*रजाईधारी सिंह 'दिनभर'*
From a conversation of WhatsApp replied by me....
Rather than being a cast follower, we must first try to be a human. Humanity is at top of all rules.
Sanatan Dharm is based fully on humanitarian feelings and we should always be careful of the peoples and countries who are always trying to disrupt our unity by virtue of castism and creating many different ways of worship saying religion of a group of particular peoples 🙏🙏🙏
We all Sanatan Dharm follower are children of that all mighty power the ईश्वर , so we all are brother sister only.
🙏🙏🙏💖🏹🔥
11-11-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking smelling possibilities of third wave too.
कुछ कहे अनकहे अनुभव......
पुस्तकों का महत्व अपनी जगह है,
सीख वही याद रहती है,
जो समय और लोग सिखाते हैं।
WhatsApp पर किसी सम्माननीय कवि की सीख भरी चार लाइनें आज बहुत अच्छी लगीं सो - व्याख्या सहित आपके समक्ष प्रस्तुत हैं। आनंद उठाइए.….
*ऐसा चमत्कार हिंदी में ही हो सकता है..!*
📖✍🏽👴🏽
*चार मिले चौंसठ खिले*
*बीस रहे कर जोड़!*
*प्रेमी सज्जन दो मिले*
*खिल गए सात करोड़!!*
मुझसे एक बुजुर्गवार ने इस कहावत का अर्थ पूछा....
काफी सोच-विचार के बाद भी जब मैं बता नहीं पाया,
तो मैंने कहा –
🤷🏻♂️
"बाबा आप ही बताइए,
मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा !"
तब एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ बाबा समझाने लगे –
🤓
"देखो बेटे, यह बड़े रहस्य की बात है...
चार मिले – मतलब जब भी कोई मिलता है...
🤓🤓
तो सबसे पहले आपस में दोनों की आंखें मिलती हैं...
इसलिए कहा, चार मिले..
फिर कहा, चौसठ खिले – यानि दोनों के बत्तीस-बत्तीस दांत..!
😄😀
कुल मिलाकर चौंसठ हो गए,
इस तरह “चार मिले, चौंसठ खिले”
हुआ..!"
“बीस रहे कर जोड़” –
दोनों हाथों की दस उंगलियां – दोनों व्यक्तियों की 20 हुईं – बीसों मिलकर ही एक-दूसरे को प्रणाम की मुद्रा में हाथ बरबस उठ ही जाते हैं..!" 🙏🏻🙏
“प्रेमी सज्जन दो मिले” – जब दो आत्मीय जन मिलें – यह बड़े रहस्य की बात है – क्योंकि मिलने वालों में आत्मीयता नहीं हुई तो
“न बीस रहे कर जोड़” होगा और न "चौंसठ खिलेंगे”
उन्होंने आगे कहा,
"वैसे तो शरीर में रोम की गिनती करना असम्भव है,
लेकिन मोटा-मोटा साढ़े तीन करोड़ बताते हैं, बताने वाले..!
तो कवि के अंतिम रहस्य –
“प्रेमी सज्जन दो मिले – खिल गए सात करोड़ !”
का अर्थ हुआ कि जब कोई आत्मीय हमसे मिलता है,
तो रोम-रोम खिलना स्वाभाविक ही है भाई – जैसे ही कोई ऐसा मिलता है,
तो कवि ने अंतिम पंक्ति में पूरा रस निचोड़ दिया – “खिल गए सात करोड़” यानि हमारा रोम-रोम खिल जाता है!"
एक-एक शब्द चासनी में डूबा हुआ,
हृदय को भावविभोर करता हुआ
🙏🙏🙏💖🏹🔥
10-11-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking smelling possibilities of third wave too.
यूं ही सवाल जवाब करते करते कुछ-कुछ होने लगा मस्तिष्क में जो ऐसा है....
बहुत तपिश है इस जहां में,
दूर कहीं सर्द हवाओं में,
चलें चिरकाल के साए में,
बाहें फैलाए हैं प्रतीक्षा में,
आ जा सदा के साए में।।
🙏🙏🙏💖🏹🔥
6-11-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking smelling possibilities of third wave too
धर्म हरि भगवान श्री चित्रगुप्त जी के कलम दावात पूजन दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏💖
🙏🙏 बहुत अच्छा होता, यदि किसी भी लेख में विद्यमान व्याकरणीय त्रुटियों को सुधारने के उपरांत ही आगे अग्रसारित किया जाता।
क्योंकि बाकी सभी लोग ये मानते हैं कि कलम के धनी लोग जो लिखते हैं वो बिल्कुल सही होता है और शत प्रतिशत अनुकरण कर लेते हैं। इससे हमारे कुल पिता भगवान चित्रगुप्त जी को भी कहीं न कहीं थोड़ा बहुत दु:ख अवश्य होता होगा।
जिससे हमारी-आपकी अति उत्तम भाषा धीरे-धीरे कलुषित होती जाती है और कुछ समयोपरांत अशुद्धि युक्त भाषा प्रचलन में मान्य हो जाती है। अब इसे सुधारने में बहुत समय लगता है। तो क्यों न हम हर बार कुछ भी लिखने के बाद किसी को भेजने या प्रदर्शित करने से पहले स्वयं दो तीन बार पढ़ लें, विश्वास कीजिए आपकी अस्सी प्रतिशत गलतियां आप स्वत: ही सही कर लेंगे। बाकी बची बीस प्रतिशत गलतियां, अपनी जानकारी में किसी ऐसे व्यक्ति से संपर्क कर लें जो भाषा की व्याकरणीय और शब्द संकलन तकनीक में निपुण हों।
धन्यवाद।
🙏🙏🙏💖🏹🔥
चित्रगुप्त जी को लिखे गये इस वर्ष के पत्र......
4-11-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking smelling possibilities of third wave too
ॐ श्री गणेशाय नमः .........
ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः....
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं स्थिर लक्ष्मी महाधनं देहि श्रीं ह्रीं ॐ नमः....
हे प्रभु श्री हरि,
मैं, मुझसे संबंधित जन, मेरे परिवार जन एवं उन सभी के परिवार जनों को सर्व साधन संपन्न इस प्रकार का जीवन प्राप्त हो ताकि आप द्वारा दिया गया ये जीवन आप ही की बनाई गई इस दुनिया को आपके दिशा निर्देशों द्वारा और भी अधिक सुंदर सृजनशील एवं सुदृढ़ करने में लग कर सार्थक सिद्ध हो। तदोपरांत आपकी अनन्य भक्ति को प्राप्त हो कर आप ही में विलीन हो जाएं......
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१. एक बहुत ही गहन विचार विमर्श का विषय है...........
कोई भी जन्म तो साधारण मनुष्य रूप में लेता है तदोपरांत कुछ विशेषताएं ग्रहण करने से मानव या दानव बन जाता है। लेकिन मानवों में वह कायस्थ, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य या शूद्र वर्ण में कैसे पहुंचता है।
ये बहुत ही गहराई से अध्ययन का विषय है.......
२. संदेश तो बहुत अच्छे-अच्छे लोग दे रहे हैं, देखते हैं वास्तविकता में कितने लोगों ने इस दीपावली अपने मस्तिष्क को स्वच्छ किया और दीन हीन निराधार लोगों के बीच अपने आनंद को बांट कर उल्लास पूर्ण उत्सव मनाया......
🙏🙏🙏💖🏹🔥
3-11-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking smelling possibilities of third wave too
आज नरक चतुर्दशी के शुभ अवसर की विशेष नमस्कार आप सभी स्नेहीजनों को🙏🙏
नरक चतुर्दशी पर इन मंत्रों से कीजिए बजरंगबली को प्रसन्न
हनुमान बीज मंत्र: ॐ ऐं भ्रीम हनुमते, श्री राम दूताय नम:.
मनोजवं मारुतुल्यवेगं जितेंद्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्. वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये..
अतुलित बलधामं, हेमशैलाभदेहमं. दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्.
सकलगुण निधानं, वानराणामधीशम्. रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातम् नमामि..
ओम नमो हनुमते रुद्रावतराय वज्रदेहाय वज्रनखाय वज्रसुखाय वज्ररोम्णे वज्रनेत्राय वज्रदंताय वज्रकराय वज्रभक्ताय रामदूताय स्वाहा.
ओम नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसहांरणाय सर्वरोगाय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा.
हनुमान अष्टदशाक्षर मंत्र: 'नमो भगवते आन्जनेयाये महाबलाये स्वाहा.
🙏🙏🙏💖🏹🔥
2-11-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking smelling possibilities of third wave too
आज धनतेरस के शुभ अवसर की विशेष नमस्कार आप सभी स्नेहीजनों को🙏🙏
ॐ श्री गणेशाय नमः .........
ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः.....
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
ॐ नमो भगवते महा सुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वन्तरये
अमृत कलश हस्ताय सर्व भय विनाशाय सर्व रोग निवारणाय
त्रैलोक्य पतये, त्रैलोक्य निधये
श्री महा विष्णु स्वरूप, श्री धन्वंतरि स्वरुप
श्री श्री श्री औषधि चक्र नारायणाय स्वाहा!..
ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धि में देहि दापय।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
हे प्रभु श्री हरि,
मैं, मुझसे संबंधित जन, मेरे परिवार जन एवं उन सभी के परिवार जनों को सर्व साधन संपन्न इस प्रकार का जीवन प्राप्त हो ताकि आप द्वारा दिया गया ये जीवन आप ही की बनाई गई इस दुनिया को आपके दिशा निर्देशों द्वारा और भी अधिक सुंदर सृजनशील एवं सुदृढ़ करने में लग कर सार्थक सिद्ध हो। तदोपरांत आपकी अनन्य भक्ति को प्राप्त हो कर आप ही में विलीन हो जाएं......
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23-10-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking smelling possibilities of third wave
एक अजीब सी बहस छिड़ी हुई है Online Off-line controversy related
आप सारे लोग व्यर्थ में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। वास्तव में अगर देखें तो ट्रेन टिकट, एयर टिकट, हास्पिटल रिज़र्वेशन, एयर एम्बुलेंस इत्यादि बहुत सारे ऐसे काम हैं जो आप स्वयं इन्टरनेट पर निर्भर हैं। इसके अलावा शिक्षा संबंधी बहुत सारे विषय हैं जिनकी सामग्री इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
हो सकता है आप मेरी इन बातों से सहमत न हों।
एकबार को ह्रदय से सोचिए भूतकाल में यदि लोगों ने भोले भाले ग्राहकों को धोखा न दिया होता तो इस आनलाइन व्यवस्था का जन्म ही न हुआ होता। जिस प्रकार सरकारी कार्यालयों में जन सुविधा के लिए बैठाए गए अधिकारियों की लापरवाही की वजह से पूरी सरकारी व्यवस्था बदली जा रही है।
अंत में यही विनती करता हूं सब लोग एक-दूसरे का सच्चा हित सोचकर व्यवहार करें तो उत्तम रहेगा।
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9-10-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking smelling possibilities of third wave too....
मां सरस्वती वंदना जो मुझे अच्छी लगती है....
होने को बहुत सारी हैं पर पता नहीं क्यों बचपन से ही मुझे ये अच्छी लग गई.....🙏🙏👇👇
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
अर्थ : जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें। ..
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीम् अभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विद्यतीम् पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥
अर्थ : जिनका रूप श्वेत है, जो ब्रह्मविचार की परम तत्व हैं, जो संपूर्ण संसार में विद्यमान हैं, जो हाथों में वीणा और पुस्तक धारण किये रहती हैं, अभय दान देती हैं, मूर्खतारूपी अन्धकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिकमणि की माला लिए रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और बुद्धि देनेवाली हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वन्दना करता हूँ । .. iska arth bilkul bhi ye nahi hai ki jin shabdon ka prayog unki upma ke liye kiya gaya hai vo bilkul vaisi hi hai apitu sarswti maa in sbdo se pare hai.
सरस्वती मंत्र उच्चारित करें
(1) सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा।
हे सबकी कामना पूर्ण करने वाली माता सरस्वती, आपको नमस्कार करता हूँ।
मैं अपनी विद्या ग्रहण करना आरम्भ कर रहा हूँ , मुझे अभीष्ट कार्य में सिद्धि मिले।
(2)
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
🙏🙏🙏💖🏹🔥
30-09-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking smelling possibilities of third wave too
Come on, let us learn Hindi year system - how scientific is this........👇👇👇
https://m-hindi.webdunia.com/sanatan-dharma-niti-niyam/hindu-calendar-and-ephemeris-116012700014_1.html?amp=1#aoh=16330156630598&referrer=https%3A%2F%2Fwww.google.com&_tf=From%20%251%24s
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26-9-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking smelling possibilities of third wave too...
*खीर खाओ-मलेरिया भगाओ*
हम सब जानते है कि मच्छर के काटने से मलेरिया होता है। वर्ष में कम से कम 1500 बार तो मच्छर काटते ही होगें अर्थात् 70 वर्ष की आयु तक लाखों बार तो मच्छर काटते ही होंगे। लेकिन अधिकांश लोगों को जीवनभर में दो-चार बार ही मलेरिया होता है। सारांश यह कि, मच्छर के काटने से मलेरिया होता है, यह 1%से अधिक सही नहीं है।
बैक्टीरिया बिना वातावरण के पनप नहीं सकते। जैसे दूध में केवल दही डालने से दही नहीं बनता। दूध हल्का गर्म होना चाहिए। उसे ढंककर गर्म जगह में रखना होता है। बार-बार हिलाने से भी दही नहीं जमता। अर्थात जब तक 6 घंटे पूरा वातावरण नहीं मिलता, दही नहीं जमता। ऐसे ही मलेरिया के बैक्टीरिया को जब पित्त का वातावरण मिलता है तभी वह 4 दिन में पूरे शरीर में फैलता है नहीं तो थोड़े समय में ही खत्म हो जाता है। सारे मच्छर मार प्रयासों के बाद भी मच्छर या और कोई रोगवाहक सूक्ष्म कीट नहीं काटेंगे यह हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन पित्त को नियंत्रित रखना हमारे हाथ में है।
वर्षा के बाद शरद ऋतु आती है। आकाश में बादल-धूल न होने से कड़क धूप पड़ती है, जिससे शरीर में पित्त कुपित होता है। इसी समय गड्ढों में जमा पानी के कारण बहुत बड़ी मात्रा में मच्छर पैदा हो जाते हैं। इससे मलेरिया होने का खतरा सबसे अधिक होता है।
खीर खाने से पित्त का शमन होता है। शरद ऋतु में ही पितृ पक्ष (श्राद्ध) आता है। पितरों का मुख्य भोजन है खीर। इस दौरान 5-7 बार खीर खाना हो जाता है। इसके बाद शरद पूर्णिमा को रातभर चांदनी के नीचे चांदी के पात्र में रखी खीर सुबह खाई जाती है (पात्र न हो तो चांदी का चम्मच खीर में डाल दें)। यह खीर
विशेष ठंडक पहुंचाती है। गाय के दूध की हो तो विशेष गुणकारी भी है। इससे मलेरिया होने की संभावना नहीं के बराबर रह जाती है।
*ध्यान रहे :* इस ऋतु में बनाई गई खीर में केसर और मेवों आदि का प्रयोग नहीं होता है। मलेरिया होने के बाद कड़वी दवाइयाँ खाकर, हजारों रुपये खर्चकर, जोखिम उठाकर ठीक होने में अधिक वैज्ञानिकता है या स्वादिष्ट व पौष्टिक खीर खाकर मलेरिया होने ही न देने में अधिक वैज्ञानिकता है?
आज भयंकर षड्यंत्र के तहत आयुर्वेद की शिक्षा दी नहीं जा रही है। बड़ी धूर्तता से हमारे स्कूलों से निकले लोगों में यही धारणा बैठा दी गई है कि, आयुर्वेद मात्र जड़ी-बूटी चिकित्सा शास्त्र (हर्बल थेरेपी) है। जबकि जड़ी-बूटी तो आयुर्वेद का मात्र 10% है, 90% आयुर्वेद तो हमारी समृद्ध परंपराओं में वैज्ञानिक आधार से परिपूर्ण है।
*अमावस/पूर्णिमा*
अब तक हम समझ चुके हैं कि जल में ठंडक है, जबकि चिकनाई बिल्कुल नहीं है। इसलिए जल वात को बढ़ाता है। चंद्रमा का संबंध जल से है - चंद्रमा के कारण ही समुद्र में ज्वार-भाटा आता है। पूर्णिमा के दिन शरीर में वात बढ़ता है। चंद्रमा का संबंध मन से है और मन का वात से।
अत: बहुत से व्यक्तियों में पूर्णिमा / ग्रहण के दिन या इसके आस-पास चिड़चिड़ापन-उग्रता, सनक, बेचैनी आदि मानसिक लक्षण प्रकट होते हैं या दर्द आदि शारीरिक लक्षण बढ़ जाते हैं तो ऐसे व्यक्ति निश्चित रूप से वात के रोगी हैं। ऐसे लोगों के लिए पूर्णिमा के तीन दिन पहले से ही वातशामक उपाय विशेष रूप से करने चाहिए।
अमावस के दिन चंद्रमा का अभाव हो जाता है। इसलिए ठंडक के अभाव में शरीर में पित्त कुपित होता है। पित्त का संबंध उष्णता से है इसलिए शरीर में उष्णता बढ़ती है। खीर पित्त को कम करती है इसलिए देश के बहुत बड़े हिस्से में अमावस के दिन खीर खाने का विधान है।पित्त का संबंध बुद्धि से है, पित्त कुपित होने से गलत निर्णय होने, शीघ्र क्रोध आने की संभावना रहती है। इसलिए नये कार्यों को टाला जाता है। प्राय: गाँवों में अमावस के दिन छुट्टी रखी जाती है।
*आईये! खीर खायें-मलेरिया भगायें।* खीर खाते समय यह भी याद रखें कि क्या एक कटोरी खीर किसी ऐसे व्यक्ति को भी खिलायी जा सकती है जिसके पास खीर पहुंचने की संभावना ही न हो?
*जय हो पितृ गणों की - खीर के उपहार में वंशजों का उपचार भी गूंथ कर परम्परा डाल दी।*
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8-9-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking..... With smelling possibilities of this wave too.
Bringing Shri Ganapati Idol at home for worship
1. The head of the family, along with other members of the household, should go to bring the Idol home from its sculptor.
2. The individual holding the Idol should wear Hindu attire, that is, kurta-dhoti or kurta-pyjama. He should also wear a topi (Bharatiya cap).
3. While bringing the Idol, cover it with a clean silk, cotton or khadi cloth. While entering the house, the Idol should face the individual holding it. The front of the Idol emits saguntattva (Materialised Principle), while the rear portion emits nirguntattva (Non-materialised Principle). The individual who holds the Idol is the worshipper. He represents sagun activity. Since he faces the front of the Idol he gets the benefit of saguntattva, while others get the benefit of nirguntattva.
4. Bring the Idol home while hailing Shri Ganapati’s Name loudly and chanting His Name with bhav (Spiritual emotion).
5. Stand outside the entrance of the house. A married woman from the household should first pour milk and then water on the feet of the individual holding the Idol.
6. Before entering the house, turn the Idol around so that it faces the front. Perform aukshan (Ritual of waving a lit lamp) of the Idol.
7. Place some rice grains on a wooden seat where the Idol is to be worshipped and place the Idol on the wooden seat.
8. Use rangoli patterns (that attract the Shri Ganapati Principle) for decoration around Shri Ganapati.
Reference : Sanatan’s Holy Text ‘Shri Ganapati’
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2-9-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking
वैक्सीन ही संजीवनी है
आत्मा से मिलो
शरीर से नहीं
दूरी अभी मजबूरी है
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23-8-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking
*गायत्री माता के ये 24 मंत्र भी हैं शक्तिशाली;*
गायत्री मंत्र के अलावा गायत्री के ये 24 मंत्र भी हैं जिनमें हैं 24 देवताओं का वास, इन मंत्रों के जप से हो जाता हैं सभी कष्टों का नाश । भूत प्रेत, चोर डाकू, राज कोप, आशंका, भय, अकाल मृत्यु, रोग और अनेक प्रकार की बाधाओं का निवारण करके मनुष्य को सदैव तेजस्वी बनाये रखता है । इन मंत्रों को प्रतिदिन जपने से सुख, सौभाग्य, समृद्धि और ऎश्वर्य की प्राप्ति होती है ।
*1- गणेश गायत्री:-* यह मंत्र समस्त प्रकार के विघ्नों का निवारण करने में सक्षम है ।
*मंत्र-*
*।। ॐ एक दन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दंति प्रचोदयात् ।।*
*2- नृसिंह गायत्री:-* इस मंत्र से पुरषार्थ एवं पराक्रम की बृद्धि होती है ।
*मंत्र-*
*।। ॐ उग्रनृसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि। तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात् ।।*
*3- विष्णु गायत्री:-* यह मंत्र पारिवारिक कलह को समाप्त करता है ।
*मंत्र-*
*।। ॐ नारायण विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु: प्रचोदयात् ।।*
*4- शिव गायत्री:-* यह मंत्र सभी प्रकार का कल्याण करने में अद्भूत कार्य कर्ता है ।
*मंत्र-*
*।। ॐ पंचवक्त्राय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ।।*
*5- कृष्ण गायत्री:-* यह मंत्र कर्म क्षेत्र की सफलता हेतु बड़ा ही लाभकारी है ।
*मंत्र-*
*।। ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात् ।।*
*6- राधा गायत्री:-* यह मंत्र प्रेम का अभाव दूर करके पूर्णता प्रदान करता है ।
*मंत्र-*
*।। ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि। तन्नो राधा प्रचोदयात् ।।*
*7- लक्ष्मी गायत्री:-* यह मंत्र पद प्रतिष्ठा, यश ऐश्वर्य और धन सम्पति प्रदान करता हैं
*मंत्र-*
*।। ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि । तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।।*
*8- अग्नि गायत्री:-* यह मंत्र इंद्रियों की तेजस्विता को बढ़ाता है ।
*मंत्र-*
*।। ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि। तन्नो अग्नि: प्रचोदयात् ।।*
*9- इन्द्र गायत्री:-* यह मंत्र दुश्मनों के हमले से बचाता है ।
*मंत्र-*
*।। ॐ सहस्त्रनेत्राय विद्महे वज्रहस्ताय धीमहि। तन्नो इन्द्र: प्रचोदयात् ।।*
*10- सरस्वती गायत्री:-* इस मंत्र से ज्ञान बुद्धि की वृद्धि होती है एवं स्मरण शक्ति बढ़ती है ।
*मंत्र-*
*।। ॐ सरस्वत्यै विद्महे ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात् ।।*
*11- दुर्गा गायत्री:-* यह मंत्र दुखः, पीड़ा ही नहीं शत्रुओं का नाश, विघ्नों पर विजय दिलाता हैं ।
*मंत्र-*
*।। ॐ गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।।*
*12- हनुमान गायत्री:-* यह मंत्र कर्म के प्रति निष्ठा की भावना जागृत करता हैं ।
*मंत्र-*
*।। ॐ अंजनी सुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो मारुति: प्रचोदयात् ।।*
*13- पृथ्वी गायत्री:-* यह मंत्र दृढ़ता, धैर्य और सहिष्णुता की वृद्धि करता है ।
*मंत्र-*
*।। ॐ पृथ्वीदेव्यै विद्महे सहस्त्रमूत्यै धीमहि। तन्नो पृथ्वी प्रचोदयात् ।।*
*14- सूर्य गायत्री:-* इस मंत्र से शरीर के सभी रोगों से मुक्ति मिल जाती है ।
*मंत्र-*
*।। ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि । तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ।।*
*15- राम गायत्री:-* इस मंत्र से मान प्रतिष्ठा बढती है ।
*मंत्र-*
*।। ॐ दशरथाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि। तन्नो राम: प्रचोदयात् ।।*
*16- सीता गायत्री:-* यह मंत्र तप की शक्ति में वृद्धि करता है।
*मंत्र-*
*।। ॐ जनकनन्दिन्यै विद्महे भूमिजायै धीमहि। तन्नो सीता प्रचोदयात् ।।*
*17- चन्द्र गायत्री:-* यह मंत्र निराशा से मुक्ति दिलाता है और मानसिकता भी प्रबल होती है ।
*मंत्र-*
*।। ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृतत्त्वाय धीमहि। तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात् ।।*
*18- यम गायत्री:-* इस मंत्र से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है ।
*मंत्र-*
*।। ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे महाकालाय धीमहि । तन्नो यम: प्रचोदयात् ।।*
*19- ब्रह्मा गायत्री:-* इस मंत्र से व्यापारिक संकट दूर हो जात है ।
*मंत्र-*
*।।ॐ चतुर्मुखाय विद्महे हंसारुढ़ाय धीमहि। तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् ।।*
*20- वरुण गायत्री:-* यह मंत्र व्यक्ति के भीतर प्रेम भावना जागृत करता है, जिससे भावनाओं का उदय होता हैं ।
*मंत्र-*
*।। ॐ जलबिम्वाय विद्महे नीलपुरुषाय धीमहि। तन्नो वरुण: प्रचोदयात् ।।*
*21- नारायण गायत्री:-* यह मंत्र प्रशासनिक प्रभाव बढ़ता है।
*मंत्र-*
*।। ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि । तन्नो नारायण: प्रचोदयात् ।।*
*22- हयग्रीव गायत्री:-* यह मंत्र समस्त भयो का नाश करता है ।
*मंत्र-*
*।। ॐ वागीश्वराय विद्महे हयग्रीवाय धीमहि । तन्नो हयग्रीव: प्रचोदयात् ।।*
*23- हंस गायत्री:-* इस मंत्र से विवेक शक्ति का विकाश होता है, बुद्धि भी प्रखर होती है ।
*मंत्र-*
*।। ॐ परमहंसाय विद्महे महाहंसाय धीमहि। तन्नो हंस: प्रचोदयात् ।।*
*24- तुलसी गायत्री:-* इस मंत्र से परमार्थ की भावना जाग्रत होती हैं ।
*मंत्र-*
*।। ॐ श्रीतुलस्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि । तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।*
🙏🙏🙏🏹💖🔥
23-8-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking......
है समय कुछ ऐसा जो मांग रहा मित्रों का आपसी सहयोग। फिर से लोग अपने आस पास के लोगों से वस्तु विनिमय करके सहयोग करें - वो व्यक्ति आपके पड़ोस का दुकान वाला मित्र हो सकता है या आपका मित्र जो आनलाइन मार्केटिंग कर रहा हो और वापसी की सुविधा भी देता हो।
लोग शुभेच्छा और आशीर्वाद बहुत देते हैं, लेकिन जब कोई प्रोडक्ट खरीदना होता है तो भूल जाते हैं, चले जाते हैं नामी गिरामी ब्रांडों के पास, अब आप सोचिए कि उस कम आय (आमदनी) वाले व्यक्ति को तो आप ही का सहारा है न।
मित्र मंडली की सूची इतनी बड़ी हो है, कि यदि हर व्यक्ति वर्ष भर में केवल दो बार ही कोई एक सामान खरीदता है, तो विश्वास मानिए सोशल मीडिया पर रिसेलिंग करने वाले आराम से जी रहे होते, लेकिन नहीं साहब यहां तो चलन चल पड़ा है -
"और कैसे हो सब मजे में न, अरे यार खुश रहा करो, खुशी से बड़ी कोई दवा नहीं"
अब बताइए जब दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति न हो सके तो कोई - घंटा - खुश होगा......!!!
यदि ये लेख कुछ असरदार लग रहा हो तो अपने लोगों में फैलाइए, ताकि स्वदेशी व्यावसायिक प्रतिष्ठान आनलाइन/ अॉफलाइन कोई भी हों फलें फूलें!!!!....
जय हिन्द, जय भारत, जय भारती, वंदेमातरम......
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16-8-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking
🙏🙏पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय ....ढाई अक्षर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय🌞🌞
जानिए ढाई अक्षर क्या है-
*ढाई अक्षर के ब्रह्मा और ढाई अक्षर की सृष्टि*
*ढाई अक्षर के विष्णु और ढाई अक्षर के लक्ष्मी*
*ढाई अक्षर के कृष्ण और ढाई अक्षर की कान्ता।(राधा रानी का दूसरा नाम)*
*ढाई अक्षर की दुर्गा और ढाई अक्षर की शक्ति*
*ढाई अक्षर की श्रद्धा और ढाई अक्षर की भक्ति*
*ढाई अक्षर का त्याग और ढाई अक्षर का ध्यान*
*ढाई अक्षर की तुष्टि और ढाई अक्षर की इच्छा*
*ढाई अक्षर का धर्म और ढाई अक्षर का कर्म*
*ढाई अक्षर का भाग्य और ढाई अक्षर की व्यथा*
*ढाई अक्षर का ग्रन्थ और ढाई अक्षर का सन्त*
*ढाई अक्षर का शब्द और ढाई अक्षर का अर्थ*
*ढाई अक्षर का सत्य और ढाई अक्षर की मिथ्या*
*ढाई अक्षर की श्रुति और ढाई अक्षर की ध्वनि*
*ढाई अक्षर की अग्नि और ढाई अक्षर का कुण्ड*
*ढाई अक्षर का मन्त्र और ढाई अक्षर का यन्त्र*
*ढाई अक्षर की श्वांस और ढाई अक्षर के प्राण*
*ढाई अक्षर का जन्म ढाई अक्षर की मृत्यु*
*ढाई अक्षर की अस्थि और ढाई अक्षर की अर्थी*
*ढाई अक्षर का प्यार और ढाई अक्षर का युद्ध*
*ढाई अक्षर का मित्र और ढाई अक्षर का शत्रु*
*ढाई अक्षर का प्रेम और ढाई अक्षर की घृणा*
*जन्म से लेकर मृत्यु तक हम बंधे हैं ढाई अक्षर में।*
*हैं ढाई अक्षर ही वक़्त में और ढाई अक्षर ही अन्त में।*
*समझ न पाया कोई भी है रहस्य क्या ढाई अक्षर में।*
ॐ नमो नारायण🙏🌷
🙏🙏🙏💖🏹🔥
30-7-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking
प्राचीन भारत में मंदिर बनाने का नक्शा कुण्डलिनी जाग्रत करने के स्थान थे.....
प्राचीन भारत में मंदिर बनाने से पहले जगह और दिशा का विशेष महत्व होता था | मंदिरों का निर्माण अलग-अलग शैलियों के हिसाब से हुआ करता था, पर अधिकतर मंदिर ऐसी पद्धति से बनते थे, जिसमें हर एक कुण्डलिनी चक्र के हिसाब से गर्भगृह, मंडप, प्रस्थान, परिक्रमा आदि का निर्माण होता था और जिस चक्र के हिसाब से उस जगह का निर्माण होता था वहा व्यक्ति को चलकर या बैठकर उस चक्र को जागृत करने में सहयोग मिलता था | यही कारण होता है, कि प्राचीन मंदिरों में आज भी जाने पर व्यक्ति को मानसिक रूप से शांति और संतुष्टि का अनुभव होता है | एक चित्र साझा कर रहे हैं, जिसमें आपको बताया गया है, कि मंदिर निर्माण का विचार कैसा होता था.......!!
22-7-21 COVID-19 second wave lockdowns unlocking
#जय_श्री_राम
जय श्री राम 🙏🏻😊
*भाईयों, गौर से पढ़ लीजिये, क्रास चेक भी कर लीजिये फिर भी कुछ कमी रह गई हो या छूट गया हो तो भाई कृपया पूरा कर दीजियेगा*
*"हिन्दुओं की आस्था के लिये सरकार द्वारा किये गये/किये जा रहे काम जिसकी जानकारी हर हिन्दू के पास होनी चाहिये ।*_
(आत्मघाती आचरण छोड़िये, आगे बहुत कुछ बाकी है)
================
📌 "राम मंदिर" बनवा रहे हो
📌 "काशी विश्वनाथ कॉरिडोर" बनवा रहे हो
📌 "विंध्याचल कॉरिडोर" बनवा रहे हो
📌 "चार धाम को रेल रोड हवाई कनेक्टिविटी" से जोड़ रहे हो
📌 "धारा 370 और 35ए" हटा रहे हो
📌 "CAA" ला रहे हो
📌 4 वर्षों से यूपी में "रक्षाबंधन के पर्व पर बहनों/महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा" करवा रहे हो
📌 "श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा" करवा रहे हो
📌 यूपी में "रंगोत्सव, दीपोत्सव, कृष्ण जन्मोत्सव" धूमधाम से मना रहे हो
📌 अयोध्या में लाखों "दीप जलवाकर" विश्व रिकॉर्ड बनवा रहे हो
📌 "दिव्य कुंभ, भव्य कुंभ" का सफल आयोजन करवा रहे हो
📌 "अयोध्या, काशी, मथुरा, वृंदावन, चित्रकूट, विंध्याचल" का विकास और सौंदर्यीकरण करवा रहे हो
📌 "रामायण सर्किट, कृष्ण सर्किट" बनवा रहे हो
📌 "कैलाश मानसरोवर भवन" बनवा रहे हो
📌 "लव जिहाद के खिलाफ" कानून बना रहे हो
📌 "जबरन धर्मांतरण के खिलाफ" कानून बना रहे हो
📌 "दंगे के खिलाफ वसूली" का सख्त कानून बना रहे हो
📌 सदियों से बंद "अक्षय वट, सरस्वती कूप" को श्रद्धालुओं के लिए खुलवा रहे हो
📌 "अकबर किले में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित" करवा रहे हो
📌 "रामेश्वरम को रामसेतु से जोड़ने वाला पंबन ब्रिज" बनवा रहे हो
📌 "रामायण एक्सप्रेस" चलवा रहे हो
📌 अयोध्या में "रामायण संग्रहालय" बनवा रहे हो
📌 अयोध्या में "251 मीटर ऊंची भगवान राम की भव्य प्रतिमा" बनवा रहे हो
📌 "अयोध्या से जनकपुरी (नेपाल) तक बस सेवा" शुरू करवा रहे हो
📌 मथुरा में "कृष्ण लीला संग्रहालय" बनवा रहे हो
📌 "विश्व की सबसे बड़ी श्रीमद् भागवत गीता का अनावरण" कर रहे हो
📌 "बहरीन में 200 साल पुराने कृष्ण मंदिर का पुनरुद्धार" करवा रहे हो
📌 "84 कोस परिक्रमा मार्ग 4 लेन" का बनवा रहे हो
📌 "केदारनाथ धाम का पुनरोद्धार"
📌 "कैलाश मानसरोवर तक रोड" बनवा रहे हो
📌 "कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने के लिए 1 लाख की सब्सिडी" दे रहे हो
📌 काशी में "काशी विश्वनाथ वर्चुअल संग्रहालय" बनवा रहे हो
📌 "माता वैष्णो देवी को रेल, रोड और हवाई कनेक्टिविटी" से जोड़ रहे हो
📌 "भैरो बाबा तक रोप-वे सेवा" शुरू करवा रहे हो
📌 "वाराणसी से कटरा तक वन्दे भारत ट्रेन" चलवा रहे हो
📌 "नमामि गंगे के तहत गंगा सफाई अभियान" चलवा रहे हो
📌 "जेलों में जन्माष्टमी का आयोजन" करवा रहे हो
📌 "अयोध्या में रामलीला का मंचन" करवा रहे हो
📌 "नवरात्रि में कन्या भोज का आयोजन" करवा रहे हो
📌 "फैजाबाद का नाम बदलकर पुनः प्राचीन नाम "अयोध्या जी" कर रहे हो
📌 "इलाहाबाद का नाम बदलकर पुनः प्राचीन नाम प्रयागराज" कर रहे हो
📌 "भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए देशभर में विभिन्न प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार" करवा रहे हो
📌 "अबू धाबी में पहले भव्य हिन्दू मंदिर का निर्माण" करवा रहे हो
📌 "गौवंश के संरक्षण" के लिये योजनाएं चला रहे हो
📌 "विभिन्न वैश्विक मंचो से भारतीय संस्कृति को बढ़ावा" दे रहे हो
📌 "संस्कृत यूनिवर्सिटी की स्थापना" करवा रहे हो
📌 "योग को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में विश्व में स्थापित" कर रहे हो
📌 "राष्ट्रीय गोकुल मिशन" शुरू कर रहे हो
📌 "राष्ट्रीय कामधेनु आयोग" का गठन कर रहे हो
📌 "कुंभ यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल" करवा रहे हो
📌 "विश्व के नेताओं को गीता, रामायण भेंट" कर रहे हो
📌 "बेसहारा गौवंशों के लिए कार्पस फंड की व्यवस्था" कर रहे हो
📌 यूपी में "प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले सभी छात्र छात्राओं को निःशुल्क कोचिंग" सुविधा उपलब्ध करवा रहे हो
📌 "4 करोड़ से अधिक अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए 59,000 करोड़ रुपए से अधिक की पोस्ट मैक्ट्रिक छात्रवृत्ति योजना" शुरू कर रहे हो
*"सबका विश्वास जीतने कि कोशिश कर रहे हो"*
पर बकलोली करने वाले कुछ कृतघ्न हिन्दू हमेशा सवाल पूछते रहते हैं मोदी - योगी सरकार ने पिछले 7 वर्षों में किया ही क्या है।
_*???*_
*🔱 हर हर महादेव 🔱*
_*💯% हिन्दूओं का 💯% असमंजस और शंका दूर करें।*_
_*(ये तो आरम्भ है भाइयों , आगे साथ देंगे तभी गंतव्य तक पहूंच पायेंगे - धेर्य रखें और विश्वास करें।)*_
चीजों को जानने समझने का प्रयास भी करें।
🕉️🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🔱 हर हर महादेव 🔱
🌹धन्यवाद 🌹
🙏🙏🙏💖🏹🔥
21-7-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking
आइए कुछ गूढ़ रहस्यमय ज्ञान अर्जित करते हैं.........
#शिवलिंग को गुप्तांग की #संज्ञा कैसे दी गई..... ?
और अब सनातन संस्कृति के लोग खुद ही शिवलिंग को शिव् भगवान का गुप्तांग समझने लगे है और दूसरों को भी ये गलत जानकारी देने लगे हैं।
परन्तु सही तथ्यों को जानना बहुत जरूरी है...
कुछ लोग शिवलिंग की पूजा की आलोचना करते हैं...
छोटे छोटे बच्चों को बताते हैं कि हिन्दू लोग लिंग और योनी की पूजा करते हैं । उन मूर्खों को संस्कृत का ज्ञान नहीं होता है और अपने बच्चों को सनातन संस्कृति के प्रति नफ़रत पैदा करके उनको आतंकी बना देते हैं। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है । इसे देववाणी भी कहा जाता है।
लिंग का अर्थ संस्कृत में चिन्ह, प्रतीक होता है…
जबकी जनेन्द्रिय को संस्कृत मे शिश्न कहा जाता है।
>शिवलिंग का अर्थ हुआ शिव का प्रतीक….
>पुरुषलिंग का अर्थ हुआ पुरुष का प्रतीक
इसी प्रकार स्त्रीलिंग का अर्थ हुआ स्त्री का प्रतीक और नपुंसकलिंग का अर्थ हुआ नपुंसक का प्रतीक।
अब यदि जो लोग पुरुष लिंग को मनुष्य की जनेन्द्रिय समझ कर आलोचना करते है..तो वे बताये ”स्त्री लिंग” के अर्थ के अनुसार स्त्री का लिंग होना चाहिए?
शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे शिव लिंग कहा गया है।
स्कन्दपुराण में कहा गया है, कि आकाश स्वयं लिंग है। शिवलिंग वातावरण सहित घूमती धरती तथा सारे अनन्त ब्रह्माण्ड ( क्योंकि, ब्रह्माण्ड गतिमान है ) का अक्स/धुरी (axis) ही लिंग है।
शिव लिंग का अर्थ अनन्त भी होता है अर्थात जिसका कोई अन्त नहीं है और ना ही शुरुआत।
शिवलिंग का अर्थ लिंग या योनी नहीं होता ।
दरअसल यह गलतफहमी भाषा के रूपांतरण और मलेच्छों यवनों के द्वारा हमारे पुरातन धर्म ग्रंथों को नष्ट कर दिए जाने पर तथा बाद में मुगलों और षडयंत्रकारी अंग्रेजों के द्वारा इसकी व्याख्या से उत्पन्न हुआ है ।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक ही शब्द के विभिन्न भाषाओँ में अलग-अलग अर्थ निकलते हैं, उदाहरण के लिए यदि हम हिंदी के एक शब्द “सूत्र” को ही ले लें तो
सूत्र का मतलब डोरी/धागा गणितीय सूत्र कोई भाष्य अथवा लेखन भी हो सकता है। जैसे कि नासदीय सूत्र ब्रह्म सूत्र इत्यादि ।
उसी प्रकार “अर्थ” शब्द का भावार्थ : सम्पति भी हो सकता है और मतलब, आशय, अभिप्राय (मीनिंग) भी ।
ठीक बिल्कुल उसी प्रकार शिवलिंग के सन्दर्भ में लिंग शब्द से अभिप्राय, चिह्न, निशानी, गुण, व्यवहार या प्रतीक है । धरती उसका पीठ या आधार है और सब अनन्त शून्य से पैदा हो उसी में लय होने के कारण इसे लिंग कहा है तथा कई अन्य नामों से भी संबोधित किया गया है। जैसे : प्रकाश स्तंभ/लिंग, अग्नि स्तंभ/लिंग, उर्जा स्तंभ/लिंग, ब्रह्माण्डीय स्तंभ/लिंग (cosmic pillar/lingam)
ब्रह्माण्ड में दो ही चीजे हैं: ऊर्जा और प्रदार्थ। हमारा शरीर प्रदार्थ से निर्मित है और आत्मा ऊर्जा है। विज्ञान का भी यही सिद्धांत है e=mc२
इसी प्रकार शिव पदार्थ और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक बन कर शिवलिंग कहलाते हैं। ब्रह्मांड में उपस्थित समस्त ठोस तथा ऊर्जा शिवलिंग में निहित है। वास्तव में शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की आकृति है.
The universe is a sign of Shiva Lingam
शिवलिंग भगवान शिव और देवी शक्ति (पार्वती) का आदि-आनादी एकल रूप है तथा पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतिक भी है। अर्थात इस संसार में न केवल पुरुष का और न केवल प्रकृति (स्त्री) का वर्चस्व है अर्थात दोनों सामान हैं।
अब बात करते है योनि शब्द पर-
मनुष्ययोनि, पशुयोनी, पेड़-पौधों की योनी, जीव-जंतु योनि.....
योनि शब्द का संस्कृत में प्रादुर्भाव, प्रकटीकरण अर्थ होता है....जीव अपने कर्म के अनुसार विभिन्न योनियों में जन्म लेता है। किन्तु कुछ धर्मों में पुर्जन्म की मान्यता नहीं है नासमझ बेचारे। इसीलिए योनि शब्द के संस्कृत अर्थ को नहीं जानते हैं। जबकी हिंदू धर्म मे 84 लाख योनि बताई जाती है।यानी 84 लाख प्रकार के जन्म हैं। अब तो वैज्ञानिकों ने भी मान लिया है कि धरती में 84 लाख प्रकार के जीव (पेड़, कीट, जानवर, मनुष्य आदि) है।
मनुष्य योनि
पुरुष और स्त्री दोनों को मिलाकर मनुष्य योनि होता है।अकेले स्त्री या अकेले पुरुष के लिए मनुष्य योनि शब्द का प्रयोग संस्कृत में नहीं होता है। तो कुल मिलकर अर्थ यह है:-
लिंग का तात्पर्य प्रतीक से है शिवलिंग का मतलब है पवित्रता का प्रतीक, दीपक की प्रतिमा बनाये जाने से इस की शुरुआत हुई , बहुत से हठ योगी दीपशिखा पर ध्यान लगाते हैं । हवा में दीपक की ज्योति टिमटिमा जाती है और स्थिर ध्यान लगाने की प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न करती है। इसलिए दीपक की प्रतिमा स्वरूप शिवलिंग का निर्माण किया गया। ताकि निर्विघ्न एकाग्र होकर ध्यान लग सके । लेकिन कुछ विकृत मुग़ल काल व गंदी मानसिकता बाले गोरे अंग्रेजों के गंदे दिमागों ने इस में गुप्तांगो की कल्पना कर ली और झूठी कुत्सित कहानियां बना ली और इसके पीछे के रहस्य की जानकारी न होने के कारण अनभिज्ञ भोले हिन्दुओं को भ्रमित किया गया ।
आज भी बहुतायत हिन्दू इस दिव्य ज्ञान से अनभिज्ञ है।
हिन्दू सनातन धर्म व उसके त्यौहार विज्ञान पर आधारित है।जोकि हमारे पूर्वजों ,संतों ,ऋषियों-मुनियों तपस्वियों की देन है।आज विज्ञान भी हमारी हिन्दू संस्कृति की अदभुत संस्कृति व इसके रहस्यों को सराहनीय दृष्टि से देखता है व उसके ऊपर अन्वेषण कर रहा है.. साभार "वीर योद्धाओं का भारत" - फेसबुक समूह
🙏 ओम् नमः शिवाय🙏
14-7-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking......
ॐ श्री गणेशाय नमः.....
ॐ गंगणपतये नमः....
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौम गम् गंगणपतये वरा वर्डा सर्व जनम्मे वश्मनाय स्वाहा....!!
ॐ वक्रतुंडाय हुं!
ॐ कपिलाय नमः!
ॐ विघ्ननाशनाय नमः!
ॐ विनायकाय नमः!
ॐ गणाध्यक्षाय नमः!
ॐ श्री श्री गणेश जी सपरिवार सर्व सदस्याय नमो नमः......
हे प्रभु!!...
मैं, मुझसे संबंधित जन, मेरे परिवार जन एवं उन सभी के परिवार जनों को सर्व साधन संपन्न इस प्रकार का जीवन प्राप्त हो ताकि आप द्वारा दिया गया ये जीवन आप ही की बनाई हुई इस दुनिया को आप से प्राप्त दिशा निर्देशों द्वारा और भी अधिक सुंदर सृजनशील एवं सुदृढ़ करने में लग कर सार्थक सिद्ध हो। तदुपरांत श्री हरि की अनन्य भक्ति को प्राप्त हो कर उन्हीं में विलीन हो जाएं......
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11-7-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking......
भारतीय समय गणना तंत्र
*इसे सेव कर सुरक्षित कर लेवे। सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र (ऋषि मुनियों पर किया गया - अनिल अनुसंधान )
■ काष्ठा = सैकन्ड का 34000 वाँ भाग
■ 1 त्रुटि = सैकन्ड का 300 वाँ भाग
■ 2 त्रुटि = 1 लव ,
■ 1 लव = 1 क्षण
■ 30 क्षण = 1 विपल ,
■ 60 विपल = 1 पल
■ 60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट ) ,
■ 2.5 घड़ी = 1 होरा (घन्टा )
■ 24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार) ,
■ 7 दिवस = 1 सप्ताह
■ 4 सप्ताह = 1 माह ,
■ 2 माह = 1 ऋतू
■ 6 ऋतू = 1 वर्ष ,
■ 100 वर्ष = 1 शताब्दी
■ 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी ,
■ 432 सहस्राब्दी = 1 युग
■ 2 युग = 1 द्वापर युग ,
■ 3 युग = 1 त्रैता युग ,
■ 4 युग = सतयुग
■ सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = 1 महायुग
■ 72 महायुग = मनवन्तर ,
■ 1000 महायुग = 1 कल्प
■ 1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ )
■ 1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प ।(देवों का अन्त और जन्म )
■ महालय = 730 कल्प ।(ब्राह्मा का अन्त और जन्म )
सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यही है। जो हमारे देश भारत में बना। ये हमारा भारत जिस पर हमको गर्व है l
दो लिंग : नर और नारी ।
दो पक्ष : शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष।
दो पूजा : वैदिकी और तांत्रिकी (पुराणोक्त)।
दो अयन : उत्तरायन और दक्षिणायन।
तीन देव : ब्रह्मा, विष्णु, शंकर।
तीन देवियाँ : महा सरस्वती, महा लक्ष्मी, महा गौरी।
तीन लोक : पृथ्वी, आकाश, पाताल।
तीन गुण : सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण।
तीन स्थिति : ठोस, द्रव, वायु।
तीन स्तर : प्रारंभ, मध्य, अंत।
तीन पड़ाव : बचपन, जवानी, बुढ़ापा।
तीन रचनाएँ : देव, दानव, मानव।
तीन अवस्था : जागृत, मृत, बेहोशी।
तीन काल : भूत, भविष्य, वर्तमान।
तीन नाड़ी : इडा, पिंगला, सुषुम्ना।
तीन संध्या : प्रात:, मध्याह्न, सायं।
तीन शक्ति : इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति।
चार धाम : बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका।
चार मुनि : सनत, सनातन, सनंद, सनत कुमार।
चार वर्ण : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
चार निति : साम, दाम, दंड, भेद।
चार वेद : सामवेद, ॠग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद।
चार स्त्री : माता, पत्नी, बहन, पुत्री।
चार युग : सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग, कलयुग।
चार समय : सुबह, शाम, दिन, रात।
चार अप्सरा : उर्वशी, रंभा, मेनका, तिलोत्तमा।
चार गुरु : माता, पिता, शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु।
चार प्राणी : जलचर, थलचर, नभचर, उभयचर।
चार जीव : अण्डज, पिंडज, स्वेदज, उद्भिज।
चार वाणी : ओम्कार्, अकार्, उकार, मकार्।
चार आश्रम : ब्रह्मचर्य, ग्राहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास।
चार भोज्य : खाद्य, पेय, लेह्य, चोष्य।
चार पुरुषार्थ : धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष।
चार वाद्य : तत्, सुषिर, अवनद्व, घन।
पाँच तत्व : पृथ्वी, आकाश, अग्नि, जल, वायु।
पाँच देवता : गणेश, दुर्गा, विष्णु, शंकर, सुर्य।
पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ : आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा।
पाँच कर्म : रस, रुप, गंध, स्पर्श, ध्वनि।
पाँच उंगलियां : अँगूठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा।
पाँच पूजा उपचार : गंध, पुष्प, धुप, दीप, नैवेद्य।
पाँच अमृत : दूध, दही, घी, शहद, शक्कर।
पाँच प्रेत : भूत, पिशाच, वैताल, कुष्मांड, ब्रह्मराक्षस।
पाँच स्वाद : मीठा, चर्खा, खट्टा, खारा, कड़वा।
पाँच वायु : प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान।
पाँच इन्द्रियाँ : आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा, मन।
पाँच वटवृक्ष : सिद्धवट (उज्जैन), अक्षयवट (Prayagraj), बोधिवट (बोधगया), वंशीवट (वृंदावन), साक्षीवट (गया)।
पाँच पत्ते : आम, पीपल, बरगद, गुलर, अशोक।
पाँच कन्या : अहिल्या, तारा, मंदोदरी, कुंती, द्रौपदी।
छ: ॠतु : शीत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, बसंत, शिशिर।
छ: ज्ञान के अंग : शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द, ज्योतिष।
छ: कर्म : देवपूजा, गुरु उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप, दान।
छ: दोष : काम, क्रोध, मद (घमंड), लोभ (लालच), मोह, आलस्य।
सात छंद : गायत्री, उष्णिक, अनुष्टुप, वृहती, पंक्ति, त्रिष्टुप, जगती।
सात स्वर : सा, रे, ग, म, प, ध, नि।
सात सुर : षडज्, ॠषभ्, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद।
सात चक्र : सहस्त्रार, आज्ञा, विशुद्ध, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान, मुलाधार।
सात वार : रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि।
सात मिट्टी : गौशाला, घुड़साल, हाथीसाल, राजद्वार, बाम्बी की मिट्टी, नदी संगम, तालाब।
सात महाद्वीप : जम्बुद्वीप (एशिया), प्लक्षद्वीप, शाल्मलीद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, पुष्करद्वीप।
सात ॠषि : वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भारद्वाज, अत्रि, वामदेव, शौनक।
सात ॠषि : वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र, भारद्वाज।
सात धातु (शारीरिक) : रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, वीर्य।
सात रंग : बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल।
सात पाताल : अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल, पाताल।
सात पुरी : मथुरा, हरिद्वार, काशी, अयोध्या, उज्जैन, द्वारका, काञ्ची।
सात धान्य : उड़द, गेहूँ, चना, चांवल, जौ, मूँग, बाजरा।
आठ मातृका : ब्राह्मी, वैष्णवी, माहेश्वरी, कौमारी, ऐन्द्री, वाराही, नारसिंही, चामुंडा।
आठ लक्ष्मी : आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी।
आठ वसु : अप (अह:/अयज), ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्युष, प्रभास।
आठ सिद्धि : अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व।
आठ धातु : सोना, चांदी, ताम्बा, सीसा जस्ता, टिन, लोहा, पारा।
नवदुर्गा : शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री।
नवग्रह : सुर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु।
नवरत्न : हीरा, पन्ना, मोती, माणिक, मूंगा, पुखराज, नीलम, गोमेद, लहसुनिया।
नवनिधि : पद्मनिधि, महापद्मनिधि, नीलनिधि, मुकुंदनिधि, नंदनिधि, मकरनिधि, कच्छपनिधि, शंखनिधि, खर्व/मिश्र निधि।
दस महाविद्या : काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला।
दस दिशाएँ : पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, आग्नेय, नैॠत्य, वायव्य, ईशान, ऊपर, नीचे।
दस दिक्पाल : इन्द्र, अग्नि, यमराज, नैॠिति, वरुण, वायुदेव, कुबेर, ईशान, ब्रह्मा, अनंत।
दस अवतार (विष्णुजी) : मत्स्य, कच्छप, वाराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि।
दस सति : सावित्री, अनुसुइया, मंदोदरी, तुलसी, द्रौपदी, गांधारी, सीता, दमयन्ती, सुलक्षणा, अरुंधती।
*उक्त जानकारी शास्त्रोक्त 📚 आधार पर... हैं ।*
*यह आपको पसंद आया हो तो अपने बन्धुओं को भी शेयर कर अनुग्रहित अवश्य करें, यह संस्कार का कुछ हिस्सा हैं
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5-7-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking but smelling welcome of third wave by September 2021 too.....
छोड़िए चिंता और तनाव, मुक्ति के रास्ते पर चलने का संकल्प ले लें.......
महा मृत्युंजय मंत्र का अर्थ॥
ॐ श्री गणेशाय नमः.....
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीयमामृतात्........
हे प्रभु आपकी कृपा से मैं, मुझसे संबंधित जन एवं सभी के परिवार जनों को सर्व साधन संपन्न इस प्रकार का जीवन प्राप्त हो - ताकि आपके द्वारा दिया गया ये जीवन आप ही की बनाई गई इस दुनिया को आपके ही आशीर्वाद से और भी अधिक सुंदर, सृजनशील एवं सुदृढ़ बनाने में सार्थक सिद्ध हो......
तदुपरांत, हे श्री हरि आप की अनन्य भक्ति में लीन हो कर आप ही में विलीन हो जाएं......
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नीचे लिखा विवरण इस लिंक के माध्यम से उद्धृत है जिसे मैंने अपने ज्ञान की सीमाओं के भीतर त्रुटियां सुधार कर प्रस्तुत किया है......
https://www.bhaktibharat.com/mantra/mahamrityunjay-mantra
*विशेष* →
*१👉 👉 पंडित जी (जो पूरे नवरात्रि पर्व में २४ घंटे सेवा में रहते हैं) के लिए प्रतिदिन सुबह शाम चाय नाश्ता, दोपहर व रात्रि भोजन कराने हेतु इच्छुक भक्तगण अपना नाम फ्लैट संख्या के साथ
*श्री चंद्रशेखर सुरवधनिवार (मास्टरसाहब) 98264 21663
*या
*गोविंद जौहरी C-303, 9425238422
को whatsapp पर सूचित कर देवें। शीघ्रता करें 🙏🙏अब समय नहीं बचा है.......
*अभी तक की भोजन कराने की स्थिति निम्नानुसार है👇👇👇*
दिनांक भोजन कराने वाले भक्त गण
सुबह + दोपहर शाम + रात्रि
७-१०-२०२१ × श्री अशोक तापड़िया
८-१०-२०२१ श्री संजय ठाकुर
९-१०-२०२१ श्री प्रीतम जैन
१०-१०-२०२१ श्री बी एम तिवारी श्री मनीष शर्मा
११-१०-२०२१ मित्तल परिवार
१२-१०-२०२१ श्री नवदित्य शर्मा श्री श्रीनिवास चांडक
१३-१०-२०२१ श्री विवेक शर्मा C - 01
१४-१०-२०२१ - -
१५-१०-२०२१ -
धन्यवाद,
जय माता दी.......🙏🙏🙏💖🏹🔥
» समस्त संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले शिव की हम अराधना करते हैं। विश्व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शिव, मृत्यु न कि मोक्ष से हमें मुक्ति दिलाएं।
» महामृत्युंजय मंत्र के वर्णो (अक्षरों) का अर्थ महामृत्युंजय मंत्र के वर्ण पद वाक्यक चरण आधी ऋचा और सम्पुर्ण ऋचा-इन छ: अंगों के अलग-अलग अभिप्राय हैं।
» ओम त्र्यंबकम् मंत्र के 33 अक्षर हैं जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 कोटि (प्रकार) देवताओं के द्योतक हैं।
» उन तैंतीस देवताओं में 8 वसु 11 रुद्र और 12 आदित्यठ 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं।
» इन तैंतीस कोटि देवताओं की सम्पूर्ण शक्तियाँ महामृत्युंजय मंत्र से निहित होती हैं। महामृत्युंजय का पाठ करने वाला प्राणी दीर्घायु तो प्राप्त करता ही है। साथ ही वह नीरोग, ऐश्वर्य युक्त धनवान भी होता है।
» महामृत्युंजय का पाठ करने वाला प्राणी हर दृष्टि से सुखी एवं समृध्दिशाली होता है। भगवान शिव की अमृतमयी कृपा उस पर निरन्तंर बरसती रहती है।
त्रि - ध्रववसु प्राण का द्योतक है जो सिर में स्थित है।
यम - अध्ववरसु प्राण का द्योतक है,जो मुख में स्थित है।
ब - सोम वसु शक्ति का द्योतक है, जो दक्षिण कर्ण में स्थित है।
कम - जल वसु देवता का द्योतक है, जो वाम कर्ण में स्थित है।
य - वायु वसु का द्योतक है, जो दक्षिण बाहु में स्थित है।
जा - अग्नि वसु का द्योतक है, जो बाम बाहु में स्थित है।
म - प्रत्युष वसु शक्ति का द्योतक है, जो दक्षिण बाहु के मध्य में स्थित है।
हे - प्रयास वसु मणिबन्धत में स्थित है।
सु - वीरभद्र रुद्र प्राण का बोधक है। दक्षिण हस्त के अंगुलि के मूल में स्थित है।
ग - शुम्भ् रुद्र का द्योतक है दक्षिणहस्त् अंगुलि के अग्र भाग में स्थित है।
न्धिम् -गिरीश रुद्र शक्ति का मूल द्योतक है। बायें हाथ के मूल में स्थित है।
पु - अजैक पात रुद्र शक्ति का द्योतक है। बाम हस्त के मध्य भाग में स्थित है।
ष्टि - अहर्बुध्य्त् रुद्र का द्योतक है, बाम हस्त के मणिबन्धा में स्थित है।
व - पिनाकी रुद्र प्राण का द्योतक है। बायें हाथ की अंगुलि केे मूल में स्थित है।
र्ध - भवानीश्वपर रुद्र का द्योतक है, बाम हस्त अंगुलि के अग्र भाग में स्थित है।
नम् - कपाली रुद्र का द्योतक है। उरु मूल में स्थित है।
उ - दिक्पति रुद्र का द्योतक है। यक्ष जानु में स्थित है।
र्वा - स्था णु रुद्र का द्योतक है जो यक्ष गुल्फ् में स्थित है।
रु - भर्ग रुद्र का द्योतक है, जो चक्ष पादांगुलि मूल में स्थित है।
क - धाता आदित्यद का द्योतक है जो यक्ष पादांगुलियों के अग्र भाग में स्थित है।
मि - अर्यमा आदित्यद का द्योतक है जो वाम उरु मूल में स्थित है।
व - मित्र आदित्यद का द्योतक है जो वाम जानु में स्थित है।
ब - वरुणादित्या का बोधक है जो वाम गुल्फा में स्थित है।
न्धा - अंशु आदित्यद का द्योतक है। वाम पादंगुलि के मुल में स्थित है।
नात् - भगादित्यअ का बोधक है। वाम पैर की अंगुलियों के अग्रभाग में स्थित है।
मृ - विवस्व्न (सुर्य) का द्योतक है जो दक्ष पार्श्वि में स्थित है।
र्त्यो् - दन्दाददित्य् का बोधक है। वाम पार्श्वि भाग में स्थित है।
मु - पूषादित्यं का बोधक है। पृष्ठै भाग में स्थित है।
क्षी - पर्जन्य् आदित्य का द्योतक है। नाभि स्थ्ल में स्थित है।
य - त्वणष्टान आदित्यध का बोधक है। गुहय भाग में स्थित है।
मां - विष्णुय आदित्यय का द्योतक है यह शक्ति स्वरुप दोनों भुजाओं में स्थित है।
मृ - प्रजापति का द्योतक है जो कंठ भाग में स्थित है।
तात् - अमित वषट्कार का द्योतक है जो हदय प्रदेश में स्थित है।
उपर वर्णन किये स्थानों पर उपरोक्त देवता, वसु आदित्य आदि अपनी सम्पुर्ण शक्तियों सहित विराजित हैं।
जो प्राणी श्रध्दा सहित महामृत्युजय मंत्र का पाठ करता है उसके शरीर के अंग - अंग (जहां के जो देवता या वसु अथवा आदित्यप हैं) की रक्षा होती है।
🙏🙏🙏💖🏹🔥
28-6-2021 COVID-19 second wave lockdowns unlocking but smelling welcome of third wave by September 2021 too.....
अपने बहुत ही पुराने मित्र से बात करते करते कुछ शब्द श्रंखला बन गई और मन किया कि आप से भी साझा कर दूं तो साझा कर दिया.....
यूं ही आगे कदम बढ़ाए जा....
राही मंजिलों की तलाश मत कर,
कारवां बनता जाएग,
फ़िकरे मिटते जाएंगे,
खैर मकदम को तेरी वाट जोहता है जमाना,
आसमां भी तेरा स्पर्श मांगता।
बारिशों की तलाश छोड़ दे,
बादल खुद वज़ू को तेरे सजदा करते हैं।
तुरंता भोजनालय से आपकी सेवा में परोसा है स्वाद कैसा है बताइएगा अवश्य......
🙏🙏🙏💖🏹🔥
1-6-2021 COVID-19 second wave lockdowns
Smelling this present danger God provoked me to sacrifice all toxins approx twelve years back. Since then step by step avoiding - starting, avoiding - starting, occasionally enjoying, finally for last three and half years I'm on total fasting (toxins) by the grace of God. सर्व शक्तिमान ईश्वर की जय हो......
Now I thanks a lot the God, that I know the taste of maximum toxic items but not using any of them except social reform.....
🙏🙏🙏❤️🏹🔥
29-5-2021 COVID-19 second wave lockdowns
An amazing information site, I think, you would never like to miss or forget at all….
https://www.worldometers.info/
This is providing almost realtime data from all over world. Even media houses may have plugged in this website in their servers and getting pin point data
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२८-५-२०२१ COVID-19 second wave lockdowns
एक प्रार्थना जो मैं नित्य प्रति करने की चेष्टा करता हूं लेकिन कहीं न कहीं आप ही की तरह समयाभाव के चलते चूक जाता हूं और थोड़ा बहुत आजकल भगवान से मेरा झगड़ा रगड़ा भी चल रहा है क्योंकि आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। जैसा कि वर्तमान की महामारी के चलते सारा विश्व समस्याओं से दो चार हो रहा है, हर दिन एक नयी चुनौती हमारे घर की चौखट पर उपस्थित हो जाती है। स्थिति लोगों की यहां तक बिगड़ी हुई है कि अगले महीने या अगले हफ्ते रसोई में रोटी कैसे पकेगी।
सरकारी आंकड़ों और प्रपत्रों में चिन्हित मध्यम स्तर के लोग अपने आत्म सम्मान के चलते ( जो कि एक मिथ्या है, केवल आदत बन चुकी है ) किसी के आगे कटोरा बढ़ा कर *भिक्षाम देहि* नहीं कर सकते। अभी भी समय है यदि हम आप कुछ छोटे मोटे व्यापार शुरू करने में एक दूसरे की सहायता कर दें तो जल्द ही जीवन पटरी पर आ सकता है।
खैर छोड़िए ये तो हो गई समस्याओं की बात। सीधी सी बात है जीवन है, जीवित हैं तो समस्याएं तो रहेंगी ही रहेंगी.....
आइए मिलकर भगवान को ही चुनौती दे देते हैं......
हे प्रभु !!!...
आपकी कृपा से मैं, मुझसे संबंधित जन एवं उनके भी संबंधित जनों एवं परिवार जनों को सर्व साधन संपन्न इस प्रकार का जीवन प्राप्त हो - ताकि आपके द्वारा दिया गया ये जीवन आप ही की बनाई दुनिया को आपके आशीर्वाद से और भी अधिक सुंदर, सुदृढ़ एवं सृजनशील बनाने में लगकर सार्थक सिद्ध हो......
तदुपरांत श्री हरि की अनन्य भक्ति में लीन हो कर उन्हीं में विलीन हो जाए......
और अब चूंकि आज शुक्रवार है तो इस मंत्र के द्वारा माता को भी प्रसन्न कर लेते हैं क्योंकि माता जी प्रसन्न तो पिता श्री भी प्रसन्न थोड़ी बहुत राजनीति और कूटनीति भी जीवन में आवश्यक है अन्यथा जब हम घर से बाहर निकलते हैं तो सफलता अर्जित करने में बहुत सारी अड़चनें आ जाती हैं।
मंत्रः....
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं स्थिर लक्ष्मी महाधनं देहि श्रीं ह्रीं ॐ नमः....
श्री और हरि दोनों की कृपा से हम सब सुखी हों....
🙏🙏🙏❤️🏹🔥
२७-५-२०२१ COVID-19 second wave lockdowns
एक विनम्र निवेदन; लॉक डाउन के समय घर में रहते हुए हिन्दी बोलने का प्रयास करके देखिए;
अच्छा लगेगा...😊
ये वो उर्दू के शब्द हैं जो वॉलीवुड के द्वारा हमारी संस्कृति समाज मे घुस चुके हैऔर हम प्रतिदिन प्रयोग करते हैं। इन शब्दों को त्याग कर एक प्रयास मातृभाषा के शब्दों का प्रयोग करने की ...🙏🙏
उर्दू हिंदी
01• ईमानदार - निष्ठावान
02• इंतजार - प्रतीक्षा
03 •इत्तेफाक - संयोग
04• सिर्फ - केवल, मात्र
05 •शहीद - बलिदान
06• यकीन - विश्वास, भरोसा
07• इस्तकबाल - स्वागत
08• इस्तेमाल - उपयोग, प्रयोग
09• किताब - पुस्तक
10• मुल्क - देश
11• कर्ज़ - ऋण
12• तारीफ़ - प्रशंसा
13 •तारीख - दिनांक, तिथि
14 •इल्ज़ाम - आरोप
15 •गुनाह - अपराध
16• शुक्रिया - धन्यवाद,आभार
17 •सलाम - नमस्कार, प्रणाम
18• मशहूर - प्रसिद्ध
19• अगर - यदि
20• ऐतराज़ - आपत्ति
21• सियासत - राजनीति
22 •इंतकाम - प्रतिशोध
23• इज्ज़त - मान, प्रतिष्ठा
24• इलाका - क्षेत्र
25• एहसान - आभार, उपकार
26 •अहसानफरामोश - कृतघ्न
27 •मसला - समस्या
28• इश्तेहार - विज्ञापन
29 •इम्तेहान - परीक्षा
30 •कुबूल - स्वीकार
31• मजबूर - विवश
32 •मंजूरी - स्वीकृति
33• इंतकाल - मृत्यु, निधन
34• बेइज्जती - तिरस्कार
35 •दस्तख़त - हस्ताक्षर
36 •हैरानी - आश्चर्य
37 •कोशिश - प्रयास, चेष्टा
38• किस्मत - भाग्य
39• फै़सला - निर्णय
40 •हक - अधिकार
41• मुमकिन - संभव
42• फर्ज़ - कर्तव्य
43 •उम्र - आयु
44 •साल - वर्ष
45• हया/शर्म - लज्जा
46• सवाल - प्रश्न
47 •जवाब - उत्तर
48• जिम्मेदार - उत्तरदायी
49• फ़तह - विजय
50• बेवफाई - धोखा / छल
51 •काबिल - योग्य
52• करीब - समीप, निकट
53• जिंदगी - जीवन
54 •हकीकत - सत्य
55• झूठ - मिथ्या,असत्य
56 •जल्दी - शीघ्र
57 •इनाम - पुरस्कार
58• तोहफ़ा - उपहार
59• इलाज - उपचार
60• हुक्म - आदेश
61 •शक - संदेह
62 •ख्वाब - स्वप्न
63• तब्दील - परिवर्तित
64 •कसूर - दोष
65 •बेकसूर - निर्दोष
66• कामयाब - सफल
67 •गुलाम - दास
68 •जन्नत -स्वर्ग
69• जहन्नुम -नर्क
70• खौ़फ -डर
71• जश्न -उत्सव
72 •मुबारक -बधाई,शुभेच्छा
73• लिहाजा़ -इसलिए
74• निकाह -विवाह/शादि
75 •आशिक -प्रेमी
76• माशूका -प्रेमिका
77• हकीम - वैद्य
78• नवाब -राजासाहब
79• रुह -आत्मा
80• खु़दकुशी -आत्महत्या
81 •इज़हार -प्रस्ताव
82• बादशाह - राजा/महाराजा
83• ख़्वाहिश - आकांक्षा / इच्छा
84• जिस्म - शरीर
85 •हैवान - दैत्य/असुर
86• रहम - दया
87• बेरहम - निर्दयी
88• खा़रिज / रद्द - निरस्त
89• इस्तीफ़ा -त्यागपत्र
90 रोशनी -प्रकाश / ज्योति
91•मसीहा -देवदूत
92 •पाक -पवित्र
93• क़त्ल -हत्या
94• कातिल -हत्यारा
95 •मुहैया - उपलब्ध
96 •फ़ीसदी - प्रतिशत
97 •कायल - प्रशंसक
98 • मुरीद - भक्त
99• कीमत - मूल्य (मुद्रा)
100• वक्त - समय
101 •सुकून - शाँति
102•आराम - विश्राम
103• मशरूफ़ - व्यस्त
104 •हसीन - सुंदर
105 •कुदरत - प्रकृति
106 •करिश्मा - चमत्कार
107• इजाद - आविष्कार
108 •ज़रूरत - आवश्यक्ता
109 •ज़रूर - अवश्य
110 •बेहद - असीम
111 •तहत - अनुसार
चीन में चीनी
जापान में जापानी
ब्रिटेन में अंग्रेजी
पाकिस्तान में उर्दू
हिंदी हिन्दू हिन्दुस्थान....
हिन्दी हमारी राजभाषा है। आइये इसका सम्मान करें।
🙏🙏🙏❤️🏹🔥
22-5-2021 COVID-19 second wave lockdowns
🙏🙏🙏❤️🏹🔥 जय चित्रांश, जय चित्रांशी
जय हो चित्रगुप्त (आदि ब्रम्ह कायांश) जी की....
भाईयों बहनों कोई जना रूष्ट मत होना आज थोड़ा सा अपने वर्ण के बारे में बात करने की इच्छा जागृत हो गई....
हो आइए जानें कि हम कायस्थ दर असल होते कैसे हैं। अब ये तो बिल्कुल ही सार्वभौमिक सत्य है कि किसी भी समुदाय विशेष के सारे लोग न तो अच्छे और न ही बुरे हो सकते हैं। फिर भी हर कोई अपने समुदाय की कुछ विशिष्ट प्रतिभाओं के सहारे अपनी पहचान बनाने में लगा रहता है, तो यारों मैं भी जमाने के साथ थोड़ा सा बहक जाता हूं और कुछ पुराने और कुछ नये कायस्थ विभूतियों का ध्यान कर लेता हूं। थोड़ा सा खुशनसीब समझूंगा स्वयं को भले ही छणिक - आनंद तो आनंद है, अनल भरे इस नित नवजीवन की भट्टी में दो चार पवित्र नीर की फुहार.......
अहा.......
❗संयोग नहीँ, कायस्थ लोग हैँ ये❗
❗कायस्थोँ को, पढ़ने योग्य है ये ❗
.
❗इतने करोड़ लोग तो थे अपने भारत मेँ, फिर एक कायस्थ ही देश का पहला नागरिक क्यों बना, लोग राजेन्द्र प्रसाद जी को ही उस महामहिम पद के लिए क्यों चुने.??
❗लोग कहते हैँ "संयोग है" पर हम कहते हैं "कायस्थ
लोग हैं" ❗
❗राज, दिलीप, देवानंद,
राजेश और पता नहीँ कितने
हट्टे-कठ्ठे बॉडी बिल्डर हीरो
हुए, पर शताब्दी का सुपर
स्टार एक कायस्थ ही क्यों
बना, लोग अमिताभ को ही
क्यों चूने..??
❗लोग कहते हैँ "संयोग है"
पर हम कहते हैं "कायस्थ
लोग हैं" ❗
❗ पंडितों से भरा है ये भारत
फिर भी शिकागो में भारत का
झंडा एक कायस्थ ही क्यों गाड़ कर आया, भारत को
धर्म गुरू का दर्जा कायस्थ
विवेकानंद ने ही क्यों
दिलवाया..??
❗लोग कहते हैँ "संयोग है"
पर हम कहते हैं "कायस्थ
लोग हैं ❗
❗देश के लिए इतने युवा तो मरने, मारने के लिए तैयार
खड़े थे, पर सबसे कम उम्र
मेँ फाँसी पर लटकने वाले
कायस्थ खुदीराम ही क्यों
बने..??
❗लोग कहते हैं "संयोग है"
पर हम कहते हैं "कायस्थ
लोग हैं ❗
❗बिहार में तो तब भी करोड़ों लोग थे, पर बंगाल को बिहार से अलग कराने का पूरा श्रेय कायस्थ सच्चिदानंद सिन्हा को ही क्यों जाता है.. संविधान सभा
के पहले अध्यक्ष यही
क्यों बनते हैं..??
❗लोग कहते हैं "संयोग है"
पर हम कहते हैं "कायस्थ
लोग हैं❗
❗लोग आए दिन धरना पर
बैठते हैं, तरह-तरह का नारा
लगाते हैं, अपने आप को
नेता कहलवाते हैं पर
एक कायस्थ का नारा "जय
हिंद" इतना विख्यात क्यों
हुआ, लोगों ने सुभाष चंद्र
बोस को ही "नेता" का तमगा
क्यों दिया..??
❗लोग कहते हैं "संयोग है"
पर हम कहते हैं "कायस्थ
लोग हैं"❗
❗तब मदिरा पर कविता लिखने की कोई कवि सोचता भी न था, होली पर एक से एक गीत लिखे, सुने जाते थे"
"पर एक साहसी कवि, कायस्थ हरिवंश ने "मधुशाला" रच डाली., होली का सर्वाधिक प्रसिद्ध गीत "रंग बरसे भीगे चुनर वाली" लिख डाला..??
❗लोग कहते हैं "संयोग है"
पर हम कहते हैं "कायस्थ
लोग हैं "❗
❗मुख्यमंत्री तो ढेरों आते-जाते रहते हैं, पर 23 बरस तक लगातार मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड एक कायस्थ
ज्योति बसु ही बना जाते हैं
क्यों...??
❗लोग कहते हैं "संयोग है"
पर हम कहते हैं "कायस्थ
लोग हैं " ❗
❗अमेरिका मेँ भारत के कई वैज्ञानिक कार्यरत हैं, पर
वहाँ एक कायस्थ वैज्ञानिक
सिन्हा के नाम से एक पर्वत
'सिन्हा पर्वत" क्यों है.??
❗लोग कहते हैं "संयोग है"
पर हम कहते हैं "कायस्थ
लोग हैं ये" ❗
❗तब संगीत गुरू तो बहुत थे पर लता, किशोर, मुकेश जैसे महान गायक, कायस्थ कुदनलाल सहगल को ही अपना गुरू क्यों मानते हैं...??
❗लोग कहते हैं "संयोग है"
पर हम कहते हैं "कायस्थ
लोग हैं "❗
❗हिँदु तो हिँदुस्तान मेँ करोड़ों हैं भैया..., पर हिँदु ह्रदय सम्राट' कायस्थ बाला साहब ठाकरे ही क्यों कहलाते हैं..?? { ये अलग बात है कि दोनों बेटे 180⁰ अक्षांश पर चलते हैं, एक परमार्थी तो दूसरा पूरी तरह से स्वार्थी और अवसर वादी है (समाज में अपवाद )}
❗लोग कहते हैं "संयोग है"
पर हम कहते हैं "कायस्थ
लोग हैं" ❗
❗आज हम, आप, सब आए
दिन कॉग्रेसी नेताओँ के
बारे में अनाप-शनाप सुनते
पढ़ते रहते हैं.., पर आज
भी हर पार्टी के लोग शास्त्री
जी का नाम पूरे सम्मान से लेते
हैं...., उन्हें गुदड़ी का लाल
कहते हैं .उनका "जय जवान, जय किसान," का नारा याद करते हैं क्यों..??
❗लोग कहते हैं "संयोग है ये" पर हम कहते हैं "कायस्थ
लोग हैं ये" ❗
❗"और भी विलक्षण प्रतिभा
के धनी कायस्थोँ से.., भरा
पड़ा है हमारा देश भारत"
"चिढ़ से लोग संयोग बोल
दें, पर अंदर से सब लोग
जानते हैं"
।। कायस्थ कलम है ये ।।
।। कायस्थ दिमाग हैं ये ।।
।। कायस्थ रक्त हैं ये ।।
।। कायस्थ दिल हैं ये ।।
।। कायस्थ आत्मा हैं ये ।।
।। चित्रगुप्त जातक हैं ये ।।
भैया सिर्फ संयोग नहीं....
।। कायस्थ लोग हैं ये ।।
"कुंडली के योग और राज
योग को मारिए गोली, खुशी
मनाईए कि आप कायस्थ
योग में हुए हैं, कायस्थ
कुल में हुए हैं ॥
🙏🙏🙏❤️🏹🔥 जय चित्रांश, जय चित्रांशी
जय हो चित्रगुप्त (आदि ब्रम्ह कायांश) जी की........
🙏🙏🙏❤️🏹🔥
21-5-2021 COVID-19 second wave lockdowns
बासी रोटी / रात की बची हुई जिसे हम खराब हो गई सोंचकर फेंक देते हैं - इसे सुबह टुकड़ों में तोड़कर सादे दूध मेें
( न गर्म न ठंडा न ही कुछ भी मीठा ) मिलाकर खाना चाहिए
है तो अच्छी जानकारी लेकिन चिकित्सक गण इस पर खुल कर जनता के मध्य चर्चा करें तो बहुत लाभ होगा।
इस उपयोग से क्रमशः ख़त्म होने वाली बीमारियां और स्वचालित लाभ.....
कब्जियत - weak lever - fat accumulation - unnecessary calories - Gas, acidity (खट्टी डकारें, जी मिचलाना, गले में जलन जब भी डकार आए, आधा सिर दर्द देना, मत्थे में दर्द, हल्की हरारत बनी रहना, सुबह उठते समय तेज प्रकाश, आवाज या हवा से चिढ़ मचना इत्यादि और भी बहुत कुछ) - extra thick blood → high blood pressure - sugar abnormalities - free from regular medicine - get rid off base material used in tablets - lever strong - no need of external insulin - kidney (गुर्दा) strong - good purification of blood - freeness from uric acid deposits in body - unwanted swelling gone - fully functional kidney - purified blood - strong heart 💖 - now clean lungs - thus good amount of oxygen in blood - now blood with required amount of oxygen to whole body - means all sensory nerves are healthy - the whole system is healthy - ultimately instruction power house { *Mind* } of body to control production of electricity to conduct whole body is working in right way.
And so on in cyclic way.....
मैं कोई प्रशिक्षित चिकित्सक नहीं हूं बस इधर उधर कभी पुस्तकालय तो कभी इन्टरनेट तो कभी वैज्ञानिकों के मुद्रित पत्रों scientist's journals के माध्यम से जो कुछ जान सका उसको अपने छोटे मस्तिष्क की समझ के अनुसार आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। बाकी आप सब प्रबुद्ध जन जो इस क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं अधिक प्रभावी ढंग से ऐसी सरल भाषा में समझा दें कि, हर व्यक्ति के मस्तिष्क में जम जाए और वो इसे आत्मसात कर लें......
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं स्थिर लक्ष्मी महाधनं देहि श्रीं ह्रीं ॐ नमः.....
आप सबको माता सदा अपने सन्निकट रखें......
🙏🙏🙏❤️🏹🔥
18-5-2021 COVID-19 second wave lockdowns
आइए प्रभात वंदन करते हैं......
ॐ श्री गणेशाय नमः....
🙏 कराग्रे वस्ते लक्ष्मी.....
कर मध्ये सरस्वती..…..
कर मूले तू गोविन्दाय......
कर दरशनम् ।।
ॐ श्री पृथ्वी मातये नमः.....
जय हो धरती माता की जय हो....…
हमारे पूर्वजों द्वारा बताई गई विधि -
सुबह जागते ही आंख खोलकर कुछ भी देखने से पहले दोनों हाथ जोड़कर सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करें। अब हाथों को अंजुलि की मुद्रा में सटाकर अंगुलियों के सबसे अग्र (आगे वाले पोर) भाग में लक्ष्मी जी का ध्यान करें। अब हाथों के मध्य भाग में श्री सरस्वती माता (ज्ञान की देवी) जी का ध्यान करें और अब सम्पूर्ण सृष्टि के आधार श्री हरि के कृष्ण रूप का दर्शन करते हुए प्रणाम करें और आशीर्वाद प्राप्त कर ध्यान करें कि हे महान शक्तियों मुझसे किसी का भी अहित न हो......
अब इसके बाद धरती माता पर अपने चरण रखने से पहले क्षमा याचना करते हुए धरती माता को प्रणाम करें, और नित्य कर्मों के वास्ते आज्ञा/अनुमति प्राप्त करने का ध्यान करें। इस प्रकार आप अनभिज्ञता में होने वाले इस पाप से मुक्ति पा सकते हैं।
🙏🙏 बाकी है तो बहुत कुछ। अगली भेंट वार्ता के लिए भी कुछ रहना चाहिए न.....🙏🙏
और आज का विशेष→→
ॐ हं हं हं हनुमते नमः.......
ईश्वर हम सबको सदा स्वस्थ सुखी और समृद्ध बनाएं ताकि हमारा जीवन जो कि भगवान का ऋणी है उन्हीं की बनाई इस दुनिया को और भी सुंदर सुदृढ़ एवं सृजनशील बनाने में लगकर सार्थक सिद्ध हो सके। अंततः श्री हरि की भक्ति में लीन हो कर उन्हीं में विलय हो जाए.......
श्री राधेय राधेय......
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15-5-2021 COVID-19 second wave lockdowns
भाई सच यही है लेकिन करें क्या लोग आंख मूंद कर सनातन की कल्पना करते हैं और जब हृदय से उत्पन्न होने वाली भावनाओं को व्यक्त करते हैं तो बिना एक भी क्षण गंवाए उनकी जिह्वा पर "खुदा, तकदीर, शिकवा, शिकायत और जिंदगी" जैसे शब्द आने लगते हैं और "ईश्वर/भगवान, भाग्य, दुखड़ा, परिवाद, असंतोष, अभियोग एवं जीवन जैसे शब्दों को उपयोग करने के लिए बहुत अधिक सोचना पड़ता है।
जैसी जिसकी जीवन शैली वैसे ही विचार उत्पन्न होंगे। पहले तो सारे सनातनियों को हिंदी और संस्कृत को भाषाओं की मां स्वीकारना होगा। तदुपरांत ही कुछ विशेष संभव है।
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10-5-2021 COVID-19 second wave lockdowns
ॐ नमः शिवाय......
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीयमामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ......
Perform following in routine to maintain your body resistance to fight with unknown diseases....
🧘🚶🏃🏋️⛹️🤾🚴
🙏🙏🙏❤️🏹🔥
8-5-2021 COVID-19 second wave lockdowns
इतना सब कुछ नहीं करना पड़ेगा यदि आयुर्वेद की शरण में जाएं।
एक शीशी ₹ ७०--७५.०० की मिलेगी षडबिंदु/अणू तेल ले आएं और दोनों नासिका छिद्रों में दो दो बूंद रात को डाल कर ऊपर को सुड़क/खींच लें, अब यदि कुछ भी गंदगी नाक, मस्तक, खोपड़ी/सिर या गले में है सब खांसी और छींक के माध्यम से बाहर आ जाएगी। मैं स्वयं पिछले पैंतीस वर्ष से उपयोग कर रहा हूं और हर तरह के व्यक्ति से संपर्क में आया हूं। मगर ईश्वर की कृपा से अभी तक स्वस्थ हूं और जिंदा हूं, आगे भी यही उपक्रम अपनाते हुए पूरे १२६ वर्ष की आयु पूरी करने की इच्छा है।
बताना मेरा दायित्व और धर्म है, मानना आत्मसात करना और दूसरों को भी प्रेरित करना ये आपका धर्म। मैंने मेरा धर्म निभा दिया। आपका आप जानें।
बीते कुछ समय में बहुत लोगों की तस्वीर पर असमय फूल माला चढ़ते देखा है। लेकिन अब नहीं चाहता कि मेरे दुष्मन भी समय से पहले मरें। अरे भाई दुष्मनी निभाने के लिए भी तुम्हारा जीवित और स्वस्थ रहना आवश्यक है।
ये उनके लिए लिए जो अभी बिना लक्षण वाले हैं या हल्का सर्दी ज़ुकाम बुखार बदन दर्द हरारत वाले हैं। लेकिन जिन्हें थोड़ी सी भी सांस लेने में दिक्कत हो वो तुरंत किसी अनुभवी वैद्य / चिकित्सक से सलाह लें घर बैठे स्वयं चिकित्सक न बनें। क्योंकि फेफड़ों तक पहुंचने में इस वायरस को चार से पांच दिन का समय लगता है, और हल्का फुल्का फेफड़ों का संक्रमण तो ठीक हो जाएगा लेकिन यदि ५०% से ऊपर है संक्रमण तो स्थिति हाथ से बाहर निकल जाती है।
इसीलिए सावधानी ही सुरक्षा है।
हां बिल्कुल घर बैठे तो जीवन चलेगा नहीं इसलिए मास्क लगाकर दूरी बनाते हुए अपने दायित्वों का निर्वहन करते रहना चाहिए।
तुरंत वैक्सीन लगवा लें अभी की दोनों ख़ुराक़ और इसके बाद समय समय पर जैसी गाईड लाईन आती है उसके अनुसार।
वैज्ञानिकों/ ऋषि-मुनियों की सीधी सलाह और उनके द्वारा प्रदर्शित पत्रों पर ही भरोसा करें। क्योंकि किसी की नकल की गयी या चस्पा की गई जानकारी बहुत बार घातक सिद्ध हो सकती है।
आज भी चिकित्सा को व्यापार बनाने वाले जन प्रतिनिधि यही चाहते हैं कि अधिक से अधिक विदेशी वैक्सीन भारत में आ जाए। तब जब भारत ने स्वयं की वैक्सीन की घोषणा कर दी तो हमारे ही लोगों ने उसका विरोध शुरू कर दिया था। लेकिन अब जब दोबारा से कोरोना लहर आ गई और लोग असमय अचानक मृत होने लगे तो वहीं विरोधी निचले स्तर के राजनीतज्ञ अब कह रहे हैं कि हमें वैक्सीन मिल क्यों नहीं रही।
भविष्य में पढ़ने वाले मेरे बच्चों। तुमसे यही विनती है कि स्वयं का लाभ तब तक देखना जब तक ईश्वर की बनाई हुई इस सुंदर दुनिया का नुक़सान न हो। वरना न तुम रहोगे न ये लाभ अर्जित करने का स्वप्न। ये महल और ऐषो आराम के साधन तभी तक काम आते हैं जब तक तुम स्वस्थ हो।
पैकेट बंद फास्ट फूड से आगे निकलो स्वयं के हाथ से बनाना सीखें हर दिन कुछ नया खाएं। "अपना हाथ जगन्नाथ जी का भात" ये कहावत तो सुनी ही होगी। या अपनी कलावती को प्रसन्न रखो और उसी के हाथ का बना खाओ। सब लोग मिलकर जब बनाते हैं न तो विश्वास रखिए परिवार में एक अजीब सी चमक आ जाती है। इसमें ईश्ववरी वरदान की शक्ति निहित होती है।
करके अनुभूति प्राप्त करें और यदि सहमत हों तो लोगों को भी इस सहयोग रूपी मदिरा का रसास्वादन करने का अवसर प्राप्त कराएं।
प्रणाम 🙏🙏 मिलते हैं एक छोटे से अंतराल के उपरांत.......
प्रणाम आपका दिन शुभ हो.…....
ॐ ऐं ह्रीं श्रं शनैश्चराय नमः.....
🙏🙏🙏❤️🏹🔥
2-5-2021 COVID-19 second wave lockdowns
हां ये संध्या है...
फिर निशा आएगी....
कल की किरन अभी बाकी है!!
सुमन सुगंधा दोनों होंगे...
बरखा दिन रैन होंगे.....
काजल संग नयन मगन होंगे!!
🙏🙏🙏❤️🏹🔥
30-4-2021 COVID-19 second wave lockdowns
अगर स्वस्थ रहना चाहते हैं और अपनी फोटो पर हार नहीं चढ़वाना है तो नीचे बताया गया रास्ता शुरू कर दें.....
आप मुझे कुछ नहीं देंगे आपका स्वस्थ रहना मेरे लिए स्वत: उपहार है....
🙏🙏🙏❤️🏹👇👇👇👇👇👇
[30/04, 09:21] Govind Johri: लक्षण आने से पहले इसे करना है।
यदि लक्षण (बुखार/ज्वर/खांसी इत्यादि श्वसन तंत्र से संबंधित) आ जाएं तो तुरंत चिकित्सक (आयुर्वेद/होम्योपैथिक/ऐलोपैथिक कोई भी) की शरण में जाएं।
[30/04, 09:21] Govind Johri: बहुत सुलभ है इस समय प्रचलित समस्या से छुटकारा पाना।
जल नेति सीख लीजिए, स्वयं करिए और अपने आस पास उपस्थित लोगों को भी सिखाएं। जिसका लाभ होगा कि, भविष्य में आने वाली प्राणी श्रंखला आपके इस उपकार से लाभान्वित होती रहेगी।
आपको चिरकाल यश प्राप्ति होती रहेगी.......
🙏🙏🙏❤️🏹🔥
[30/04, 09:33] Govind Johri: और वर्तमान स्थिति के अनुसार......
अभी भी समय है समय है सबसे करबद्ध निवेदन है। अणु तेल या षडबिंदु तेल हर दिन (जिन्हें ज्यादा लोगों से मिलना मजबूरी है) और बाकी सभी लोग हफ़्ते में दो या तीन बार दो दो बूंद दोनों नासिका छिद्रों में डालें और थोड़ी देर के लिए लेट जाएं ताकि नाक और मस्तिष्क में जमी हुई सारी गंदगी मुंह से खांसी एवं नाक से बह जाए।
बताना मेरा दायित्व था सो बता दिया। करना न करना आपकी इच्छा है।
🙏🙏🙏❤️🏹🔥
26-4-2021 COVID-19 second wave lockdowns
*Get vaccinated right now
This is really effective*
अगर केवल अपने शहर का हाल देखेंगे तो पाएंगे कि सारी समस्या से हम ही घिरे हैं लेकिन अगर पूरी दुनिया के शहरों में हो रही तबाही और जन घनत्व की तुलना करेंगे तो आप अपने आपको सफलता के पथ पर पाएंगे।
हां ये समय असल में सम्पूर्ण परिवर्तन का है इसलिए ज्वालामुखी की तपिश तो सबको ही सहनी पड़ेगी। अंत में विजय शंखनाद वही सुनेंगे जो धैर्यपूर्वक संयम से प्रकृति को प्राकृतिक रूप से जिएंगे......🙏🙏❤️🏹
- Govind Johri
23-4-2021 Corona COVID-19 second wave on boom all over world.....
अगर केवल अपने नगर का हाल देखेंगे तो पाएंगे कि सारी समस्या से हम ही घिरे हैं लेकिन अगर पूरी दुनिया के शहरों में हो रही तबाही और जन घनत्व की तुलना करेंगे तो आप अपने आपको सफलता के पथ पर पाएंगे।
हां ये समय असल में सम्पूर्ण परिवर्तन का है इसलिए ज्वालामुखी की तपिश तो सबको ही सहनी पड़ेगी। अंत में विजय शंखनाद वही सुनेंगे जो धैर्यपूर्वक संयम से प्रकृति को प्राकृतिक रूप से जिएंगे......🙏🙏❤️🏹
आइए पपीते के वारे में थोड़ा बहुत जानकारी एकत्र करें और आत्मसात करने का प्रयास करें.......
आप एक काम नियम से शुरू करो और सारे लोगों को कराएं तो अति उत्तम है।
कच्चे पपीते को सलाद के रूप में भोजन करते समय केवल एक खांप (2 cm चौड़ी) प्रति व्यक्ति। महिलाओं के बारे में सावधानी ये है कि, यदि वो गर्भ धारण करना चाहती हों अथवा गर्भावस्था चल रही हो तब उपयोग न करें बाकी किसी भी आयु के व्यक्ति के लिए लाभदायक है।
इसके उपयोग से यकृत (liver) तंदुरुस्त हो जाएगा। लगातार ४१ दिन उपयोग करें उसके बाद वर्ष में दो बार इस प्रक्रिया की पुनरावृत्ति होती रहे तो जीवन पर्यन्त लगभग 30-40% रोगों से मुक्ति मिल जाएगी।
पपीता एक फल है।... पपीते का वैज्ञानिक नाम कॅरिका पपाया ( carica papaya ) है। इसकी फैमिली केरीकेसी ( Caricaceae ) है। इसका औषधीय उपयोग होता है। पपीता स्वादिष्ट तो होता ही है इसके अलावा स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। सहज पाचन योग्य है। पपीता भूख और शक्ति बढ़ाता है। यह प्लीहा, यकृत को रोगमुक्त रखता और पीलिया जैसे रोगाें से मुक्ति देता है। कच्ची अवस्था में यह हरे रंग का होता है और पकने पर पीले रंग का हो जाता है। इसके कच्चे और पके फल दोनों ही उपयोग में आते हैं। कच्चे फलों की सब्ज़ी बनती है। इन कारणों से घर के पास लगाने के लिये यह बहुत उत्तम फल है।
Scientific classification
अश्रेणीत: Angiospermae
अश्रेणीत: Eudicots
अश्रेणीत: Rosids
गण: Brassicales
कुल: Caricaceae
वंश: Carica
जाति: C. papaya
Green papaya कच्चा पपीता
पका पपीता ripped papaya
Papaya leaf
male papaya flower नर पुुुष्प्प
इसके कच्चे फलों से दूध भी निकाला जाता है, जिससे पपेन तैयार किया जाता है। पपेन से पाचन संबंधी औषधियाँ बनाई जातीं हैं।
इसके पके फल का सेवन उदरविकार में लाभदायक होता है। पपीता सभी उष्ण समशीतोष्ण जलवायु वाले प्रदेशों में होता है। उच्च रक्तदाब (high BP) पर नियंत्रण रखने के लिए पपीते के पत्ते को सब्जी में प्रयोग करते है। पपीते में ए, बी, डी विटामिन और केल्शियम, लोह, प्रोटीन आदि तत्त्व विपुल मात्रा में होते हैं। पपीते से वीर्य बढ़ता है, त्वचा रोग दूर होते हैैं। जख्म जल्दी ठीक होते हैैं। मूत्रमार्ग की बीमारी दूर होती है। पाचन शक्ति बढ़ती है। मूत्राशय की बीमारी दूर होती है। खॉसी के साथ रक्त आ रहा हो तो वह रुकता है। मोटापा दूर होता है। कच्चे पपीते की सब्जी खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। पपीता और खीरा हमारे स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त है।
Yes please make yourself healthy with my conversation to one of my close loving friend who is in medical sales field managing whole Chhattisgarh and some surrounding areas
Now मुद्दे की बात कि हम वर्तमान में कैसे सुरक्षित रहें यहां मैं अपनी वार्तालाप के कुछ मुख्य अंश आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। आशा है आपके लिए लाभदायक सिद्ध हों।
याद रखें कोई भी सलाह अपनाने से पहले अपनी पहुंच में उपलब्ध संबंधित क्षेत्र के चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें क्योंकि कोई भी दवा मरीज के वर्तमान लक्षणों को देखकर ही दी जाती है। और हां यहां जो भी लिखा गया है वो अपने चिकित्सक को बताएंगे तो दो तरह से लाभ होगा। एक तो ये कि आप सही मार्गदर्शन पाएंगे और दूसरा ये कि यदि आपके चिकित्सक को नहीं मालुम होगा और तो जानने की कोशिश करेगा, जिससे भविष्य में आने वाले सभी मरीजों को लाभ मिलेगा।
ये लीजिए पढ़िए.........
आप एक काम नियम से शुरू करो और सारे लोगों को कराएं तो अति उत्तम है।
कच्चे पपीते को सलाद के रूप में भोजन करते समय केवल एक खांप (2 cm चौड़ी) प्रति व्यक्ति। महिलाओं के बारे में सावधानी ये है कि, यदि वो गर्भ धारण करना चाहती हों अथवा गर्भावस्था चल रही हो तब उपयोग न करें बाकी किसी भी आयु के व्यक्ति के लिए लाभदायक है।
इसके उपयोग से यकृत (liver) तंदुरुस्त हो जाएगा। लगातार ४१ दिन उपयोग करें उसके बाद वर्ष में दो बार इस प्रक्रिया की पुनरावृत्ति होती रहे तो जीवन पर्यन्त लगभग 30-40% रोगों से मुक्ति मिल जाएगी।
ये रही हमारी आज की बतकही। आशा है, आनन्द आया होगा.......
🙏🙏🙏❤️🏹
4-4-2021.......
A post copied from one of my friend on WhatsApp in VUM (VIDYUT URJA MANCH) group.....
This is a very interesting letter received on the thoughts of a great personality ..Needs to be appreciated in its correct perspective I Know you would ...👍
*LETTER FROM THE GRAVE*
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*LEE KUAN YEW’S OPEN LETTER TO MALAYSIAN LEADERS_*
Dear *Malaysian* leaders, I want to appreciate your condolence messages to Singaporeans since my death on Sunday, March 22. Having died at the age of *91,* I would not say I died young.
In fact, life expectancy in Singapore, which I led as prime minister for 31 years, is 80 years for men and 85 for women. You may even say I spent an overtime of 11 years. I would say I lived a good life which I devoted to the progress of my country.
I can confidently say that everything I did — including that for which I was heavily criticised for being *“highhanded”* — was for the benefit of my people, not for personal gain. I died a fulfilled man with no regrets whatsoever.
May I briefly tell you the story of Singapore so that you can understand why it is often told with admiration all over the world. We were a small, hopeless Island.
We thought we were so poor it was impossible to survive on our own. We decided to go into a union with other countries to form Malaysia in 1963.
But because of ethnic riots, we were expelled from the union in 1965, and I broke down in tears because I did not see how we were going to survive as a country. It was so bad we had no potable water. We relied on other countries for water to drink!
We had no natural resources. No oil, no gold, no solid minerals, nothing. All we had were human beings — and ports.
Dear *Malaysian* leaders, we did not give up. We decided to pick the pieces of our lives. We resolved to turn our fortune around.
Today, our story has changed completely. So you know, we are no longer a *Third World country.*
We are one of the *four Asian Tigers* — so-called because of our incredible development story.
*Singapore is the only Asian country with the top AAA rating by all credit rating agencies. We are the fourth largest financial centre in the world. We have one of the five busiest ports in the world.*
Manufacturing accounts for around 30% of our GDP. And Singapore has the third highest per capita income in the world.
Permit me some more immodesty. Unlike Malaysia, we don’t have a single drop of crude oil on our land.
But also unlike Malaysia, we are one of the biggest exporters, not importers, of petroleum products.
Our country is in the top three of oil-refining centres in the world, yet we don’t have oil! We have some of the biggest refineries in the world.
Meanwhile, Malaysia, with all the oil you produce, has been importing petrol, diesel, kerosene, engine oil and other petroleum products for decades!
Let me shock you: *we are the largest oil-rig producers in the world! The World Bank ranks us as the easiest place to do business in the world. I’m blushing, even in death!*
Let me explain how we attained these feats. We are no magicians. We are no angels.
We are human beings like you, dear Malaysian leaders.
The first thing we recognised is that *quality leadership is non-negotiable!*
I understand that ordinary Malaysians get all the blame for Malaysia’s problems under the pretext that if the followers are bad, then leaders will be bad. I disagree.
*{THE LANGUAGE OF MAD MALAYSIAN - IMBECILE}*
If the leaders are good, the followers will be good.
The leaders take the critical decisions and show direction. *That is why they are called leaders.*
It is the dog that should be wagging the tail, not the tail wagging the dog.
Don’t blame passengers for bad driving. Countries are transformed by good leadership.
Why does a country need competent and exemplary leaders? Development starts from visioning.
No country develops by accident or co-incidence. Development is planned.
The leader, who must understand the critical issues, puts together a team, shares his vision with them, assigns them responsibilities and leads them from the front.
That is where it starts. It is when you have a vision of society that you will know that *education is key, electricity is key, health is key, infrastructure is non-negotiable.* It is when you have this vision that you know where to direct your energy and resources. You know the kind of people to put in charge of key ministries and agencies.
Furthermore, leaders must *not be obsessed with instant gratification and personal comfort.* That is one of the biggest problems you, Malaysian leaders, have.
*_You are too obsessed with the perks of office that you have forgotten why you were elected in the first instance._*
I understand that aside the presidential jets in town, you are more comfortable with chattered jets. What a waste. I will share a story with you, which you can read in my book, *From Third World to First.*
The story is on *pages 363-364* and it had to do my trip to Ottawa, Canada, for the Commonwealth meeting in 1973.
The Bangladeshi Prime Minister, Sheikh Mujibur Rahman, arrived in style in his own aircraft.
When I landed, I saw a parked Boeing 707 with “Bangladesh” emblazoned on it. When I left, it was still standing on the same spot, idle for eight days, getting obsolescent without earning anything.
As I left the hotel for the airport, two huge vans were being loaded with packages for the Bangladeshi aircraft. At the conference, Mujibur Rahman had made a pitch for aid to his country.
Any public relations firm would have advised him not to leave his special aircraft standing for eight whole days on the parking apron. You want aid but you are showing opulence to the world.
Presidents of Kenya and Nigeria also arrived in jets. I wondered why they did not set out to impress the world that they were poor and in dire need of assistance.
Our permanent representative at the UN explained that the poorer the country, the bigger the Cadillacs they hired for their leaders.
So I made a virtue of arriving by ordinary commercial aircraft and thus helped preserve Singapore’s Third World status for many years.
However, by the mid-1990s, the World Bank refused to heed our pleas not to reclassify us as a *“High Income Developing Country”* — giving no Brownie points for my frugal travel habits. We lost all the concessions that were given to developing countries.
_*Dear Malaysian leaders, I understand that you are very, very religious.*_
*_The Muslims among you pray five times day, go for hajj so often, fast during Ramadan and mention the name of Allah as punctuation for every word and every sentence. The Christians among you are always speaking in tongues or eating communion, paying fat tithes and heavy offerings and holding prayer sessions at home every morning._*
*_Yet, I am told you loot your state treasury without compassion or compunction, inflate contracts recklessly, operate killer squads, and watch — without conscience — as your citizens struggle without clean water and good hospitals._*
Unfortunately, I died an agnostic. I neither denied nor accepted that there was a God.
Though two of my younger brothers, Freddy Lee and Lee Suan Yew, are members of the Anglican and Methodist churches respectively, I was not a churchgoer. Don’t misunderstand me: I am not saying you should not believe in God.
But I only wonder: how can you say you believe in God and fail so woefully in what the Holy Bible and Holy Qu’ran teach about loving your neighbour, caring for the needy and showing responsibility as a leader? I cannot understand it.
You guys never cease to amaze with how you can conveniently combine religion with greed.
On a final note, I appreciate that you are mourning my death and describing me as great. Thank you very much.
But I want you to know that you too can become great by putting the welfare of your citizens above your personal comfort.
MALAYSIA too can produce a *Lee Kuan Yew.* I go to my grave a happy man. Ask yourself: will you go to yours fulfilled? *Adieu!*
_*EndBadleadership*_
Pls, forward to as many friends as possible. Hoping that it will get to the right places.
*Copied*
🙏🙏🙏❤️🏹
2-4-2021......
जी श्री मान.....
ये सब औषधि ही तो हैं....
अजवायन
जीरा
मेथी
लौंग
अदरक
सोंठ
दालचीनी
जायफल
जावित्री
दगड़ फूल
छोटी पीपल
बड़ी पीपल
इलायची बड़ी/ छोटी
काली मिर्च
दक्षिणी मिर्च (सफेद गोल मिर्च)
पांचों नमक
कपूर डल्ला
हल्दी
हींग
एवं और भी बहुत सारे प्रकार की वस्तुएं हमारी रसोई में हैं, जिन्हें मुगल काल में मसाला कहा जाने लगा और हम ये भूल गए कि हमारे ऋषि-मुनियों ने हमें दैनिक जीवन में उपयोगी भोजन सामग्री के महत्वपूर्ण अंगों के रूप में अमृत तुल्य चीजें पहले से ही प्रदान कर रखी हैं।
हमें केवल उनके उपयोग को अपने पूर्वजों से सीखना है, जिन्हें आजकल वृद्धाश्रम में छोड़ आते हैं।......
खैर बाकी फिर कभी......
🙏🙏❤️
२८-३-२०२१.......
*ओशो* गजब का *ज्ञान* दे गये, *कोरोना* जैसी *जगत बिमारी* के लिए
*70* के *दशक* में *हैजा* भी *महामारी* के रूप में पूरे *विश्व* में फैला था, तब *अमेरिका* में किसी ने *ओशो रजनीश जी* से प्रश्न किया
-"इस *महामारी* से कैसे बचे ?"
*ओशो* ने विस्तार से जो समझाया वो आज *कोरोना* के सम्बंध में भी बिल्कुल *प्रासंगिक* है।
*ओशो*
"यह *प्रश्न* ही आप *गलत* पूछ रहे हैं,
*प्रश्न* ऐसा होना चाहिए था कि *महामारी* के कारण मेरे मन में *मरने का जो डर बैठ गया है* उसके सम्बन्ध में कुछ कहिए!
इस *डर* से कैसे बचा जाए...?
क्योंकि *वायरस* से *बचना* तो बहुत ही *आसान* है,
लेकिन जो *डर* आपके और *दुनिया* के *अधिकतर लोगों* के *भीतर* बैठ गया है, उससे *बचना* बहुत ही *मुश्किल* है।
अब इस *महामारी* से कम लोग, इसके *डर* के कारण लोग ज्यादा *मरेंगे*.......।
*’डर’* से ज्यादा खतरनाक इस *दुनिया* में कोई भी *वायरस* नहीं है।
इस *डर* को समझिये,
अन्यथा *मौत* से पहले ही आप एक *जिंदा* लाश बन जाएँगे।
यह जो *भयावह माहौल* आप अभी देख रहे हैं, इसका *वायरस* आदि से कोई *लेना* *देना* नहीं है।
यह एक *सामूहिक पागलपन* है, जो एक *अन्तराल* के बाद हमेशा घटता रहता है, कारण *बदलते* रहते हैं, कभी *सरकारों की प्रतिस्पर्धा*, कभी *कच्चे तेल की कीमतें*, कभी *दो देशों की लड़ाई*, तो कभी *जैविक हथियारों की टेस्टिंग*!!
इस तरह का *सामूहिक* *पागलपन* समय-समय पर *प्रगट* होता रहता है। *व्यक्तिगत पागलपन* की तरह *कौमगत*, *राज्यगत*, *देशगत* और *वैश्विक* *पागलपन* भी होता है।
इस में *बहुत* से लोग या तो हमेशा के लिए *विक्षिप्त* हो जाते हैं या फिर *मर* जाते हैं ।
ऐसा पहले भी *हजारों* बार हुआ है, और आगे भी होता रहेगा और आप देखेंगे कि आने वाले बरसों में युद्ध *तोपों* से नहीं बल्कि *जैविक हथियारों* से लड़ें जाएंगे।
🌹मैं फिर कहता हूं हर समस्या *मूर्ख* के लिए *डर* होती है, जबकि *ज्ञानी* के लिए *अवसर*!!
इस *महामारी* में आप *घर* बैठिए, *पुस्तकें पढ़िए*, शरीर को कष्ट दीजिए और *व्यायाम* कीजिये, *फिल्में* देखिये, *योग* कीजिये और एक माह में *15* किलो वजन घटाइए, चेहरे पर बच्चों जैसी ताजगी लाइये
अपने *शौक़* पूरे कीजिए।
मुझे अगर *15* दिन घर बैठने को कहा जाए तो में इन *15* दिनों में *30* पुस्तकें पढूंगा और नहीं तो एक *बुक* लिख डालिये, इस *महामन्दी* में पैसा *इन्वेस्ट* कीजिये, ये अवसर है जो *बीस तीस* साल में एक बार आता है *पैसा* बनाने की सोचिए....क्युं बीमारी की बात करके वक्त बर्बाद करते हैं...
ये *’भय और भीड़’* का मनोविज्ञान सब के समझ नहीं आता है।
*’डर’* में रस लेना बंद कीजिए...
आमतौर पर हर आदमी *डर* में थोड़ा बहुत रस लेता है, अगर *डरने* में मजा नहीं आता तो लोग *भूतहा* फिल्म देखने क्यों जाते?
☘ यह सिर्फ़ एक *सामूहिक पागलपन* है जो *अखबारों* और *TV* के माध्यम से *भीड़* को बेचा जा रहा है...
लेकिन *सामूहिक पागलपन* के *क्षण* में आपकी *मालकियत छिन* सकती है...आप *महामारी* से *डरते* हैं तो आप भी *भीड़* का ही हिस्सा है
*ओशो* कहते है...TV पर खबरे सुनना या *अखबार* पढ़ना बंद करें
ऐसा कोई भी *विडियो* या *न्यूज़* मत देखिये जिससे आपके भीतर *डर* पैदा हो...
*महामारी* के बारे में बात करना *बंद* कर दीजिए,
*डर* भी एक तरह का *आत्म-सम्मोहन* ही है।
एक ही तरह के *विचार* को बार-बार *घोकने* से *शरीर* के भीतर *रासायनिक* बदलाव होने लगता है और यह *रासायनिक* बदलाव कभी कभी इतना *जहरीला* हो सकता है कि आपकी *जान* भी ले ले;
*महामारी* के अलावा भी बहुत कुछ *दुनिया* में हो रहा है, उन पर *ध्यान* दीजिए;
*ध्यान-साधना* से *साधक* के चारों तरफ एक *प्रोटेक्टिव Aura* बन जाता है, जो *बाहर* की *नकारात्मक उर्जा* को उसके भीतर *प्रवेश* नहीं करने देता है,
अभी पूरी *दुनिया की उर्जा* *नाकारात्मक* हो चुकी है.......
ऐसे में आप कभी भी इस *ब्लैक-होल* में गिर सकते हैं....ध्यान की *नाव* में बैठ कर हीं आप इस *झंझावात* से बच सकते हैं।
*शास्त्रों* का *अध्ययन* कीजिए,
*साधू-संगत* कीजिए, और *साधना* कीजिए, *विद्वानों* से सीखें
*आहार* का भी *विशेष* ध्यान रखिए, *स्वच्छ* *जल* पीए,
*अंतिम बात:*
*धीरज* रखिए... *जल्द* ही सब कुछ *बदल* जाएगा.......
जब तक *मौत* आ ही न जाए, तब तक उससे *डरने* की कोई ज़रूरत नहीं है और जो *अपरिहार्य* है उससे *डरने* का कोई *अर्थ* भी नहीं है,
*डर* एक प्रकार की *मूढ़ता* है, अगर किसी *महामारी* से अभी नहीं भी मरे तो भी एक न एक दिन मरना ही होगा, और वो एक दिन कोई भी दिन हो सकता है, इसलिए *विद्वानों* की तरह *जीयें*, *भीड़* की तरह नहीं!!"
-: *ओशो* :-
🙏🙏🙏❤️🏹
१९-३-२०२१.....
षडबिन्दु तेल के लाभ और उपयोग
आपने कभी षडबिन्दु तेल का उपयोग किया है, जो कि हमारी आयुर्वेद चिकित्सा में ऋषि धनवंतरी, ऋषि चरक एवं ऋषि पतंजलि द्वारा प्रमाणित औषधि है।
यदि हफ्ते में दो बार भी कोई व्यक्ति दिन भर की सारी गतिविधियों को पूर्ण करने के बाद रात्रि में सोने से एक घंटे पहले उपयोग कर ले तो नासिका, नासिका के ऊपर माथे के पीछे वाले भाग और जब आप लेटते हैं (आकाश की ओर देखते हुए) तो कपाल के भीतरी भाग तक में कहीं भी जमा हुआ अनचाहा किसी भी प्रकार का जीवाणु और विषाणु चिपका नहीं रह पाता है।
इस जानकारी के लिए आप पूरी तरह से मुझ पर भरोसा न करें अपने आस पास किसी भी अनुभवी वैद्य से परामर्श कर लें और उपयोग करने पर विचार करें। मैं तो स्वयं पिछले ३५ (पैंतीस) वर्षों से सतत उपयोग कर रहा हूं। १९ वर्ष की आयु में पता चला था। आज तक उपयोग कर रहा हूं।
आप मानें या न मानें आपकी मर्जी। आप स्वस्थ रहें यही कामना है।
आप किसी भी कंपनी पतंजलि, बैद्यनाथ, ऊंझा या डाबर का क्रय कर सकते हैं।
लगाना बहुत आसान है केवल दो बूंद दोनों नासिका छिद्रों में डालें और अच्छे से नाक के अंदर खींच लें। अब आकाश की ओर देखते हुए सीधे लेट जाइए। जैसे जैसे तेल अन्दर जाएगा नासिका में एक अजीब सी छिलन का अनुभव होगा। अब अगले आधे से एक घंटे तक लगातार आपको मुंह या नाक के रास्ते आने वाले बलगम (कफ़) या पानी को थूकते रहना है। जब बलगम (कफ़) या पानी आना बंद हो जाए तो चुपचाप सो जाएं।
इसके और भी बहुत सारे फायदे हैं। सब यहां नहीं लिख सकता हूं। बाकी अपने क्षेत्र में कार्यरत वैद्यों से बात करिए वो आपको पूरी जानकारी आपकी वर्तमान शारीरिक स्थिति को देखते हुए बता सकते हैं।
आखिरकार चिकित्सा विज्ञान का नियम यही है चिकित्सकों के परामर्श पर चलना आपके लिए लाभदायक है।
ये सब लिखने का एकमात्र उद्देश्य है कि हम आयुर्वेद की अवहेलना कर के अपने स्वयं के वैज्ञानिकों (ऋषियों, मुनियों) को अपमानित करते हैं, साथ ही साथ लाभप्रद प्रामाणिक पद्धति से अपने शरीर को स्वस्थ रखने के बजाय नयी चका-चौंध के चक्कर में शरीर को ही खराब कर लेते हैं.......🙏🙏
क्षमा प्रार्थी हूं यदि किसी को आघात पहुंचा हो तो.......🙏🙏
🙏🙏🙏❤️🏹
११-३-२०२१.......
पंच देव पूजन विधि....
10-3-2021.....
#हिंदुओं जागो और जानो अपने #धर्म और #संस्कृति के बारे में
*पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं -*
*1. युधिष्ठिर 2. भीम 3. अर्जुन*
*4. नकुल। 5. सहदेव*
*( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है )*
*यहाँ ध्यान रखें कि… पाण्डु के उपरोक्त पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन*
की माता कुन्ती थीं ……तथा नकुल और सहदेव की माता माद्री थीं ।
*वहीँ …. धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र…..*
*कौरव कहलाए जिनके नाम हैं -*
*1. दुर्योधन 2. दुःशासन 3. दुःसह*
*4. दुःशल 5. जलसंघ 6. सम*
*7. सह 8. विंद 9. अनुविंद*
*10. दुर्धर्ष 11. सुबाहु। 12. दुषप्रधर्षण*
*13. दुर्मर्षण। 14. दुर्मुख 15. दुष्कर्ण*
*16. विकर्ण 17. शल 18. सत्वान*
*19. सुलोचन 20. चित्र 21. उपचित्र*
*22. चित्राक्ष 23. चारुचित्र 24. शरासन*
*25. दुर्मद। 26. दुर्विगाह 27. विवित्सु*
*28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ*
*31. नन्द। 32. उपनन्द 33. चित्रबाण*
*34. चित्रवर्मा 35. सुवर्मा 36. दुर्विमोचन*
*37. अयोबाहु 38. महाबाहु 39. चित्रांग 40. चित्रकुण्डल 41. भीमवेग 42. भीमबल*
*43. बालाकि 44. बलवर्धन 45. उग्रायुध*
*46. सुषेण 47. कुण्डधर 48. महोदर*
*49. चित्रायुध 50. निषंगी 51. पाशी*
*52. वृन्दारक 53. दृढ़वर्मा 54. दृढ़क्षत्र*
*55. सोमकीर्ति 56. अनूदर 57. दढ़संघ 58. जरासंध 59. सत्यसंध 60. सद्सुवाक*
*61. उग्रश्रवा 62. उग्रसेन 63. सेनानी*
*64. दुष्पराजय 65. अपराजित*
*66. कुण्डशायी 67. विशालाक्ष*
*68. दुराधर 69. दृढ़हस्त 70. सुहस्त*
*71. वातवेग 72. सुवर्च 73. आदित्यकेतु*
*74. बह्वाशी 75. नागदत्त 76. उग्रशायी*
*77. कवचि 78. क्रथन। 79. कुण्डी*
*80. भीमविक्र 81. धनुर्धर 82. वीरबाहु*
*83. अलोलुप 84. अभय 85. दृढ़कर्मा*
*86. दृढ़रथाश्रय 87. अनाधृष्य*
*88. कुण्डभेदी। 89. विरवि*
*90. चित्रकुण्डल 91. प्रधम*
*92. अमाप्रमाथि 93. दीर्घरोमा*
*94. सुवीर्यवान 95. दीर्घबाहु*
*96. सुजात। 97. कनकध्वज*
*98. कुण्डाशी 99. विरज*
*100. युयुत्सु*
*( इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहन भी थी… जिसका नाम""दुशाला""था,*
*जिसका विवाह"जयद्रथ"से हुआ था )*
*"श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-*
*ॐ . किसको किसने सुनाई?*
*उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई।*
*ॐ . कब सुनाई?*
*उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।*
*ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?*
*उ.- रविवार के दिन।*
*ॐ. कोनसी तिथि को?*
*उ.- एकादशी*
*ॐ. कहां सुनाई?*
*उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।*
*ॐ. कितनी देर में सुनाई?*
*उ.- लगभग 45 मिनट में*
*ॐ. क्यूं सुनाई?*
*उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।*
*ॐ. कितने अध्याय हैं ?*
*उ.- कुल 18 अध्याय*
*ॐ. कितने श्लोक हैं ?*
*उ.- 700 श्लोक*
*ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?*
*उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गों की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गों पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है।*
*ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा*
*और किन किन लोगों ने सुना?*
*उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने*
*ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?*
*उ.- भगवान सूर्यदेव को*
*ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथों में आती है ?*
*उ.- उपनिषदों में*
*ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?*
*उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।*
*ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है ?*
*उ.- गीतोपनिषद*
*ॐ. गीता का सार क्या है ?*
*उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना*
*ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे हैं ?*
*उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574*
*अर्जुन ने- 85*
*धृतराष्ट्र ने- 1*
*संजय ने- 40.*
*अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करें।
धन्यवाद*
*अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है।*
*33 करोड नहीँ 33 कोटि देवता हैँ हिँदू धर्म में।
*कोटि = प्रकार।*
*देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते हैं *
*कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता है।*
*हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओं के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं कि हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं...*
*कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :-*
*12 प्रकार हैँ*
*आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,*
*शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,*
*सविता, तवास्था, और विष्णु...!*
*8 प्रकार हे :-*
*वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।*
*11 प्रकार है :-*
*रुद्र: ,हर, बहुरुप, त्रयँबक,*
*अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,*
*रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।*
*एवँ*
*दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।*
*कुल :- 12+8+11+2=33 कोटि*
*अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है*
*तो इस जानकारी को अधिक से अधिक*
*लोगों तक पहुचाएं। ।*
*🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏*
*१ हिन्दु हाेने के नाते जानना ज़रूरी है*
*THIS IS VERY GOOD INFORMATION FOR ALL OF US ... जय श्रीकृष्ण ...*
*अब आपकी बारी है कि इस जानकारी*
*को आगे बढ़ाएँ ......*
*अपनी भारत की संस्कृति*
*को पहचानें.*
*ज्यादा से ज्यादा*
*लोगों तक पहुचायें.*
*खासकर अपने बच्चों को बताएं*
*क्योंकि ये बात उन्हें कोई नहीं बताएगा...*
*📜😇 दो पक्ष-*
*कृष्ण पक्ष ,*
*शुक्ल पक्ष !*
*📜😇 तीन ऋण -*
*देव ऋण ,*
*पितृ ऋण ,*
*ऋषि ऋण !*
*📜😇 चार युग -*
*सतयुग ,*
*त्रेतायुग ,*
*द्वापरयुग ,*
*कलियुग !*
*📜😇 चार धाम -*
*द्वारिका ,*
*बद्रीनाथ ,*
*जगन्नाथ पुरी ,*
*रामेश्वरम धाम !*
*📜😇 चारपीठ -*
*शारदा पीठ ( द्वारिका )*
*ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )*
*गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) ,*
*शृंगेरीपीठ !*
*📜😇 चार वेद-*
*ऋग्वेद ,*
*अथर्ववेद ,*
*यजुर्वेद ,*
*सामवेद !*
*📜😇 चार आश्रम -*
*ब्रह्मचर्य ,*
*गृहस्थ ,*
*वानप्रस्थ ,*
*संन्यास !*
*📜😇 चार अंतःकरण -*
*मन ,*
*बुद्धि ,*
*चित्त ,*
*अहंकार !*
*📜😇 पञ्च गव्य -*
*गाय का दूध ,*
*दही ,*
*घृत (घी)*
*गोमूत्र ,*
*गोबर !*
*📜😇 पञ्च देव -*
*गणेश ,*
*विष्णु ,*
*शिव ,*
*देवी दुर्गा ,*
*सूर्य !*
पंचदेव और उनका क्रम : ब्रह्मा, विष्णु, महेष, गणेश और सूर्य। कुछ जगहों पर ब्रह्मा जी की जगह दुर्गा माता को जोड़ा जाता है। विष्णु, शिव, गणेश, सूर्य और शक्ति। कहीं पर सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु इस क्रम में उनकी पूजा होती है। अधिक मान्यता अनुसार पंच देवों में सबसे पहले सूर्य की ही पूजा का प्रचलन रहा है। बाद में यह प्रचलन बदला और पंच देवों का क्रम भी बदला और सर्वप्रथम गणेशजी पूज्य हो गए। परंतु शास्त्र कहते हैं कि
रविर्विनायकश्चण्डी ईशो विष्णुस्तथैव च।
अनुक्रमेण पूज्यन्ते व्युत्क्रमे तु महद् भयम्।।
विद्वानों का तर्क : परंतु विद्वान लोग तर्क देते हैं कि गणेशजी जल तत्व माने गए हैं अत: इनका वास जल में माना गया है। श्री विष्णु- वायु तत्व हैं, शिवजी- पृथ्वी तत्व हैं, श्री देवी- अग्रि तत्व हैं और श्री सूर्य- आकाश तत्व माने गए हैं। सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है, लेकिन हमारे जीवन के लिए सर्वप्रथम जल की ही आवश्यकता होती है। इसलिए प्रथम पूज्य श्रीगणेश माने गए हैं जो कि जल के देवता है।
*📜😇 पंच तत्त्व -*
*पृथ्वी ,*
*जल ,*
*अग्नि ,*
*वायु ,*
*आकाश !*
*📜😇 छह दर्शन -*
*वैशेषिक ,*
*न्याय ,*
*सांख्य ,*
*योग ,*
*पूर्व मिमांसा ,*
*उत्तर मिमांसा !*
मिमांसा= वह गम्भीर मनन और विचार जो किसी विषय के मूल तत्त्व या तत्त्वों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए किया जाता है। किसी बात या विषय का ऐसा विवेचन जिसके द्वारा कोई निर्णय किया या परिणाम निकाला जाता हो।
*📜😇 सप्त ऋषि -*
*विश्वामित्र ,*
*जमदाग्नि ,*
*भरद्वाज ,*
*गौतम ,*
*अत्री ,*
*वशिष्ठ और
कश्यप!*
*📜😇 सप्त पुरी -*
*अयोध्या पुरी ,*
*मथुरा पुरी ,*
*माया पुरी ( हरिद्वार ) ,*
*काशी ,*
*कांची ( शिन कांची - विष्णु कांची ) ,*
*अवंतिका और*
*द्वारिका पुरी !*
*📜😊 आठ योग -*
*यम ,*
*नियम ,*
*आसन ,*
*प्राणायाम ,*
*प्रत्याहार ,*
*धारणा ,*
*ध्यान एवं*
*समाधि !*
*📜😇 आठ लक्ष्मी -*
*आग्घ ,*
*विद्या ,*
*सौभाग्य ,*
*अमृत ,*
*काम ,*
*सत्य ,*
*भोग ,एवं*
*योग लक्ष्मी !*
*📜😇 नव दुर्गा --*
*शैल पुत्री ,*
*ब्रह्मचारिणी ,*
*चंद्रघंटा ,*
*कुष्मांडा ,*
*स्कंदमाता ,*
*कात्यायिनी ,*
*कालरात्रि ,*
*महागौरी एवं*
*सिद्धिदात्री !*
*📜😇 दस दिशाएं -*
*पूर्व ,*
*पश्चिम ,*
*उत्तर ,*
*दक्षिण ,*
*ईशान ,*
*नैऋत्य ,*
*वायव्य ,*
*अग्नि*
*आकाश एवं*
*पाताल !*
*📜😇 मुख्य ११ अवतार -*
*मत्स्य ,*
*कच्छप ,*
*वाराह ,*
*नरसिंह ,*
*वामन ,*
*परशुराम ,*
*श्री राम ,*
*कृष्ण ,*
*बलराम ,*
*बुद्ध ,*
*एवं कल्कि !*
*📜😇 बारह मास -*
*चैत्र ,*
*वैशाख ,*
*ज्येष्ठ ,*
*अषाढ ,*
*श्रावण ,*
*भाद्रपद ,*
*अश्विन ,*
*कार्तिक ,*
*मार्गशीर्ष (अगहन) ,*
*पौष ,*
*माघ ,*
*फाल्गुन (फागुन)!*
*📜😇 बारह रााशि -*
*मेष ,*
*वृषभ ,*
*मिथुन ,*
*कर्क ,*
*सिंह ,*
*कन्या ,*
*तुला ,*
*वृश्चिक ,*
*धनु ,*
*मकर ,*
*कुंभ ,*
*मीन!*
*📜😇 बारह ज्योतिर्लिंग -*
*सोमनाथ ,*
*मल्लिकार्जुन ,*
*महाकाल ,*
*ओम्कारेश्वर ,*
*बैजनाथ ,*
*रामेश्वरम ,*
*विश्वनाथ ,*
*त्र्यंबकेश्वर ,*
*केदारनाथ ,*
*घृष्णेश्वर,*
*भीमाशंकर ,*
*नागेश्वर !*
*📜😇 पंद्रह तिथियाँ -*
*प्रतिपदा ,*
*द्वितीय ,*
*तृतीय ,*
*चतुर्थी ,*
*पंचमी ,*
*षष्ठी ,*
*सप्तमी ,*
*अष्टमी ,*
*नवमी ,*
*दशमी ,*
*एकादशी ,*
*द्वादशी ,*
*त्रयोदशी ,*
*चतुर्दशी ,*
*पूर्णिमा ,*
*अमावास्या !*
*📜😇 स्मृतियां -*
*मनु ,*
*विष्णु ,*
*अत्रि ,*
*हारीत ,*
*याज्ञवल्क्य ,*
*उशना ,*
*अंगीरा ,*
*यम ,*
*आपस्तम्ब ,*
*सर्वत ,*
*कात्यायन ,*
*ब्रहस्पति ,*
*पराशर ,*
*व्यास ,*
*शांख्य ,*
*लिखित ,*
*दक्ष ,*
*शातातप ,*
*वशिष्ठ !*
हिन्दू धर्म की 10 महत्वपूर्ण बातें ........
१...10 ध्वनियां : 1.घंटी, 2.शंख, 3.बांसुरी, 4.वीणा, 5. मंजीरा, 6.करतल, 7.बीन (पुंगी), 8.ढोल, 9.नगाड़ा और 10.मृदंग
२,,,,10 कर्तव्य:- 1. संध्यावंदन, 2. व्रत, 3. तीर्थ, 4. उत्सव, 5. दान, 6. सेवा 7. संस्कार, 8. यज्ञ, 9. वेदपाठ, 10. धर्म प्रचार।
आओ जानते हैं इन सभी को विस्तार से।
३,,,,10 दिशाएं : दिशाएं 10 होती हैं जिनके नाम और क्रम इस प्रकार हैं- उर्ध्व, ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर और अधो। एक मध्य दिशा भी होती है। इस तरह कुल मिलाकर 11 दिशाएं हुईं।
४....10 दिग्पाल : 10 दिशाओं के 10 दिग्पाल अर्थात अधिकारी होते हैं या देवता होते हैं। उर्ध्व के ब्रह्मा, ईशान के शिव व ईश, पूर्व के इंद्र, आग्नेय के अग्नि या वह्रि, दक्षिण के यम, नैऋत्य के नऋति, पश्चिम के वरुण, वायव्य के वायु और मारुत, उत्तर के कुबेर और अधो के अनंत।
५.….10 देवीय आत्मा : 1.कामधेनु गाय, 2.गरुण, 3.संपाति-जटायु, 4.उच्चै:श्रवा अश्व, 5.ऐरावत हाथी, 6.शेषनाग-वासुकी, 7.रीझ मानव, 8.वानर मानव, 9.येति, 10.मकर।
६.....10 देवीय वस्तुएं : 1.कल्पवृक्ष, 2.अक्षयपात्र, 3.कर्ण के कवच कुंडल, 4.दिव्य धनुष और तरकश, 5.पारस मणि, 6.अश्वत्थामा की मणि, 7.स्यंमतक मणि, 8.पांचजन्य शंख, 9.कौस्तुभ मणि और संजीवनी बूटी।
७....10 पवित्र पेय : 1.चरणामृत, 2.पंचामृत, 3.पंचगव्य (गोबर छोड़ कर), 4.सोमरस, 5.अमृत, 6.तुलसी रस, 7.खीर, 9.आंवला रस
८....10 महादेवी : 1.काली, 2.तारा, 3.त्रिपुरसुंदरी, 4. भुवनेश्वरी, 5.छिन्नमस्ता, 6.त्रिपुरभैरवी, 7.धूमावती, 8.बगलामुखी, 9.मातंगी और 10.कमला।
९....10 उत्सव : नवसंवत्सर, मकर संक्रांति, वसंत पंचमी, पोंगल, होली, दीपावली, रामनवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, महाशिवरात्रि और नवरात्रि।
१०...10 बाल पुस्तकें : 1.पंचतंत्र, 2.हितोपदेश, 3.जातक कथाएं, 4.उपनिषद कथाएं, 5.वेताल पच्चीसी, 6.कथासरित्सागर, 7.सिंहासन बत्तीसी, 8.तेनालीरामा, 9.शुकसप्तति, 10.बाल कहानी संग्रह।
११....10 पूजा : गंगा दशहरा, आंवला नवमी पूजा, वट सावित्री, तुलसी विवाह पूजा, शीतलाष्टमी, गोवर्धन पूजा, हरतालिका तीज, दुर्गा पूजा, भैरव पूजा और छठ पूजा।
१२...10 धार्मिक स्थल : 12 ज्योतिर्लिंग, 51 शक्तिपीठ, 4 धाम, 7 पुरी, 7 नगरी, 4 मठ, आश्रम, 10 समाधि स्थल, 5 सरोवर, 10 पर्वत और 10 गुफाएं।
१३..10 पूजा के फूल : आंकड़ा, गेंदा, पारिजात, चंपा, कमल, गुलाब, चमेली, गुड़हल, कनेर, और रजनीगंधा।
१४...10 धार्मिक सुगंध : गुग्गुल, चंदन, गुलाब, केसर, कर्पूर, अष्टगंथ, गुढ़-घी, समिधा, मेंहदी, चमेली।
१५...10 यम-नियम :1.अहिंसा, 2.सत्य, 3.अस्तेय 4.ब्रह्मचर्य और 5.अपरिग्रह। 6.शौच 7.संतोष, 8.तप, 9.स्वाध्याय और 10.ईश्वर-प्रणिधान।
१६...10 सिद्धांत :
1.एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति (एक ही ईश्वर है दूसरा नहीं), 2.आत्मा अमर है,
3.पुनर्जन्म होता है,
4.मोक्ष ही जीवन का लक्ष्य है, 5.कर्म का प्रभाव होता है, जिसमें से कुछ प्रारब्ध रूप में होते हैं इसीलिए कर्म ही भाग्य है, 6.संस्कारबद्ध जीवन ही जीवन है,
7.ब्रह्मांड अनित्य और परिवर्तनशील है,
8.संध्यावंदन-ध्यान ही सत्य है, 9.वेदपाठ और यज्ञकर्म ही धर्म है,
10.दान ही पुण्य है।
*॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण*
*कृष्ण कृष्ण हरे हरे ॥*
*॥ हरे राम हरे राम*
*॥ राम राम हरे हरे ॥*
*इस पोस्ट को अधिकाधिक शेयर करें जिससे सबको हमारी संस्कृति का ज्ञान हो।*
*🙏🏻॥ जय श्री कृष्णा ॥🙏🏻*
🚩🚩 *जय हनुमान* 🚩🚩
🚩🚩 **🙏🏻🙏🏻🙏🏻
इस पूरे विवरण में लोग फिर वही गलती कर रहे हैं जो रामचंद्र जी द्वारा भरत जी को सौंपे गए देवता आमंत्रण के कार्य को संपादित करने में हूई थी (अयोध्या वापस आने पर राज सिंहासन सम्हालने से ठीक पहले)। जिस वजह से रामचंद्र जी ने अलग से विशेष रूप में चित्रगुप्त जी का आवाहन किया और मंदिर बनाकर उसमें विधिवत पूजन किया।
न जाने क्यों लोग कायस्थों के पूज्य चित्रगुप्त जी की अनायास ही अवहेलना कर जाते हैं।
जबकि कायस्थ का परिचय है "कायास्थितौ कायस्थ: असि" - यानि कि ब्रम्हा जी के पूरे चित्र में गुप्त सम्पूर्ण काया में स्थित शक्ति से निर्मित एक उप-काया का प्रादुर्भाव जिसे स्वयं ब्रम्हा जी ने चित्रगुप्त नाम दिया। चित्रगुप्त जी का अवतरण तब हुआ जब उनके शरीर के अलग-अलग हिस्सों से उत्पन हुए वर्णों के द्वारा किए गए कर्मों का फल निर्धारण करने में स्वयं ब्रम्हा जी को समय की कमी का आभास हुआ तो उन्होंने तपस्या की जिसके फलस्वरूप उन्हीं की काया से आदिदेव चित्रगुप्त जी उत्पन्न हुए।
- चित्रगुप्त जी आप सबों का कल्याण करें.......
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६-३-२०२१......
श्री शनिदेव जी का वन्दन जो मुझे अच्छा लगता है वो ये है 👇👇
सही गलत का मुझे पता नहीं....
ऊं ऐं ह्रीं श्रं शनैश्चराय नमः......(जितना मन करे जपिये)
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५-३-२०२१......
Being kayasth mean you have ability in you of all the casts (ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र) in you and you can perform them all at need of time in your life for well being of the world......
Because we are from whole body of Bramha Ji.....
As was said by Chitragupt Ji, while asked by Bramha Ji - seeing chitragupt Ji in front of him during a special , Tapasya in continuation......
Brahma Ji - who are you?
Chitragupt Ji - कायास्थितौ कायस्थ: असि।
अर्थात आपकी सम्पूर्ण काया में स्थित शक्ति से निर्मित हूं, इसलिए कायस्थ हूं।
जिसके उपरांत ब्रम्हा जी ने उनका नामकरण किया और कहा चूंकि तुम मेरे पूरे चित्र में गुप्त रूप से विद्यमान हो इसलिए "चित्रगुप्त" नाम से जाने जाओगे।
बस मुझे तो इतना ही थोड़ा सा पता है.....
बाकी आप सब प्रबुद्ध जन ज्यादा जानकार होंगे ऐसा लगता है....
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5-3-2021.....
श्री महालक्ष्मी जी का वन्दन जो मुझे अच्छा लगता है.....
आहुति के साथ साथ-->>
ॐ श्रीं श्री आए नमः.... (११ बार)
ॐ ऐं ऐं श्री महालक्ष्मी आगच्छ आगच्छ ह्रीं ह्रीं नमः..... (१ माला)
ॐ श्री महालक्ष्मी आगच्छ आगच्छ धन प्रदाय नमः..... (३ माला)
ॐ श्रीं श्री स्थिर लक्ष्मी महाधनं देहि श्रीं ह्रीं ॐ नमः...(१माला)
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3-3-2021......
श्री गणेश जी का वन्दन जो मुझे अच्छा लगता है वो ये है 👇👇
सही गलत का मुझे पता नहीं....
ॐ श्री गणेशाय नमः.....
ॐ गं गणपतये नमः,
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वरा वर्डा सर्व जनम्मे वश्मनाय स्वाहा।
ॐ वक्रतुंडाय हुं,
ॐ कपिलाय नमः,
ॐ विघ्ननाशनाय नमः,
ॐ विनायकाय नमः,
ॐ गणाध्यक्षाय नमः,
ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट् स्वाहा।
ॐ श्री गणेश जी सपरिवार सर्व सदस्याय नमः.....
इसी श्रेणी में तीन मंत्र और हैं, कृपया उन्हें ढूंढने में मदद करें.....
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19-2-21.....
Teachers are always respectable, administrators must know this, reputation of their banner is based upon their supporters.....
This is to be implied in large context of life every where.....
Teachers mean the person teching you any good adaptable lesson for betterment of your life....
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१६-२-२०२१
बसंत पंचमी
मां शारदे वंदना करना जो मुझे अच्छा लगता है......
या कुन्देन्दु तुषार हार धवला या शुभ्र वस्त्रावृता।
या वीणावर्दण्डमंडितकरा या श्वेत पद्मासना।।
या ब्रम्हाच्युत शंकर प्रभृति भिर्देवै: सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा।।
शुक्लां ब्रम्हचारिणीम् जगद् व्यापिनीम्।
वीणा पुस्तक धारिणीम् ऽभयदां जाड्यांधकारापहां।।
हस्ते स्फटिकमालिकां विद्धतीं पद्मासने संस्थितां।
वन्दे तां परमेश्वरी भगवती बुद्धिप्रदां शारदाम्।।
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